‘आविन्यों’ पाठ का सारांश लिखें। अथवा, ‘आविन्यों’ में लेखक ने क्या देखा क्या पाया ? वर्णन करें।

‘आविन्यों’ पाठ का सारांश लिखें।

अथवा, ‘आविन्यों’ में लेखक ने क्या देखा क्या पाया ? वर्णन करें।

उत्तर–आविन्यों फ्रांस में रोन नदी के तट पर बसा एक पुराना शहर है। कभी यह पोप की राजधानी था। आज यह गर्मियों में प्रति वर्ष होने वाले रंग-समारोह का केन्द्र है।  रोन नदी के दूसरी और आविन्यों का एक स्वतंत्र भाग वीलनव्व ल आविन्यों अर्थात् नई बस्ती हैं। पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए फ्रेच शासकों ने यहाँ किला बनवाया था। उसी में अब ईसाई मठ है-ला शत्रूज। क्रांति होने पर आम लोगों ने इस पर कब्जा कर लिया। सदी के आरम्भ में इसका जीर्णोद्वार किया गया और उसमें एक कला-केन्द्र की स्थापना की गई। यहाँ रंगकर्मी, अभिनेता, नाटककार कुछ समय रहकर रचनात्मक कार्य करते हैं। यहाँ अनेक सुविधाएँ हैं- पत्र पत्रिकाओं की दुकान है, एक डिपार्टमेंटल स्टोर, रेस्तराँ आदि। अशोक वाजपेयी को फ्रेंच सरकार ने ला शत्रूज में रहकर कुछ काम करने का न्योता दिया। वे गए और वहाँ उन्नीस दिन रहे और उस निपट एकान्त में पैंतीस कविताएँ और सत्ताइस गद्य रचनाएँ की। दरअसल, आविन्यों फ्रांस का प्रमुख कला-केन्द्र है। सुप्रसिद्ध चित्रकार पिकासो की विख्यात कृति का नाम ही है-‘ला मादामोजेल द आविन्यों।’ यहीं यथार्थवादी आन्द्रे ब्रेताँ, देने शॉ और पाल एलुआर ने संयुक्त रूप से तीस कविताएँ रचीं। इन कविताओं में वहाँ का एकान्त, निबिड़, सुनसान रातें और दिन प्रतिबिंबित हैं। यहाँ के रोन नदी के तट पर बैठना भी नदी के साथ बहना है। नदी किसी की अनदेखी नहीं करती-सबको भिंगोती है। निरन्तरता, नदी ओर कविता दोनों में हमारी नश्वरता का अनन्त से अभिषेक करती है।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *