‘कवयित्री अनामिका की ‘अक्षर-ज्ञान’ शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।

‘कवयित्री अनामिका की ‘अक्षर-ज्ञान’ शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर :- अबोध बालक हिंदी वर्णमाला के अक्षर पाटी पर (स्लेट पर) साधने चला है। वह ‘क’ लिखता है, पर उसका ‘क’ निर्धारित स्थान की सीमा का उल्लंघन कर जाता है, वह चौखटे में नहीं अँटता। उसे बताया गया है कि ‘क’ से कबूतर होता है। उसका ध्यान ‘क’ लिखते समय कबूतर पर होता है, उसका ‘क’ रेखा के इधर-उधर फुदक जाता है। ‘ख’ के साथ भी यही होता है। वह जानता है-‘ख’ से खरहा होता है। ‘ख’ लिखते समय उसका ध्यान ‘ख’ से ज्यादा खरहा पर होता है। परिणामस्वरूप उसका ‘ख’ रेखा से उतर जाता है। वह अबोध बालक ‘ग’ भी ठीक से नहीं लिख पाता। उसका ‘ग’ टूटे हुए गमले-सा इधर-उधर बिखर जाता है। घड़ा जैसे लुढ़कता है ठीक उसी तरह उस बालक का ‘घ’ भी लुढ़कता हुआ-सा दिखता है। रेखाओं के बीच वह ‘घ’ सही-सही नहीं बैठा पाता। ‘ङ’ लिखते समय तो वह बहुत परेशान हो जाता है। वह ‘ङ’ को दो हिस्सों में बाँटता है-‘ड’ और ‘ड’ के बगल में लगनेवाला बिंदु (.)। ‘ड’ उसे माँ की तरह दिखाई पड़ता है और बगल का बिंदु (.) माँ की गोद में बैठे हए बेटे की तरह। माँ और बेटे को एक साथ साधने में अपने को असमर्थ पाता है। वह ‘ङ’ लिखने की कोशिश करता है, पर हर बार वह असफल हो जाता है। अपनी विफलता के कारण उसके आँखों में आँसू आ जाते हैं। बालक के उन सजह-निश्छल आँसू की बूंदों पर कवयित्री टिप्पणी करती है कि “पहली विफलता पर छलके ये आँस ही/हैं शायद प्रथमाक्षर/सृष्टि की विकास-कथा के।” सृष्टि की विकास-कथा विफलता पर छलके हुए आँसू के प्रथमाक्षर से ही लिखी गई है शायद !

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