“संसाधन हुआ नहीं करते, बना करते हैं। इस कथन की व्याख्या करें।

“संसाधन हुआ नहीं करते, बना करते हैं। इस कथन की व्याख्या करें।

उत्तर ⇒ संसार में अनकों प्राकृतिक पदार्थ बिखरे पड़े हैं जब तक उनका उपयोग नहीं किया जाता है वे संसाधन नहीं बन पाते।
मनुष्य उन्हें पता लगाता है, फिर अपनी बुद्धि, विवेक, क्षमता, तकनीक और कुशलता का प्रयोग कर अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए, आर्थिक विकास के लिए उनके उपयोग की योजना बनाता है और उपयोग में लाकर वह उन्हें संसाधन बनाता है। मनुष्य के आर्थिक विकास के लिए संसाधन अति आवश्यक होता है।
नदियाँ तभी संसाधन बन पाती हैं जब मानव उनका उपयोग सिंचाई में, जल विद्युत उत्पादन में, मत्स्यपालन में एवं जलीय यातायात के रूप में और अनेक आर्थिक कार्यों में न किया जाय। सदियों से शोक का कारण बनने वाली नदी, विनाशकारी बाढ़ लाने वाली नदी, हजारों हजार की संख्या में जान माल का क्षति पहुंचाने वाली नदी पर योजना बनाकर बाँध बनाया गया, नहरें निकाली गयी, सिंचाई का काम लिया, विद्युत उत्पादन किए गये जिससे सिंचाई और उद्योग के विकास में मदद मिलने लगी तो वही शोक पैदा करने वाली नदी प्राकृतिक संसाधन बन गई, खुशहाली का कारण बनी। इसीलिए एक भूगोलवेत्ता जिम्मरमैन ने ठीक ही कहा है कि संसाधन हुआ नहीं करते, बना करते हैं।

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