पर अब बहादुर से भूल-गलतियाँ अधिक होने लगी थीं । व्याख्या कीजिए।
पर अब बहादुर से भूल-गलतियाँ अधिक होने लगी थीं । व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- प्रस्तत गद्याश हिन्दा कथा जगत के प्रकांड पंडित भो लिखित ‘बहादुर’ नामक शीर्षक से अवतरित है । इस गद्यांश में बहादा की भल और गलतियों के स्वरूप को एक रेखाचित्र के रूप में दर्शाया गया है।
प्रस्तुत अंश के माध्यम से पता चलता है कि बहादुर एक ईमानदार नेक. कर्मठ. सुशील और भावुक नौकर था। वह दबाव में रहकर काम करने का इच्छुक नहीं था। वह प्यार और मधुरता का कायल था। लेकिन इधर कुछ दिनों से लेखक के परिवार के कुछ सदस्य उसके साथ काफी कठोरता बरतने लगे, जिससे बहादुर के भावुक हृदय पर ठेस लगी। इसी कारण वह अन्यमनस्क रूप से कार्य करने लगा। उसके हृदय में हमेशा डर व्याप्त रहता । इसी कारण अब उससे भूल और गलतियाँ अधिक होने लगी थीं।
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