संसाधनों के विकास में ‘सतत् विकास’ की अवधारणा की व्याख्या करें।

संसाधनों के विकास में ‘सतत् विकास’ की अवधारणा की व्याख्या करें।

उत्तर ⇒ संसाधन मनुष्य की जीविका का आधार है। जीवन की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए संसाधनों के सतत विकास की अवधारणा आवश्यक है। संसाधन का प्रकृति का उपहार मानकर मानव ने इसका अंधा-धुंध उपयोग करना शरू किया, जिसके कारण पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो गयी है। ससाधना के भण्डार में चिंतनीय ह्रास ला दिया है।
शक्ति सम्पन्न लोगों ने अपने स्वार्थ में संसाधनों का विवेकहीन दोहन किया जिससे विश्व पारिस्थितिकी में घोर संकट पैदा हो गया। भूमंडलीय तापन, ओजोन परत में क्षय, पर्यावरण-प्रदूषण, अम्लीय वर्षा, ऋतु-परिवर्तन जैसे संकट पैदा होते जा रहे हैं। अगर ये परिस्थिति बनी रही तो संसार के सभी मानव का जीवन संकट में पड़ जायेगा।
इन परिस्थितियों से बचने के लिए संसाधनों का नियोजित उपयोग जरूरी है। इससे पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाए भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर वर्तमान विकास को कायम रखा जा सकता है। ऐसी सोच ही सतत् विकास कही जाती है। इससे वर्तमान विकास के साथ भावी पीढ़ी की आवश्यकताएँ भी पूरी होगी और भविष्य भी सुरक्षित रह सकेगा।

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