‘एक वृक्ष की हत्या’ का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
‘एक वृक्ष की हत्या’ का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :- कवि जब कभी बाहर से आता था तब अपने घर के दरवाजे पर खड़े बढे वृक्ष को देखकर उसे एक आनंदपूर्ण संतोष मिलता था। पर आज जब वह बाहर : से घर आया तब उसे अपने घर के दरवाजे पर नहीं देखकर उसे बड़ा दुःख हुआ। उसे एक रिक्तता और खालीपन का अहसास हुआ। वह बूढ़ा वृक्ष उसके घर के दरवाजे पर हमेशा चौकस-चौकन्ना रहता था। वह वृक्ष उसके घर का पहरेदार था जैसे। पर, वह बूढ़ा चौकीदार वृक्ष किसी के स्वार्थ की बलि चढ़ गया। उसे काट डाला गया। उसकी हत्या हो गई। कवि को पहले से ही आशंका थी कि किसी की निगाहें उस बूढ़े वृक्ष पर लगी हुई हैं, वह अवश्य ही बूढे वृक्ष की हत्या कर देगा और सचमुच, हुआ भी वही। वृक्ष की हत्या कर कवि अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हुआ कहता कि हमारी असावधानी के चलते ही ऐसा होता है कि कोई प्राणिजगत की रक्षा करनेवाले को ही अपने स्वार्थ के लिए मार डाला है। वृक्ष की हत्या के बाद कवि को आशंका होती है कि कहीं लुटेरे उसके घर को, शहर को और देश को ही लूट न लें। सब जगह लूट मची है। कवि ‘लूट’ के प्रति सावधान रहने की बात करता है। वह वृक्ष । की हत्या को पर्यावरण की हत्या का एक अंग मानता है। वह पर्यावरण की चिंताओं से ग्रस्त हो जाता है। वह आत्मसजग होकर घोषणा करता है कि हमें नदियों को नाला होने से, हवा को धुंआ होने से (विषाक्त होने से) और खाद्य पदार्थ को जहर होने से (कीटनाशक दवाओं के छिड़काव और रासायनिक खादों के प्रयोग से खाद्य पदार्थों के जहर होने से) बचाना है। जंगलों के काटने से मरुस्थलों का लगातार विस्तार हो रहा है और भौतिकता के प्रति विशेष आग्रह के कारण सभ्य कहलानेवाला आदमी निरंतर असभ्य होता जा रहा है। कवि इस चिंता से ग्रस्त है। कवि इन तमाम आशंकाओं के बीच अपने कर्मठ होने का परिचय देते हुए कहता है कि हमें इन सारी अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। हमें हर कीमत पर अपने घर, नगर, देश, नदियों, हवा, खाद्य-पदार्थ, जंगल तथा मानव की सुरक्षा करनी है। . तुरंत काटे गए एक वृक्ष के बहाने पर्यावरण, मनुष्य और सभ्यता के विनाश की ‘अंतर्व्यथा को यह कविता अभिव्यक्त करती है।
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