एक शिक्षक के रूप में शिक्षण की कौनसी विशेषताओं को व्यवसाय के रूप में देखते हैं ? बताइये ।
एक शिक्षक के रूप में शिक्षण की कौनसी विशेषताओं को व्यवसाय के रूप में देखते हैं ? बताइये ।
उत्तर— शिक्षण की निम्न विशेषताओं को हम व्यवसाय के रूप में देखते हैं—
(1) व्यक्ति या समाज की आवश्यकता पूर्ति से जुड़े होना– किसी भी व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य वैयक्तिक अथवा सामाजिक आवश्यकता को पूरा करना होता है। ये आवश्यकताएँ जीवन की अनिवार्य आवश्यकताएँ मानी जाती हैं। शिक्षक व्यवसाय तो सम्पूर्ण समाज का निर्माण करता है। प्रत्येक व्यवसाय की नींव शिक्षण पर आधारित है। वकील, डॉक्टर, इन्जीनियर, फिटर इत्यादि सभी को व्यवसायों में निपुणता प्राप्त करने के लिए शिक्षण अनिवार्य है। किसी भी प्रकार के कौशल में निपुणता प्राप्त करने के लिए शिक्षक की अनिवार्य एवं महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है ।
(2) सामाजिक प्रतिबद्धता– प्रत्येक व्यवसाय की सामाजिक प्रतिबद्धता होती है अर्थात् प्रत्येक व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों को किसी न किसी रूप में समाज के प्रति जवाबदेह होना ही पड़ता है। शिक्षक व्यवसाय में शिक्षक अपने विद्यार्थियों के प्रति उनके माता-पिता के प्रति, अभिभावकों के प्रति, प्रधानाध्यापक तथा प्रबन्धन के प्रति प्रतिबद्ध होता है।
(3) स्वतन्त्र एवं स्व-नियमन– व्यवसाय किसी भी प्रकार का हो प्रत्येक व्यवसाय में स्वतन्त्रता और स्व-नियमन के लक्षण पाए जाते हैं। शिक्षक व्यवसाय में तो अध्यापक व अध्यापक समूह का अपना विवेक उनकी कार्य प्रणाली को बहुत अधिक प्रभावित करता है ।
(4) सेवा शुल्क– व्यवसाय कोई भी हो प्रत्येक व्यावसायिक समूह अपनी सेवाएँ प्रदान करने के एवज में एक निर्धारित शुल्क लेते हैं । सेवा शुल्क के रूप में शिक्षक एक निश्चित वेतन प्रबन्धन या सरकार से प्राप्त करते हैं ।
(5) व्यावसायिक आचार संहिता– प्रत्येक व्यवसाय की अपनी एक आचार संहिता होती है जो कि उस व्यवसाय से जुड़ी परिषद् द्वारा निर्धारित की जाती हैं। इसी प्रकार शिक्षकों को अपने विद्यालयों में प्रधानाध्यापक एवं प्रबन्धन द्वारा निर्धारित की गई आचार संहिता का पालन करना होता है।
(6) व्यावसायिक संघ का होना– प्रत्येक व्यवसाय में एक व्यावसायिक संघ की स्थापना की जाती है। इस संघ का कार्य उस व्यवसाय की संवृद्धि और विकास होता है। शिक्षक व्यवसाय से सम्बन्धित विभिन्न परिषद् एवं आयोग गठित किए गए हैं जो शिक्षा एवं शिक्षक से सम्बन्धित नियम-विनिमय पारित करते हैं। ये संगठन हैं, (NCTE राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षण परिषद्), (NCERT राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्), (UGC विश्वविद्यालय अनुदान आयोग )।
(7) दीर्घकालीन प्रशिक्षण– प्रत्येक व्यवसाय के लिए एक विशेष प्रशिक्षण होता है। उस प्रशिक्षण में उस व्यवसाय से सम्बन्धित विशिष्ट ज्ञान एवं कौशल सिखाए जाते हैं। प्रशिक्षण पूर्ण होने के पश्चात् उस व्यवसाय को करने के लिए अनुमति या प्रमाण पत्र दिया जाता है। शिक्षक व्यवसाय के लिए बी.टी.सी., बी.एड., एम.एड., (B.T.C. B.Ed, M.Ed.) आदि बहुत से प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here