नहानघर की नाली क्षणभर के लिए पूरी भर गई, फिर बिल्कुल खाली हो गई की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
नहानघर की नाली क्षणभर के लिए पूरी भर गई, फिर बिल्कुल खाली हो गई की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति विनोद कुमार शुक्ल की रचना ‘मछली’ से ली गई है। बच्चों के मन में अभिलाषा थी कि मछली को कुआँ में डालकर पालेंगे । उसको लेकर कल्पना किया। उसे बचाने का प्रयास किया। लेकिन सब कुछ-कुछ देर के लिए चला। अंततः मछलियाँ काट दी गयीं। उनकी इच्छाएँ अधूरी रह गयीं । बच्चा नहानघर में जाकर मछली को याद करता है। पानी को बाल्टी से नाली में गिराता है जो क्षण भर के लिए नाली को भर देता है लेकिन फिर नाली खाली हो जाती है। इसी प्रकार उसकी मनोकामनाओं का पुँज मन को सुखद अवस्था में पहुँचाता है लेकिन कुछ देर पश्चात् परिस्थितियाँ विपरीत हो जाती है और स्वप्न बिखर जाते हैं। पश्चात्ताप के अलावा कुछ भी शेष नहीं रह जाता है।
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