ज्ञान की परिभाषा बताते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिए ।

ज्ञान की परिभाषा बताते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिए । 

उत्तर— ज्ञान की परिभाषा एवं अर्थ-ज्ञान के अर्थ को निम्नलिखित परिभाषाओं के आधार पर समझ सकते हैं—

(1) प्रो. रसल के अनुसार, “ज्ञान वह है जो मनुष्य के मन को प्रकाशित करता है । “
हमारे मन की आँखें खोलता है। यह अज्ञानता और व्याख्याअन्धविश्वासों को दूर करता है।
(2) हॉब्स ने कहा है कि, “ज्ञान शक्ति है। “
व्याख्या—इस ज्ञान में जो कुछ भी वृद्धि होती है वह मानव शक्ति में वृद्धि है। सामान्यतया ज्ञान शब्द या जानने शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से तीन अर्थों में प्रयोग किया जाता है ।
(3) प्रत्ययवादी के अनुसार, “ज्ञान को आदर्श का ज्ञान मानते है। “.
प्रत्ययवादी ज्ञान की प्रक्रिया में वस्तु से मन को अधिक महत्त्व देते हैं, जबकि कुछ ज्ञान मीमांसक ज्ञान के लिए वस्तु की उपस्थिति (Presence of Object) अनिवार्य मानते हैं और इस प्रकार यह विश्वास करते हैं कि प्रत्येक ज्ञान की प्रक्रिया में ज्ञाता का ज्ञान और ज्ञेय का ज्ञान होता है। (Every knowledge is a knowledge of both knower and known) अन्य ज्ञान मीमांसक ज्ञाता के ज्ञान को ज्ञेय के ज्ञान से भिन्न मानते हैं ।
(4) विलियम जेम्स के अनुसार, “ज्ञान व्यावहारिक प्राप्ति और सफलता का दूसरा नाम है।”
व्याख्या–ज्ञान हमारे चरित्र का निर्माण करता है, हमें अनुशासित करता है और हमारे जीवन को सार्थक और सफल बनाता है। व्यावहारिक, क्रियात्मक (Active) और गतिशील ज्ञान ही उपयोगी ज्ञान है।
(5) प्रो. जोड के अनुसार, “ज्ञान हमारी उपस्थिति, जानकारी और अनुभवों के भण्डार में वृद्धि का नाम है। “
सुकरात (Socrates) के अनुसार, “ज्ञान सर्वोच्च सद्गुण है।”
(6) वस्तुवादी के अनुसार, “ज्ञान को वस्तु का ज्ञान मानते हैं।”
व्याख्या—वस्तुवादी ज्ञान की प्रक्रिया में ज्ञाता (मन) की अपेक्षा वस्तु (ज्ञात) को अधिक महत्त्व देते हैं।
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