शिक्षकों के लिए व्यावसायिक आचार संहिता से क्या आशय है ? विस्तार से समझाइये ।

शिक्षकों के लिए व्यावसायिक आचार संहिता से क्या आशय है ? विस्तार से समझाइये ।

उत्तर— शिक्षक के लिए व्यावसायिक आचार संहिता — वृत्तिक आचार संहिता विस्तृत सिद्धान्तों को एक श्रृंखला प्रदान करना है जो मानव जाति के जीवन में वृत्ति की प्रकृति और भूमिका पर गहन दार्शनिक चिन्तन करने के बाद प्राप्त आदर्शों की श्रृंखला से प्राप्त होता है। कुछ वृत्तियों ने राष्ट्रीय स्तर पर वृत्तिक परिषदों का निर्माण कर लिया है। इन परिषदों ने वृत्ति में प्रवेश के लिए, वृत्ति कार्य करने हेतु प्रक्रियाओं के स्तर के लिए और वृत्ति कार्य करने के लिए किसी व्यक्ति को अयोग्य ठहराने हेतु भी प्रक्रियाओं के लिए मानकों को विकसित किया है।
अध्यापकों के लिए वृत्तिक आचार संहिता का अर्थ है कि अध्यापकों को समर्पण, लगन और प्रतिबद्धता के साथ अपने कर्त्तव्यों, कार्यों और जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए।
अपने वृत्तिक संगठनों के न्यायोचित निर्देशों और नैतिक मानकों का पालन करने की स्वीकृति के साथ-साथ अध्यापक नियमों और अधिनियमों, कोसों, शिक्षण और परीक्षाओं के निश्चित कार्यक्रमों, अधिकारिक शिष्टाचार और अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों और सुझावों का पालन करने के लिए भी बाध्य होते हैं। उन्हें समय के सामाजिक मानकों और आदर्शों को उन्नत बनाना होता है।
शिक्षक के लिए व्यावसायिक आचार संहिता की विशेषताएँ—
(1) भूमिकाएँ, कर्त्तव्य और जिम्मेदारियाँ – अध्यापकों को ईमानदारी, सच्चाई और प्रभावपूर्णता के साथ-साथ अपनी भूमिकाओं, कार्यों, कर्त्तव्यों और जिम्मेदारियों (शिक्षण, नियोजन, संगठन, पर्यवेक्षण, निर्देशन, मूल्यांकन, अभिलेखन और रिपोर्ट करने के कर्त्तव्यों) का पालन करना चाहिए।
(2) दायित्व – अध्यापकों को छात्रों, अभिभावकों, समुदाय, वृत्ति और उच्च अधिकारियों के प्रति अपने दायित्वों को निभाना चाहिये।
(3) लगन, समर्पण और प्रतिबद्धता – अध्यापकों के लिए वृत्तिक नीतिशास्त्र (नैतिकता संहिता) का अर्थ है लगन, समर्पण और वृत्तिक प्रतिबद्धता । अध्यापकों को वृत्ति के प्रति सेवानिष्ठ, समर्पित और प्रतिबद्ध होना चाहिए। उन्हें छात्रों की संवेगात्मक और आध्यात्मिक बुद्धि, छात्रों की जानकारी और उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को विकसित करना चाहिए।
(4) जवाबदेही – अध्यापकों के लिए वृत्तिक नैतिक संहिता का अर्थ जवाबदेही भी होता है। अपने प्रभावशाली शिक्षण और छात्रों के प्रभावशाली अधिगम के प्रति उनकी जवाबदेही होती है ।
(5) मूल्य और आदर्श – शिक्षण के मूल्यों, विश्वासों, मानकों और आदर्शों का पालन करना अध्यापकों के वृत्तिक नीतिशास्त्र (नैतिक संहिता) का एक और घटक (विशेषता) है।
(6) नियत और शर्ते – शिक्षण वृत्ति के नियमों और शर्तों का पालन करना अध्यापकों के वृत्तिक नीतिशास्त्र (नैतिक संहिता) की एक मुख्य विशेषता है। वृत्तिक नीतिशास्त्र (नैतिक संहिता) का अर्थ है आचरण के नियमों का पालन ।
(7) श्रेष्ठता, बुद्धि और मूल्य पद्धति – अध्यापकों की वृत्तिक नैतिक संहिता, एक तरफ शैक्षिक श्रेष्ठता, शिक्षण कौशलों का भण्डार और व्यावहारिक बुद्धि तथा दूसरी तरफ मूल्य पद्धति दर्शाती है और दोनों परोपकार सम्बन्धी सेवा की ओर निर्दिष्ट होते हैं। अध्यापक को चिरस्थायी-मूल्यों-सत्यम्, शिवम् और सुन्दरम् का एक प्रत्यक्ष रूप होना चाहिए।
(8) वृत्तिक विकास – व्यक्तिगत और वृत्तिक विकास वृत्तिकत्ता का केन्द्र है और वृत्तिक नैतिक संहिता का आधार है।
(9) कोई कलंक नहीं – अध्यापकों को ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए जो व्यक्तिगत रूप से उन्हें और सामूहिकरूप से वृत्ति को कलंकित करें।
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