कविता की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए एक टिप्पणी लिखें।
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उत्तर :- आज प्राचीन सभ्यता का ह्रास हो रहा है। पर्यावरण का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। वृक्ष एवं जंगल काटे जा रहे हैं। मानवता का गुण नष्ट हो रहा है। पशुता एवं राक्षसत्व का गुण बढ़ रहा है । नदियों का स्वच्छ जल प्रदूषित हो रहा है। ऐसी विषम परिस्थितियों में कवि का इस ओर ध्यान दिलाना प्रासंगिक है। आज के प्रसंग में कवि की कल्पना चरितार्थ हो रही है। कवि का अंदेशा सत्य हो रहा है। हमें वृक्ष, पर्यावरण, मनुष्यता; सभ्यता एवं राष्ट्रीयता के प्रति संवेदनशील होना होगा। इन सबकी रक्षा के लिए गंभीरता से विचार करना होगा ताकि आने वाला समय सुखद हो, धरती पर मानवता स्थापित हो सके, संस्कारक्षम वातावरण का निर्माण किया जा सके।
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