सहकारी अधिगम क्या है ? विज्ञान शिक्षण में सहकारी अधिगम कैसे उपयोगी है ?

सहकारी अधिगम क्या है ? विज्ञान शिक्षण में सहकारी अधिगम कैसे उपयोगी है ?

उत्तर— सहकारी अधिगम–आधुनिक मनोवैज्ञानिक शिक्षा पद्धति में बालकों की व्यक्तिगत भिन्नताओं के आधार पर शिक्षण कार्य किया जाता है। शिक्षण की रीतियों व युक्तियों में समय-समय पर बदलाव आता है तथा कक्षा शिक्षण के संबंध में हो रहे शोध कार्यों के परिणामस्वरूप अधिगामी की सीखने संबंधी दक्षताओं को अधिक प्रभावी व रोचक बनाने की दृष्टि से गत तीन दशकों से सहयोगी अधिगम (Cooperative Learning) का सूत्रपात हुआ है। सहयोगी अधिगम से आशय शिक्षक द्वारा पढ़ाई जा रही कक्षा के विद्यार्थियों को उनकी व्यक्तिगत भिन्नताओं व रुचियों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग समूह में बाँट कर पाठ्यवस्तु संबंधी विषयवस्तु का समूह को आवंटन किया जाता है। बाद में समूहवार पाठ्यवस्तु के संबंध में सहपाठी आपस में चर्चा करते हुए इस संबंध में अपना प्रतिवेदन तैयार करते हैं। अतः सभी समूहों के प्रतिवेदनों को बारी-बारी से विद्यार्थियों के समक्ष रखकर विद्यार्थियों से सम्बन्धित पाठ्यवस्तु पर खुली चर्चा कराते हुए आवश्यक मार्गदर्शन विषय के शिक्षक द्वारा दिया जाता है। सहयोगी अधिगम की एक निश्चित प्रक्रिया है जिसके उद्देश्य, कार्यविधि, सोपान इत्यादि निर्धारित हैं।
विज्ञान शिक्षण में सहकारी अधिगम की उपयोगिता– निम्नलिखित प्रकार हैं- यह अधिगम के प्रति व्यक्तिगत जवाबदेही को प्रोत्साहित करता है। सहकारी अधिगम की स्थिति में बालक विविधताओं को स्वीकार करना एवं आदर करना सीखते हैं।
सहकारी शिक्षा समूह के अन्य सदस्यों में परस्पर वार्तालाप सुनिश्चित करता है। ऐसी वार्ताएँ नई अवधारणाएँ उत्पन्न करती हैं । बालक इन अवधारणाओं को अपने वर्तमान ज्ञानात्मक ढाँचे के साथ समानता दिखाते हैं। अगर जरूरत पड़े तो वह इन नवीन ढाँचों को स्व में ढालता है। यह सब उसके ज्ञानात्मक आधार को मजबूत करने में मदद करता है।
सहकारी अधिगम एक समूह को नियोजित एवं संगठित करने में बहुत समय लेता है। अगर अध्यापक समूह के सदस्यों का मार्गदर्शन करने में असफल रहता है तो उद्देश्य लुप्त हो जाएगा और प्रक्रिया खिचड़ी बन जाएगी ।
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