शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं नवीन समय में शिक्षा मनोविज्ञान के शैक्षिक अनुप्रयोग एवं महत्त्व को समझाइये।

शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं नवीन समय में शिक्षा मनोविज्ञान के शैक्षिक अनुप्रयोग एवं महत्त्व को समझाइये।  

उत्तर— नवीन समय में शिक्षा मनोविज्ञान के शैक्षिक अनुप्रयोग एवं महत्त्व – आधुनिकता के इस युग में प्रत्येक क्षेत्र में चाहे शिक्षा जागत की बात हो अथवा संचार या यातायात के साधनों की सभी में बदलाव हुए है उसी प्रकार शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की समस्या को दूर करने हेतु शिक्षकों द्वारा अपनी दैनिक कक्षा की गतिविधियों में उपयोग किए जाने वाली आधुनिक प्रवृत्तियों में से कुछ निम्नलिखित हैं—

(1) व्यक्तित्व (Personality)— आज के शिक्षक बालक में व्यक्तित्व को जीवन को ध्यान में रखकर उनको शिक्षा प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं अर्थात् शिक्षकों को चाहिए कि वह बालकों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ उनमें उन सभी कौशलों को विकसित करें जिससे वह वातावरण के साथ समायोजन करने योग्य भी बन सकें।
(2) बुद्धिमत्ता (Intelligence)– वर्तमान समय में सिर्फ बुद्धि तक शिक्षा को सीमित रखना उचित नहीं होगा। आज शिक्षा का क्षेत्र केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं रहा अपितु वातावरणीय समायोजन, तकनीकियों के विस्तार के क्षेत्र में भी वृद्धि हो रही है । अतः आधुनिक शिक्षकों को बुद्धि के स्थान पर संवेगात्मक बुद्धिमत्ता की बात पर अत्यधिक ध्यान आकर्षित करना चाहिए। जिसके माध्यम से–
(i) बालकों के संज्ञानात्मक विकास के क्षेत्र के क्रम में बदलाव कर उनके अनुरूप उन्हें शिक्षा प्रदान करना ।
(ii) बालकों को विभिन्न परिस्थितियों में समायोजन करने की योग्यता प्रदान करना ।
(iii) बालकों को समस्या को सुलझा कर उसे समझने पर बल देना एवं पारम्परिक रटने के तरीकों को खंडित करना है।
(3) अनुशासन (Discipline)–आज के शिक्षक अनुशासन के स्थान पर कला-शिक्षण को सही ढंग से व्यवस्थित करने की बात करते हैं। शिक्षक अपने अध्यापन को इतना रोचक बना देते हैं जिससे छात्रछात्राएँ कक्षा में नीरसता का अनुभव नहीं करते, साथ ही अध्यापक छात्रों के सम्मुख आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
(4) शिक्षण विधियाँ (Teaching Method)—आज के शिक्षक, शिक्षण विधियों के स्थान पर शिक्षण तकनीकियों जैसे—मॉडल, ओवर हेड प्रोजेक्टर (OHP) इत्यादि से शिक्षण प्रक्रिया को और अधिक सुलभ बनाकर विषय-वस्तु को प्रस्तुत करते हैं जिससे छात्र कक्षामें और अधिक रुचि लेकर कार्य करते हैं। इन शिक्षण तकनीकियों को हम इस प्रकार प्रयोग में लाते हैं—
(i) नवीन तकनीकों का प्रयोग– आज के शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के लिए दृश्य श्रव्य सामग्री के रूप में स्मार्ट बोर्ड और इन्टरनेट का उपयोग करते हैं। आज के समय में छात्र एवं छात्राएँ कम्प्यूटरीकृत शिक्षा को अधिक महत्त्व देते हैं। इसीलिए विषय-वस्तु को पढ़ाने के लिए पारम्परिक तरीकों को अमान्य घोषित कर दिया गया है ।
(ii) इंटरएक्टिव विधि– कक्षा में पारम्परिक व्याख्यान विधि का पालन करने की अपेक्षा शिक्षक प्रदर्शन विधि का उपयोग करना अत्यधिक उचित समझते हैं और सवाल-जवाब पद्धति को प्रोत्साहित करता है जिससे छात्रों में रचनात्मकता का विकास होता है।
(5) मूल्यांकन– वर्तमान युग में बालकों का मूल्यांकन उनके पाठ्यक्रम वः पाठ्य सहगामी क्रियाओं के आधार पर करते हैं जिससे उनके सर्वांगीण विकास का सही व निश्चित रूप से मूल्यांकन किया जा सकता है।
उपर्युक्त सभी तथ्यों के माध्यम से यह स्पष्ट हो जाता है कि इस नये युग में शिक्षा मनोविज्ञान के माध्यम से शिक्षण एवं अधिगम प्रक्रिया को अधिक सरल एवं सरस बनाया जा सकता है।
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