राष्ट्रवादी आंदोलन में उर्दू प्रेस या उर्दू पत्रकारिता की भूमिका की चर्चा करें।

राष्ट्रवादी आंदोलन में उर्दू प्रेस या उर्दू पत्रकारिता की भूमिका की चर्चा करें।

उत्तर ⇒ भारत में 1910-1920 के बीच उर्दू पत्रकारिता का विकास हुआ। मौलाना आजाद के संपादन में 1912 में अल हिलाल तथा 1913 में अल बिलाग का कलकत्ता से प्रकाशन प्रारंभ हुआ। मो० अली ने अंग्रेजी में कामरेड तथा उर्दू में हमदर्द का प्रकाशन किया।
जहाँ तक उर्दू प्रेस का राष्ट्रवादी आंदोलन से संबंध की बात है, 1857 की क्रांति के दौरान एवं इसके पश्चात् यह अंग्रेजी राज की घोर आलोचक थी। लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में सर सैयद अहमद खाँ के बढ़ते प्रभाव ने इसे कांग्रेस समर्थित राष्ट्रीय आंदोलन एवं अंग्रेजी राज से मुसलमानों के संबंधों की नई व्यवस्था करने के लिए प्रेरित किया। हालाँकि उर्दू प्रेस ने सामान्य रूप से सर सैयद अहमद के विचारों से सहमति प्रकट नहीं की। मौलाना आजाद, मोहम्मद अली और अब्दुल बारी साहेब आदि के संपादन में प्रकाशित होने वाले पत्र पूर्णतः राष्ट्रवादी भावनाओं से ओत-प्रोत थे। इनमें से कई पत्रों के ग्राहक सर सैयद के अलीगढ़ जर्नल से कहीं अधिक थे।

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