कुटीर उद्योग के महत्त्व एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालें।
कुटीर उद्योग के महत्त्व एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालें।
उत्तर ⇒ भारत में औद्योगिकीकरण ने कुटीर उद्योगों को काफी क्षति पहुँचाई परंतु दस विषम परिस्थिति में भी गाँवों में यह उद्योग फल-फूल रहा था, जिसका लाभ आम जनता को मिल रहा था महात्मा अनुसार लघु एवं कुटीर उद्योग भारतीय सामाजिक दशा के अनकल हैं। कटीर उद्योग उपभाक से अत्यधिक संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने में तथा रा. जैसे महत्त्व से जुड़ा है। सामाजिक तथा आर्थिक समस्या स्याओं का समाधान कुटीर उधागों द्वारा ही होता है। कटीर उद्योग में बहत कम पूँजी का अ जी की आवश्यकता होती है। कुटीर उद्योग में वस्तुओं के उत्पादन करने की क्षमत असर उद्योग में वस्तुओं के उत्पादन करने की भापता कछ लोगों क हाथ म न रहकर बहुत से लोगों के हाथ में रहती है। कटीर उद्योग जनसंख्या का या को बड़े शहरों में पलायन को रोकता है। कुटीर उद्योग गाँवों को आत्मनिर्भर बनाने का एक औजार है। आद्यागिकीकरण के विकास के पहले भारतीय निर्मित वस्तुओं का विश्वव्यापी बाजार था। भारतीय मलमल तथा छींट सती कपड़ों की माँग पूरे विश्व में थी। ब्रिटेन भारतीय हाथों से बनी हई वस्तओं का ज्यादा महत्त्व दिया जाता था। हाथों से बन महीन धागों के कपडे तसर मिल्क बनारसी तथा बालुचेरी साड़िया तथा बने हुए बॉडर वाली साडियाँ एवं मद्रास की लंगियों की मांग ब्रिट अधिक थी। चूंकि ब्रिटिश सरकार की नीति भारत में विद बाटश सरकार की नीति भारत में विदेशी निर्मित वस्तओं आयात एवं भारत के कच्चा माल के निर्यात को प्रोत्साहन देना था, इसलिए ग्रामीण उद्योगों पर ध्यान नहीं दिया गया। फिर भी स्वदेशी आंदोलन के समय खादी जैसे वस्त्रों की माँग नं कुटीर उद्योग को बढ़ावा दिया।