पाठ्यक्रम निर्धारण के सांस्कृतिक आधार पर टिप्पणी लिखिए ।

पाठ्यक्रम निर्धारण के सांस्कृतिक आधार पर टिप्पणी लिखिए ।

उत्तर— पाठ्यक्रम निर्धारण के सांस्कृतिक आधार–संस्कृति की अवधारणा अत्यन्त जटिल है तथा उसका प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जाता है। इस सम्बन्ध में टॉयलर ने उचित ही कहा है, “संस्कृति एक जटिल सम्पूर्ण है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कलाएं, नीति, विधि, रीतिरिवाज और समाज के सदस्य होकर मनुष्य द्वारा अर्जित अन्य योग्यताएँ एवं आदतें सम्मिलित हैं । “
संस्कृति का प्रत्यय अत्यधिक व्यापक है और इसका सम्बन्ध व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पक्षों से है। अपने व्यापक अर्थ में व्यक्ति द्वारा जो कुछ भी अर्जित किया जाता है, वह सब संस्कृति में सम्मिलित है। शिक्षा भी अर्जित की जाती है न कि वह कोई जन्मजात गुण है । इस प्रकार शिक्षा भी संस्कृति का एक अंग है। वस्तुत: शिक्षा के स्वरूप, उद्देश्य एवं अन्य पक्षों का निर्धारण संस्कृति द्वारा ही होता है । इस प्रकार शिक्षा एवं संस्कृति का परस्पर अत्यन्त घनिष्ठ सम्बन्ध है।
समाज की जैसी संस्कृति होती है, उसी के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था की जाती है । जहाँ की संस्कृति में धर्म अथवा आध्यात्मिक भावना प्रधान होती है, वहाँ पर शिक्षा शाश्वत मूल्यों की प्राप्ति पर बल देती है। यदि समाज की संस्कृति का स्वरूप भौतिक होता है तो शिक्षा द्वारा भौतिक उद्देश्यों की प्राप्ति का प्रयास किया जाता है। जिस समाज की कोई संस्कृति नहीं होती उसकी शिक्षा का स्वरूप भी अनिश्चित होता है। संस्कृति के द्वारा उसके समाज की शैक्षिक प्रक्रिया पर्याप्त सीमा तक प्रभावित होती है। संस्कृति द्वारा शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम, शिक्षणविधियाँ, विद्यालय एवं अनुशासन के स्वरूप का निर्धारण होता है।
शिक्षा के पाठ्यक्रम को भी संस्कृति अत्यन्त प्रभावित करती है। चूँकि समाज की संस्कृति शिक्षा के उद्देश्यों का निर्माण करती है और पाठ्यक्रम इन उद्देश्यों की प्राप्ति का साधन है। अतः पाठ्यक्रम समाज की संस्कृति पर ही आधारित होता है। चूँकि विद्यालय समाज का लघु रूप है। इसीलिए समाज में फैली हुई संस्कृति विद्यालयों में दिखाई देती है। इस दृष्टि से विद्यालय समाज की संस्कृति के केन्द्र होते हैं। संस्कृति शिक्षक, शिक्षार्थी, शिक्षण विधि और अनुशासन व्यवस्था पर भी व्यापक प्रभाव डालती है। इसी प्रकार नारी शिक्षा, सहशिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा आदि शैक्षिक समस्याओं के विषय में निर्णय भी संस्कृति के आधार पर किए जाते हैं।
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