कविता का मूल भाव क्या है ? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए ? अथवा, ‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता का भावार्थ लिखें।

कविता का मूल भाव क्या है ? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए ? अथवा, ‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता का भावार्थ लिखें।

उत्तर :- प्रस्तुत कविता आधुनिक भारत में जनतंत्र के उदय का जयघोष है। सदियों की पराधीनता के बाद स्वतंत्रता-प्राप्ति हुई और भारत में जनतंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा हुई । जनतंत्र के ऐतिहासिक और राजनीतिक अभिप्रायों को कविता में उजागर करते हुए कवि यहाँ एक नवीन भारत का शिलान्यास करता है जिसमें जनता ही स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ होने का है। इसमें कवि ने जनता निहित शक्ति को उजागर करते हुए जनतंत्र की महत्ता को स्थापित करने पर बल दिया है। राजतंत्र की जड़ को उखाड़ फेंकने की ताकत जनता में है और राजसिंहासन का वास्तविक अधिकारी प्रजा ही है, ऐसा चित्रण किया गया है।

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