मध्यप्रदेश के भौतिक प्रदेश
मध्यप्रदेश के भौतिक प्रदेश
मध्य प्रदेश के भौतिक प्रदेश
Physical regions of Madhya Pradesh in Hindi
एस.पी. चटर्जी ने मध्य प्रदेश को धरातल की विविधता के आधार पर निम्न दो वृहत भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया—
1. मध्य उच्च प्रदेश
2. प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश
- (i) सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां
- (ii) बघेलखंड पठार
1. मध्य उच्च प्रदेश –
- मध्य उच्च प्रदेश एक त्रिभुजाकार पठारी प्रदेश है, जो कि दक्षिण में नर्मदा-सोन घाटी, पूर्व में कैमूर के कगार एवं पश्चिम में अरावली श्रेणियों से घिरा है। इन धरातलीय विशेषताओं के आधार पर इस प्रदेश को अग्रलिखित भागों में बांटा जा सकता है–
मालवा पठार-
- मध्य प्रदेश के मध्य पश्चिमी भाग को मालवा पठार के नाम से जाना जाता है। इस पठार का विस्तार गुना, राजगढ़, भोपाल, रायसेन, सागर, विदिशा, शाजापुर, आगर-मालवा, देवास, इंदौर, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, झाबुआ एवं धार जिलों में है।
- इसकी भौगोलिक स्थिति 20°17′ उत्तरी अक्षांश से 25°8′ उत्तरी अक्षांश तथा 74°20′ पूर्वी देशान्तर से 79°20′ पूर्वी देशान्तर के मध्य है। कर्क रेखा इसे दो बराबर भागों में विभाजित करती है। इस पठार पर क्रिटेशियस काल के दरारी ज्वालामुखी उद्भेन के साक्ष्य मिलते हैं। समुद्रतल में मालवा पठार की औसत ऊंचाई 500 मीटर है, परन्तु इस पठार की सबसे ऊंची चोटी सिगार 881 मीटर ऊंची है।
- इस प्रदेश की जलवायु उष्णकटिबन्धीय मानसूनी है तथा इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां क्षिप्रा, बेतवा, सोनार व चम्बल हैं। काली मिट्टी की प्रमुखता के कारण इस क्षेत्र की मुख्य फसल गेहूं एवं कपास हैं। इस क्षेत्र के अधिकतर लोग कृषि एवं पशुपालन करते हैं। यह राज्य का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है। मालवा पठार के प्रमुख नगर इंदौर, भोपाल, उज्जैन, सागर, रतलाम, देवास, विदिशा, धार हैं।
- क्षेत्रफल-88222.2 वर्ग कि.मी. (मध्य प्रदेश का 28.62 प्रतिशत)
- जिले-18 जिलों का पूर्ण/आंशिक भाग आता है — मंदसौर, राजगढ़, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, धार, गुना, रतलाम, झाबुआ, देवास, शाजापुर, आगर-मालवा, सीहोर, अशोकनगर, विदिशा, रायसेन, सागर व अलीराजपुर।
- नदियां- काली सिंध, शिप्रा, पार्वती, चम्बल, बेतवा।
- वर्षा- 125 सेमी. से 75 सेमी.
- उद्योग- नागदा-कृत्रिम रेशा। इंदौर, रतलाम, देवास, उज्जैन व भोपाल में सूती कपड़ा। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि., भोपाल। पीथमपुर-ऑटोमोबाइल उद्योग।
- पर्वत- महू की जानापाव पहाड़ी (854 मी.) से चम्बल नदी का उद्गम। (बान्चू पाइंट) मालवा के पठार की सबसे ऊंची चोटी सिगार चोटी है, इसकी ऊंचाई 881 मीटर है।
मध्य भारत का पठार-
- मध्य भारत का पठार मालवा के पूर्वोत्तर में स्थित है। इसकी भौगोलिक स्थिति 24° उत्तरी अक्षांश से 26°48′ उत्तरी अक्षांश तथा 75°50′ पूर्वी देशान्तर से 79°10′ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। इस क्षेत्र में दोमट मिट्टी से बढ़ी हुई जलज चट्टानें पाई जाती हैं।
- मध्य प्रदेश के भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, श्योपुर, नीमच व मंदसौर जिले इसी प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां चम्बल, काली सिंध, पार्वती आदि हैं।
- यह 24° से 26°48′ उत्तरी अक्षांश व 74°50′ से 79°10′ पूर्वी देशान्तर तक फैला हुआ है।
- नदियां- चम्बल, सिंध, पार्वती, क्वारी, कूनो आदि। क्षेत्रफल- 32896 वर्ग कि.मी. (प्रदेश का 10.7 प्रतिशत)
- जिले- भिण्ड, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, नीमच व मंदसौर।
- तापमान- अधिकतम 40° से 44° से. न्यूनतम-15° से 18° से.
- वर्षा- 75 सें.मी. से कम
- वन- 20 से 27 प्रतिशत वन (मुख्य वृक्ष शीशम, खैर, बबूल)
- मिट्टी- अलोढ़ तथा काली
- उद्योग- कैलारस (सहकारी शक्कर), डबरा (चीनी कारखाना), गुना (चीनी कारखाना), शिवपुरी व बानमौर (खैर उद्योग), बानमौर (सीमेन्ट) व ग्वालियर में कृत्रिम रेशा, बिस्कुट, चीनी मिट्टी बर्तन।
बुन्देलखंड का पठार-
- बुन्देलखंड का पठार, मध्य उच्च भूमि के उत्तरी भाग को कहते हैं। इसमें मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दतिया, शिवपुरी एवं गुना जिलों के कुछ भाग आते हैं। यह पठार बुन्देलखंड नीस नामक प्राचीन चट्टानों के अपक्षय से निर्मित है।
- इसकी भौगोलिक स्थिति 24°06′ उत्तरी अक्षांश से 26°22′ उत्तरी अक्षांश तथा 77°51′ पूर्वी देशान्तर से 80°20′ पूर्वी देशान्तर के मध्य में फैली है। इस क्षेत्र में काली मिट्टी तथा लाल मिट्टी के मिश्रण से बनी हुई बलुई दोमट मिट्टी पाई जाती है। यहां के उष्णकटिबन्धीय शुष्क पतझड़ वनों में सागौन, तेन्दू, खैर, नीम, महुआ, बीजा आदि के वृक्ष पाए जाते हैं।
- उत्तरी अक्षांश- 24°06′ से 26°22′ तक
- पूर्वी देशान्तर- 77°51′ से 80°20′ तक यह पठार आर्कियन युग की ग्रेनाइट चट्टानों व नीस से निर्मित है।
- नदियां- बेतवा, धसान, केन।
- जिला- दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, शिवपुरी (पिछोर, एवं करेरा तहसीलें), ग्वालियर (डबरा, भाण्डेर), भिण्ड (लहार तहसील)।
- तापमान- अधिकतम 40-41° से., न्यूनतम 9 से 12° से.
- मिट्टी- काली, लाल, बलुई व दोमट
- दर्शनीय- ओरछा-बुन्देला राजाओं के किले, दतिया-सतखंडा महल, खजुराहो में शैव, वैष्णव, जैन मंदिर, चन्देरी किला (प्रतिहार
- कीर्तिपाल-11वीं सदी में निर्मित) जौहर कुण्ड, नौखंडा महल।
- पर्वत- सिद्ध बाबा 1172 मीटर
विन्ध्यन कगारी प्रदेश-
- विन्ध्यन कगारी प्रदेश मालवा पठार के उत्तर-पूर्व में फैला हुआ है। इसे रीवा पन्ना का पठार भी कहते हैं। इसकी भौगोलिक स्थिति 23°10′ उत्तरी अक्षांश से 25°12′ उत्तरी अक्षांश और 784′ पूर्वी देशान्तर से 82°18′ पूर्वी देशान्तर के मध्य विस्तृत है। इस पठार की ऊंचाई 300 से 450 मीटर तक है।
- यहां बलुई, लाल एवं पीली मिट्टी पाई जाती है। यहां की औसत वर्षा 125 सेमी. के लगभग है। गेहूं इस क्षेत्र की प्रमुख फसल है। इस क्षेत्र में पूर्व की ओर चावल की खेती होती है। चूना, पत्थर एवं हीरा यहां पाए जाने वाले प्रमुख खनिज हैं। कृषि यहां का प्रमुख व्यवसाय है। इस क्षेत्र के प्रमुख नगर सतना, रीवा, पन्ना, दमोह आदि हैं।
विन्ध्यन श्रेणी-
- विन्ध्याचल श्रेणी पश्चिमी मध्य प्रदेश से लेकर पूर्व में बिहार तक फैली है। इसे पश्चिम से पूर्व की ओर क्रमशः विन्ध्याचल, भाण्डेर तथा कैमूर की श्रेणियों के नाम से जाना जाता है। होशंगाबाद के पश्चिम में यह विन्ध्यन युग की चट्टानों से बनी है तथा गनूरगढ़ के पश्चिम में यह श्रेणी लावा चट्टानों से बनी है।
- इस श्रेणी की औसत ऊंचाई 500 मीटर के आसपास है, पश्चिम से पूर्व की ओर इसकी ऊंचाई कम होती जाती है। भाण्डेर, कैमूर की श्रेणियां गंगा और नर्मदा बेसिन की जलद्धिभाजक हैं। यहां से निकलने वाली नदियां चम्बल, बेतवा तथा केन उत्तर की ओर सम्पूर्ण मध्य उच्च प्रदेश से बहती हुई यमुना में मिल जाती हैं।
नर्मदा-सोन घाटी-
- मध्य प्रदेश के पूर्वी तथा पश्चिमी भाग में नर्मदा तथा सोन नदी की संकरी घाटियों के मध्य का भाग नर्मदा सोन नदी की घाटी कहलाता है। नर्मदा घाटी 22°30′ उत्तरी अक्षांश से 2345′ उत्तरी अक्षांश तथा 74° पूर्वी देशान्तर से 81°30′ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। यह घाटी मध्य प्रदेश का सबसे नीचा भाग है। यहां गहरी काली मिट्टी पाई जाती है। महादेव एवं सतपुड़ा श्रेणी पर सदाबहार वन पाए जाते हैं।
- इस क्षेत्र में गेहूं, कपास, ज्वार, चावल, बाजरा आदि फसलें उगाई जाती हैं। नर्मदा घाटी में चूने का पत्थर, फायर क्ले, गेरू, संगमरमर, पत्थर, मैंगनीज आदि प्रमुख खनिज पाए जाते हैं। सोन नदी की घाटी में चूने का पत्थर तथा कोयला पाया जाता है। इस घाटी के प्रमुख नगर जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, रायसेन, खंडवा तथा खरगौन हैं।
2. प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश
- प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग को दक्कन पठार कहते हैं। इस पठार पर स्थित सतपुड़ा श्रेणी का विस्तार मध्य प्रदेश के दक्षिणी भाग पर है। इसके पूर्व में स्थित पहाड़ी क्षेत्र को बघेलखंड पठार कहते हैं। दक्कन पठार के इस पहाड़ी पठारी भाग को निम्न दो प्रमुख हिस्सों में बांटा जा सकता है–
- सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां
- बघेलखंड पठार (पूर्वी पठार)
सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां-
- सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां दक्षिणी मध्य प्रदेश में पश्चिमी सीमा के पूर्व में स्थित हैं। इनका भौगोलिक विस्तार 21° उत्तरी अक्षांश से 23° उत्तरी अक्षांश तथा 74°30 पूर्वी देशान्तर से 81° पूर्वी देशान्तर के मध्य में स्थित है। इस क्षेत्र की अधिकतम ऊंचाई 1350 मीटर (धूपगढ़) है।
- वनों से उपज एकत्रित करना तथा खनन उद्योग में कार्य करना यहां का मुख्य व्यवसाय है। समतल भूमि वाले क्षेत्रों में कृषि होती है। छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, खंडवा, सिवनी, बैतूल, मंडला, बालाघाट, खरगौन, बड़वानी, झाबुआ इस क्षेत्र के प्रमुख नगर हैं।
बघेलखंड पठार (पूर्वी पठार)-
- मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में सोन नदी से पूर्व एक सोन घाटी के दक्षिण का क्षेत्र बघेलखंड का पठार कहलाता है। इसका विस्तार 23 40′ उत्तरी अक्षांश से 24°35′ उत्तरी अक्षांश तथा 80°05′ पूर्वी देशान्तर से 82°35′ पूर्वी देशान्तर के मध्य में स्थित है। इस प्रदेश में आद्य महाकल्प तथा जुरैसिक काल के शैल समूह मिलते हैं।
गोंडवाना शैल समूह इस प्रदेश की भौगोलिक विशेषता है। मध्य प्रदेश के प्रमुख कोयला क्षेत्र इसी प्रदेश में स्थित हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख नदी सोन है। यहां काली, लाल, पीली और पथरीली मिट्टी पाई जाती है। चावल यहां की प्रमुख फसल है,साथ ही अलसी, ज्वार एवं तिल भी उगाए जाते हैं। इस क्षेत्र में वन्य तथा पहाडी दुर्गम स्थान होने के कारण आवागमन के साधनों की कमी है।
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