बंबई की चॉल और उनमें रहने वालों के जीवन पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें।

बंबई की चॉल और उनमें रहने वालों के जीवन पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें।

उत्तर ⇒ चॉल मुख्यतः गरीब लोगों और बाहर से बंबई में आकर बसनेवाले लोगों के लिए बनवाए गए। 1901 की जनगणना के अनुसार बंबई की लगभग 80 प्रतिशत आबादी इन चॉलों में रहती थी।
चॉल बहुमंजिली इमारतें थी। इनमें एक कमरे के मकान (खोली) कतार में बने होते थे। इनमें शौचालय और नल की व्यवस्था सार्वजनिक रूप से की गई थी। एक कमरे में औसतन चार-पाँच व्यक्ति रहते थे। कमरों का किराया अधिक होने के कारण कई मजदूर मिलकर एक कमरा ले लेते थे। एक चॉल में सामान्यतः एक ही जाति बिरादरी वाले रहते थे।
चॉलों का वातावरण अत्यंत दूषित और अस्वास्थ्यकर था। इनके पास ही खुले गटर और गंदी नालियाँ बहती थी। भैंसों के तबेले भी इनके पास ही रहते थे। इसस बराबर दुर्गंध आती रहती थी। शौचालयों में जाने के लिए एवं पानी लेने के लिए नल पर कतारें लगानी पड़ती थी। कमरों में स्थान की कमी होने के कारण सड़कों पर और सार्वजनिक स्थान पर खाना बनाया जाता था, कपड़ा धोया जाता था और सोया भी जाता था। खाली जगहों पर शराब की दुकानें एवं अखाड़े भी खोल लिए जात थे। सार्वजनिक स्थलों पर विविध प्रकार के मनोरंजन भी किए जाते थे। चॉलों में रहनेवालों का जीवन चॉलों में ही सिमटा हुआ था। यहीं उन्हें रोजगारों, हड़तालों, प्रदर्शनों और अन्य गतिविधियों के विषय में जानकारी मिलती थी। इस प्रकार चॉलों में रहनेवालों के लिए बंबई कठिनाइयों और संघर्ष का पर्याय था।

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