वर्षा जल की मानव जीवन में क्या भूमिका है? इसके संग्रहण एवं पुनः चक्रण की विधियों का उल्लेख करें।

वर्षा जल की मानव जीवन में क्या भूमिका है? इसके संग्रहण एवं पुनः चक्रण की विधियों का उल्लेख करें।

उत्तर- हमारे लिए उपयोगी जल की एक बड़ी मात्रा वर्षा जल द्वारा ही पूरी होती है। खासकर हमारे देश की कृषि वर्षाजल पर ही आधारित होती है। पश्चिम भारत खासकर राजस्थान में पेयजल हेतु वर्षाजल का संग्रहण छत पर किया जाता था। प. बंगाल में बाढ़ मैदान में सिंचाई के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाने का चलन था। शक एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल को एकत्रित करने के लिए गड्ढों का निर्माण किया जाता था। जिससे मृदा सिंचित कर खेती की जा सके। इसे राजस्थान के जैसलमेर में ‘खरदीन’ तथा अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’ के नाम से पुकारा जाता है। राजस्थान के वीरान फलोदी और बाड़मेर जैसे शुष्क क्षेत्रों में पेयजल का संचय भमिगत टैंक में किया जाता है। जिसे ‘टाँका’ कहा जाता है। यह प्रायः आँगन में हुआ करता है जिसमें छत पर संग्रहित जल को पाइप द्वारा जोड दिया जाता है। मेघालय के शिलांग में छत वर्षाजल का संग्रहण आज भी प्रचलित है। कर्नाटक के मैसर जिले में स्थित गंडाथूर गाँव में छत-जल संग्रहण की व्यवस्था 200 घरों में है जो जल संरक्षण की दिशा में एक मिसाल है। वर्तमान समय में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात सहित कई राज्यों में वर्षा-जल संरक्षण एवं पुनः चक्रण किया जा रहा है।

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