जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।
जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ की मृत्यु के बाद प्रशा का राजा विलियम प्रथम बना। वह राष्टवादी था तथा प्रशा के नेतत्व में जर्मनी का एकीकरण करना चाहता था। विलियम जानता था कि आस्टिया और फ्रांस को पराजित किए बिना जर्मनी का एकीकरण संभव नहीं है। अतः उसने 1862 ई० में ऑटोबॉन बिस्मार्क को अपना चांसलर (प्रधानमंत्री) नियुक्त किया। बिस्मार्क प्रख्यात राष्ट्रवादी और कूटनीतिज्ञ था। जर्मनी के एकीकरण के लिए वह किसी भी कदम को अनुचित नहीं मानता था। उसने जर्मन राष्ट्रवादियों के सभी समूहों से संपर्क स्थापित कर उन्हें अपना प्रभाव में लाने का प्रयास किया। बिस्मार्क का मानना था कि जर्मनी की समस्या का समाधान बौद्धिक भाषणों से नहीं, आदर्शवाद से नहीं वरन् प्रशा के नेतृत्व में रक्त और लाह को नीति से होगा। 1871 ई० में फ्रैंकफर्ट की संधि द्वारा दक्षिणी रान्य उत्तरी जर्मन महासंघ में मिल गए। अंततोगत्वा जर्मनी 1871 ई० में एक एकीकृत राष्ट्र के रूप में यूरोप के मानचित्र पर उभरकर सामने आया। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण थी।