बालकेन्द्रित पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं ?

बालकेन्द्रित पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं ? 

                           अथवा
बालकेन्द्रित पाठ्यक्रम की क्या-क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर— बालकेन्द्रित पाठ्यक्रम—शिक्षा में बढ़ती हुई मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप वर्तमान समय में विषय-केन्द्रित शिक्षा का स्थान बाल-केन्द्रित शिक्षा ने ले लिया है । अत: पाठ्यक्रम का आयोजन भी बालक को केन्द्र मानकर किया जाने लगा है। यह पाठ्यक्रम प्रयोगवादी विचारधारा पर आधारित है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम में विषयों को महत्त्व न देकर बालकों को महत्त्व दिया जाता है। पाठ्यक्रम का संगठन बालक की प्रकृति, आवश्यकता एवं रुचि के आधार पर किया जाता है, जिससे उसके व्यक्तित्व का समुचित विकास हो सके। इस प्रकार के पाठ्यक्रम का सूत्रपात जॉन डीवी के लेबोरेटरी स्कूल (Laboratory School) से हुआ। जेम्स एम. ली ने बाल केन्द्रित पाठ्यक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया है—”छात्र केन्द्रित पाठ्यक्रम वह है जो पूर्णतः और समग्र रूप में सीखने वाले में निहित है। “
बाल केन्द्रित पाठ्यक्रम की प्रमुख विशेषतायें–इस पाठ्यक्रम की प्रमुख विशेषतायें निम्न प्रकार हैं—
(1) इस पाठ्यक्रम में बालकों की परिवर्तित आवश्यकताओं, रुचियों, अभिरुचियों, संवेगों आदि को आधार बनाया जाता है।
(2) यह पाठ्यक्रम क्रियात्मक (Functional) होता है।
(3) यह शिक्षार्थियों को साभिप्राययुक्त (Purposeful) अनुभव प्रदान करता है ।
(4) यह बालकों पर सीखने का उत्तरदायित्व डालता है।
(5) मनोविज्ञान इस बात पर बल देता है कि यदि बालक की रुचियों एवं आवश्यकताओं पर ध्यान नहीं दिया जायेगा तो उसका समुचित विकास नहीं हो सकेगा। अतः यह पाठ्यक्रम मनोवैज्ञानिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
(6) आधुनिक शिक्षण पद्धतियाँ, जैसे—मॉण्टेसरी पद्धति, किण्डरगार्टन पद्धति आदि का आधार बाल केन्द्रित पाठ्यक्रम ही है।
(7) यह पाठ्यक्रम प्रयोगवादी विचारधारा (Philosophy of Experimentalism) पर आधारित है ।
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