वाक्य किसे कहते हैं ? स्पष्ट करते हुए वाक्य के भेदों को बताइये ।

वाक्य किसे कहते हैं ? स्पष्ट करते हुए वाक्य के भेदों को बताइये । 

उत्तर— वाक्य (Sentence)–शब्द विज्ञान के अध्ययन के उपरान्त वाक्य विज्ञान का अध्ययन आवश्यक है क्योंकि भाषा में वाक्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वाक्य-गठन या शब्दों से वाक्यों की रचना का अध्ययन वाक्य विज्ञान के अन्तर्गत होता हैं। शिक्षा – शब्दकोश में वाक्य विज्ञान के अर्थ को स्पष्ट करते हुए लिखा है—”वाक्य विज्ञान वाक्यसंरचना और शब्द सम्बन्धों, जैसे कि उपयोगों से स्थापित है, से सम्बन्धित व्याकरणात्मक अध्ययन का क्षेत्र है । “
वाक्य–वाक्य वह सार्थक शब्दों का समूह है, जो भाव को व्यक्त करने की दृष्टि से अपने में परिपूर्ण हो अर्थात् पूर्ण अर्थ प्रतीत कराने वाला हो ।
वाक्य के भेद—
विविध दृष्टियों के आधार पर हिन्दी में वाक्यों के विभिन्न भेद किये जा सकते हैं—
(A) रचना की दृष्टि से—रचना की दृष्टि से हिन्दी वाक्य के तीन भेद किये जा सकते हैं—
(1) सरल वाक्य,
(2) मिश्रित वाक्य एवं
(3) संयुक्त वाक्य |
(1) सरल वाक्य–जिस वाक्य में एक विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं। उद्देश्य एक या अधिक भी हो सकते हैं। यथा—
(i) राम जाता है। (एक उद्देश्य, एक विधेय)
(ii) राम और श्याम आ गये हैं। (दो उद्देश्य, एक विधेय) राम,
(iii) श्याम और रवि चले गये हैं। (तीन उद्देश्य, विधेय) एक
(2) मिश्रित वाक्य–जिस वाक्य में एक प्रधान वाक्य के साथ एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं, वे मिश्रित वाक्य कहे जाते हैं। यथा— जब तुम जाओगे, तभी मैं जाऊँगा।
(3) संयुक्त वाक्य–जिस वाक्य में दो या से अधिक प्रधान उपवाक्य होते हैं, वह संयुक्त वाक्य कहलाता है। इन उपवाक्यों को अव्ययों से जोड़ा जाता है। यथा–विद्या से विनम्रता आती है और विनम्रता से पात्रता आती है।
(B) क्रिया की दृष्टि से–क्रिया की दृष्टि से वाक्य के तीन मुख्य भेद हैं—
(1) कर्तृ प्रधान वाक्य,
(2) कर्म प्रधान वाक्य एवं
(3) भाव प्रधान वाक्य ।
(1) कर्तृ प्रधान वाक्य–जिस वाक्य के कर्ता में प्रथमा और कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है और क्रिया पद (पुरुष एवं वचन) कर्ता के अधीन होता है वह कर्तृ प्रधान कहलाता है। यथा— -राम पुस्तक पढ़ रहा है।
(2) कर्म प्रधान वाक्य–जिस वाकय के कर्ता में तृतीया और कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है तथा क्रिया पद ( पुरुष एवं वचन) प्रथमान्त कर्म के अनुसार होता है, वह कर्म वाच्य वाक्य कहलाता है। यथा— कुम्भकार घड़ा बना रहा है।
(3) भाव प्रधान वाक्य–जिस वाक्य में अकर्मक क्रिया होने के कारण कर्म नहीं होता है तथा कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है और क्रिया सदैव प्रथम पुरुष एक वचन के अनुसार होती है, वह वाक्य भाव प्रधान वाक्य कहलाता है। यथा— सुदामा की दीन-दशा देखते ही कृष्ण रो पड़े।
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