सुरक्षा और स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए ।
सुरक्षा और स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर— स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण (HSE) की अवधारणा (Concept of Health, Safety and Environment) — बढ़ते हुए औद्योगिक प्रदूषण एवं औद्योगिक दुर्घटनाओं ने औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्य करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के प्रति स्वास्थ्य विशेषज्ञों का ध्यान गया है। निरन्तर औद्योगिक प्रदूषण की उपस्थिति ने इन लोगों के स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावित किया है । इसके अतिरिक्त दुर्घटनाओं का दुष्परिणाम भी इन्हें भोगना पड़ता है। वर्तमान में पर्यावरणविदों एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण की नई संकल्पना का सृजन किया है, जिसे HSE संकल्पना कहते हैं, जो इन कर्मचारियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से जुड़ी हुई है।
स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण (HSE) एक संयुक्त शब्द है जिसे बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को नुकसान से बचाव के लिए कानूनों, नियमों, निर्देशन एवं प्रक्रिया के पालन के सन्दर्भ में किया गया है।
‘HSE’ विभाग कार्यस्थल पर कर्मचारियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षशा के प्रति उत्तरदायी है। HSE प्रबन्धन के दो सामान्य उद्देश्य है—
(i) आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव करना, जो कि असामान्य गतिविधियों के फलस्वरूप घटित होती है तथा
(ii) सामान्य स्थितियों में इन घटनाओं के दूरगामी प्रभावों को कम करना।
HSE प्रबन्धकों को आवश्यक रूप से इन स्थितियों की पहचान करने एवं HSE के नियमों को जानने की आवश्यकता है, इसके अतिरिक्त उन्हें कम्पनी के उच्च स्तरीय प्रबन्धन से सुरक्षात्मक उपायों को अपनाने के लिए विचार-विमर्श करना भी अत्यन्त आवश्यक है।
अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्रों में संगठन HSE से सम्बन्धित नियम होते हैं जिनकी कानूनी उपादेयता होती है। HSE प्रबन्धन केवल कानून से जुड़ा मुद्दा नहीं है, अपितु कम्पनियों को इसे स्वयं अपनाने के लिए उत्साहित होना चाहिए।
यदि हम स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के दृष्टिकोण से जुड़े मुद्दे पर गौर करें तो हम पाते हैं कि संगठनों/कम्पनियों को ऐसे रचनात्मक उपायों एवं प्रक्रियाओं को अपनाना चाहिए, जो कि कार्यस्थल पर आने वाली विपदाओं एवं दुर्घटनाओं को कम करें। इन उपायों में कर्मचारियों को दुर्घटना से रक्षा करने, दुर्घटना होने पर तुरन्त प्रतिक्रिया व्यक्त करने तथा आपातकालीन स्थितियों का मुकाबला करने हेतु प्रशिक्षण देना आवश्यक है ।
यदि हम पर्यावरणीय दृष्टिकोण से विचार करें तो यह आवश्यक है कि पर्यावरणीय नियमों की जानकारी होने के साथ-साथ उन्हें इसे अपनाने के लिए व्यवस्थित प्रक्रियाओं का पालन करना अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त उन्हें अपशिष्टों के प्रबन्धन एवं वायु उत्सर्जन के मानक नियमों के पालन की प्रक्रियागत विधियों की जानकारी होना भी जरूरी
है।
HSE कार्यक्रम को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संचालित करने वाली प्रमुख एजेन्सियाँ निम्नलिखित हैं—
(i) Occupational Safety and Health Administration (OSHA)
(ii) Environment Protection Agency (EPA)
(iii) Nuclear Regulatory Commission (NRC)
(iv) Mining Safety and Health Administration (MSHA) etc.
(v) European Union (EU Standards) — Health and Safety at Work Act.
प्रत्येक उद्योग के लिए एक अलग HSE गाइड लाइन होती है। इस संकल्पना को सर्वप्रथम 1985 में रसायन उद्योग में प्रयुक्त किया गया था, जो कि कुछ बड़ी दुर्घटनाओं (सेवेसो-जुलाई 1976, भोपाल त्रासदी – दिसम्बर 1984) का परिणाम थीं। इस विश्वस्तरीय स्वैच्छिक कार्यक्रम ‘उत्तरदायी देखभाल’ (Responsible Care) नाम दिया गया, को कनाडा के रसायन उद्योग एसोसिएशन द्वारा 50 देशों के सहयोग से क्रियान्वित किया गया।
इस कार्यक्रम में आठ मूलभूत प्रक्रियाओं को शामिल किया गया, जो कि प्लाण्ट एवं उत्पादन सुरक्षा, कर्मचारियों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण से जुड़ी थी ।
1990 में HSE प्रबन्ध के सामान्य उपागम के द्वारा इसे सभी प्रकार के उद्योगों से जोड़ दिया गया तथा कुछ अन्तर्राष्ट्रीय मानक तय किए गए, जिसमें प्रमुख निम्न प्रकार हैं—
(i) ISO 14001 for environment management.
(ii) OHSAS 18001 for occupational health and safety management, first published in 1999
(iii) The Eco-Management and Audit Scheme (EMAS) developed by the European Commission in 1993
1998 में अन्तर्राष्ट्रीय वित्त कॉर्पोरेशन (IFC) द्वारा HSE गाइड लाइन जारी की गई ।
अतः हम कह सकते हैं कि HSE एक नवीन एवं सुरक्षात्मक अवधारणा है, जिसे सभी संगठनों द्वारा अपनाया जाना चाहिए ।
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