भारत में मुद्रण के आरंभिक इतिहास पर एक टिप्पणी लिखें।

भारत में मुद्रण के आरंभिक इतिहास पर एक टिप्पणी लिखें।

उत्तर ⇒ भारत में छपाई का इतिहास पुर्तगालियों के आगमन के साथ आरंभ होता है। 16वीं सदी के मध्य में गोवा में पुर्तगाली धर्म प्रचारकों, जेसुइटो ने पहली बार छापाखाना लगाया। उन लोगों ने स्थानीय लोगों से कोंकणी भाषा सीखकर उसमें अनेक पुस्तकें छापी। 16वीं शताब्दी से ही कैथोलिक पादरियों ने तमिल भाषा में पहली पुस्तक को चीन में प्रकाशित की। इसी समय से भारत में पुस्तकों की छपाई ने गति पकड़ी। 1674 तक कोंकणी और कन्नड़ में लगभग पचास पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका था। डच धर्म प्रचारकों ने भी पुस्तकों की छपाई में पीछे नहीं रहे। उन लोगों ने पुरानी पुस्तकों के अनुवाद सहित बत्तीस तमिल भाषा की किताबें छापी। इस प्रकार भारत में पुस्तकों का प्रकाशन यूरोपीय धर्म प्रचारकों द्वारा आरंभ किया गया।

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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