भारत में शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधानों की विस्तार से विवेचना कीजिए ।
भारत में शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधानों की विस्तार से विवेचना कीजिए ।
उत्तर— भारत में शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान निम्नलिखित प्रकार हैं—
(1) अनुच्छेद 28 (Article 28)–यह अनुच्छेद शैक्षिक संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा प्रदान करने से सम्बन्धित व्यवस्थाओं की चर्चा करता है। यह प्रत्यक्ष रूप से शिक्षा से जुड़ा अनुच्छेद है। इस अनुच्छेद के तीन उपखण्ड हैं—(1) वे विद्यालय जो पूरी तरह से राज्य द्वारा संचालित किये जा रहे हैं उनमें किसी भी प्रकार की धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं । (2) वे विद्यालय जिनकी स्थापना किसी निजी ट्रस्ट या संगठन द्वारा की गई है, धार्मिक शिक्षा प्रदान कर सकते हैं । (3) कोई भी विद्यालय जो सरकार द्वारा मान्यता अथवा अनुदान प्राप्त कर रहा है अपने किसी भी व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने अथवा किसी विशिष्ट पूजा आदि में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।
(2) अनुच्छेद 29 तथा 30 (Article 29 and 30)— ये दोनों अनुच्छेद अल्पसंख्यकों को अपनी शैक्षिक संस्थाएँ बनाने का अधिकार प्रदान करते हैं। अनुच्छेद 29 में शिक्षा से सम्बन्धित दो व्यवस्थाएँ हैं— प्रथम भारत के किसी भी भाग में रहने वाला नागरिक समूह, जिसकी अपनी पृथक् भाषा, लिपि या धर्म हो, उसको अपनी संस्कृति की रक्षा का पूरा अधिकार है। द्वितीय, राज्य द्वारा संचालित या अनुदानित कोई भी शैक्षिक संस्था धर्म, जाति, भाषा, आदि के आधार पर किसी का भी प्रवेश निषेध नहीं कर सकती है। अनुच्छेद 30 में शिक्षा सम्बन्धी दो व्यवस्थाएँ हैं – प्रथम, प्रत्येक अल्पसंख्यक को, चाहे वे धर्म या भाषा पर आधारित हों, अपनी पसंद की शैक्षिक संस्थाएँ बनाने का अधिकार है। द्वितीय शाला किसी भाषा या धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय चला रहा है, इस आधार पर राज्य सरकार अनुदान देने में पक्षपात नहीं करेगी।
(3) अनुच्छेद 45 (Article 45)– संविधान में शिक्षा से जुड़ा यह एक महत्त्वपूर्ण अनुच्छेद है जिसमें अनिवार्य तथा निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था करने की व्यवस्था का उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद की अनुपालना में राष्ट्र में संविधान के लागू होने की तिथि से आने वाले चौदह वर्षों में बच्चों के लिए सरकार द्वारा अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करने का प्रावधान है।
(4) अनुच्छेद 46 (Article 46)– इस अनुच्छेद द्वारा अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा कबीलों के आर्थिक व शैक्षिक विकास का सम्पूर्ण दायित्व संघीय सरकार को सौंपा गया है ।
(5) अनुच्छेद 350 A (Article 350A)– इसके अनुसार प्राइमरी स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए। राज्य सरकार का इस सम्बन्ध में दायित्व है कि वह यह व्यवस्था बनाये जिससे प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो।
(6) अनुच्छेद 351 ( Article 351)– हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा देने से जुड़ा यह अनुच्छेद देवनागरी लिपि हिन्दी के विकास की व्यवस्था करता है। केन्द्र सरकार का यह दायित्व है कि वह हिन्दी के प्रचार-प्रसार की व्यवस्था करें। इस प्रकार से हिन्दी भाषा को भारत के सभी नागरिकों की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाने का संवैधानिक उत्तरदायित्व केन्द्र सरकार का है।
(7) केन्द्र व राज्यों के शिक्षा सम्बन्धी अधिकार— संविधान में केन्द्र व राज्य सरकारों के शैक्षिक उत्तरदायित्वों तथा अधिकार क्षेत्र का भी स्पष्ट विभाजन किया गया है। संविधान में तीन सूचियाँ बनाई गई है। पहली सूची केन्द्र सूची है इसमें दिये गये विषयों पर केन्द्र सरकार या संसद कानून बना सकती है। दूसरी सूची राज्य सूची है, इसमें दिये गये विषयों पर राज्य सरकार या विधान सभा कानून बना सकती है। तीसरी सूची समवर्ती सूची है, इसमें दिये गये विषयों पर केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार दोनों ही कानून बना सकते हैं। संविधान की इन तीनों सूचियों में अनेक विषय शिक्षा से सम्बन्धित हैं। केन्द्रीय सूची में वर्णित विषय निम्नवत हैं—
(i) क्रमांक 62 (Entry 62)– राष्ट्रीय महत्त्व के पुस्तकालय व संग्रहालय जैसी राष्ट्रीय पुस्तकालय, भारतीय संग्रहालय आदि तथा संसद द्वारा घोषित राष्ट्रीय महत्त्व के पुस्तकालय व संग्रहालय ।
(ii) क्रमांक 63 (Entry 63)– राष्ट्रीय महत्त्व की उच्च शिक्षा संस्थाएँ जैसे- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, विश्व भारती आदि एवं संसद द्वारा घोषित राष्ट्रीय महत्त्व की उच्च शिक्षा संस्थाएँ ।
(iii) क्रमांक 64 (Entry 64)– राष्ट्रीय महत्त्व के वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थान ।
(iv) क्रमांक 65 (Entry 65 )– व्यावसायिक व तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान तथा विशिष्ट अध्ययन व अनुसंधान को प्रोत्साहन ।
(v) क्रमांक 66 (Entry 66 )– उच्च शिक्षा या अनुसन्धान के संस्थानों तथा वैज्ञानिक व तकनीकी संस्थानों के मानकों का निर्धारण व समन्वय ।
केन्द्रीय सूची में वर्णित इन विषयों के अतिरिक्त राज्य सूची में निम्नांकित विषयों को सम्मिलित किया गया है—
(vi) क्रमांक 11 (Entry 11)– केन्द्रीय सूची के क्रमांक 63, 64, 65 व 66 तथा समवर्ती सूची के क्रमांक 25 के प्रावधानों के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों सहित शिक्षा |
(vii) क्रमांक 12 (Entry 12)– राष्ट्रीय महत्त्व के घोषित न किये गये तथा राज्य द्वारा नियन्त्रित या वित्तीय सहायता प्राप्त पुस्तकालय, संग्रहालय तथा ऐतिहासिक स्मारक आदि।
समवर्ती सूची के क्रमांक 25 (Entry 25) में केन्द्र व राज्य सरकारों को यह अधिकार प्रदान किए गए हैं कि वे श्रमिकों के व्यावसायिक व तकनीकी प्रशिक्षण के लिए आवश्यक अधिनियम बना सकें ।
स्पष्ट है कि संविधान निर्माताओं ने सूझ-बूझ के साथ शिक्षा सम्बन्धी विषयों को राज्य व केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में सम्मिलित किया था । सम्पूर्ण राष्ट्र में एक शिक्षा पद्धति लागू करने तथा शिक्षा की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए 1977 में संविधान संशोधन द्वारा शिक्षा को समवर्ती सूची में लाया गया जिससे केन्द्र इन विषयों पर भी कानून बना सकता है।
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