भारत में सामान्य व्यक्ति पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ा ?
भारत में सामान्य व्यक्ति पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- वैश्वीकरण के प्रभाव से भारत में बड़ी मात्रा में विदेशी पूँजी का आयात हुआ है। बाजार में आयतित एवं विदेशी ब्रांड की वस्तुओं का प्रसार बढ़ा है। विदेशी कम्पनियों ने कई जगह अपने कल-कारखाने एवं विक्रय केन्द्र स्थापित किए गए हैं । आम आदमी के लिए इसके निम्नांकित लाभ हैं-
(i) उपभोग के लिए आधुनिक वस्तुओं एवं सेवाओं की उपलब्धता- भारत के उपभोक्ता के लिए विश्व की आधुनिकतम वस्तुएँ बाजार में क्रय के लिए उपलब्ध है। इसमें लैपटॉप, कम्प्यूटर, टेलीविजन, मोबाइल शामिल है। मेट्रो रेल जैसा आधुनिक सेवा भी वैश्वीकरण की देन है।
(ii) रोजगार की बढ़ी हुई संभावना- वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। यह शिक्षित एवं कुशल श्रमिकों के लिए अधिक लाभप्रद सिद्ध हुआ है, खासकर सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लाभ उत्पादक को
उत्कृष्ट उत्पाद के रूप में मिला है। प्रतियोगिता से वस्तुओं की गुणवत्ता बढ़ी है।
वैश्वीकरण के निम्नांकित कुछ दुष्प्रभाव हैं –
(i) छोटे उत्पादकों एवं श्रमिकों का संकट- बहराष्ट्रीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा के प्रभाव से कई मध्यम एवं छोटी उत्पादक इकाइयाँ बंद हो गई है। कई श्रमिक इस कारण बेरोजगार हो गए हैं। लघु उद्योग में लगभग 2 करोड़ श्रमिक नियोजित हैं। अतः वैश्वीकरण ने इनके समक्ष रोजी-रोटी की चुनौती खडी कर दी है ।
(ii) कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र में संकट- कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का संकट है। कम पँजी निवेश के कारण पिछले 20 वर्षों में इस क्षेत्र की औसत आर्थिक वृद्धि दर बहुत कम रहा है। किसान कर्ज के बोझ से आत्महत्या करने को मजबूर है ।
वैश्वीकरण एक सच्चाई है, किंतु उपलब्ध प्रमाण यह दर्शाते हैं कि आम आदमी को इसका मिश्रित लाभ मिला है। वैश्वीकरण से ज्यादातर धनी उपभोक्ता कशल एवं शिक्षित श्रमिक एवं बड़े उत्पादनकर्ताओं को ही लाभ पहँचा है। बढती स्पर्धा से छोटे उत्पादक एवं श्रमिक प्रभावित हुए हैं। कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र वैश्वीकरण के समुचित लाभ से अब भी वंचित है।