भारतीय संविधान से प्राप्त शिक्षा के उद्देश्य कौनकौनसे हैं ? वर्णन कीजिए ।
भारतीय संविधान से प्राप्त शिक्षा के उद्देश्य कौनकौनसे हैं ? वर्णन कीजिए ।
उत्तर— भारतीय संविधान से प्राप्त शिक्षा के उद्देश्य – भारतीय संविधान में मानव व्यक्तित्व की सुरक्षा तथा उसके विकास के लिए कुछ मूल अधिकारों की व्यवस्था की गयी है। भारत में जनतन्त्र का उद्देश्य उत्तम जीवनयापन है। भारतीय संविधान निर्माताओं ने देश में जनतंत्रात्मक समाजवाद लाने का प्रयास किया है, जिसके अन्तर्गत सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय और राजनैतिक न्याय प्राप्त करते हुए सभी को व्यक्तित्व के विकास के समान अवसर प्रदान करने की चेष्टा की गयी है ।
(1) समानता प्रदान करना– योग्यताओं तथा क्षमताओं के अनुसार सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं धार्मिक समानता प्रदान करना समाजवादी सामाजिक ढाँचे का उद्देश्य है ।
(2) न्याय की व्यवस्था– सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय प्रदान करना समाजवादी सामाजिक ढाँचे का एक और लक्ष्य है।
(3) स्वतन्त्रता प्रदान करना– समाजवादी समाज व्यक्ति एवं समाज के कल्याण के लिए अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म तथा भक्ति की स्वतन्त्रता प्रदान करना चाहता है ।
(4) वर्गहीन समाज की स्थापना– समाजवादी समाज वर्गहीन समाज की स्थापना में विश्वास रखता है। परन्तु यह परिवर्तन वर्गों की परस्पर घृणा पर आधारित नहीं होना चाहिए ।
(5) व्यक्ति तथा समाज दोनों की भलाई– समाजवादी समाज व्यक्ति के विकास के लिए प्रयत्न करना चाहता है और इस सामाजिक व्यवस्था में व्यक्ति सामाजिक विकास के लिए प्रयत्नशील रहता है । इसमें शिक्षा के व्यक्तिवादी तथा समाजवादी उद्देश्यों का सुखद समन्वय होता है।
(6) नागरिकता का उद्देश्य– नागरिकता के रूप में प्रत्येक व्यक्ति के कुछ अधिकार और कुछ कर्त्तव्य होते हैं। जनतांत्रिक शासन व्यवस्था में तो नागरिकों की जवाबदेही बहुत अधिक बढ़ जाती है। आज के जनतांत्रिक देश में नागरिकों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। अतः उसे नागरिकता का प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है। कुछ विद्वानों का तो मत है कि लोकतांत्रिक देशों में नागरिकता का प्रशिक्षण देना शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए।
(7) अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एवं विश्व शान्ति– संविधान में यह भी कहा गया है कि अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत शान्ति व सुरक्षा को समृद्ध बनायेगा । अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थता द्वारा निपटाने का प्रयास करेगा। सार रूप में, भारत विश्व शान्ति के मार्ग पर चलेग ।
(8) कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आदर्श– संविधान के नीति निर्देशक तत्त्वों के अध्ययन से यह सिद्धान्त स्पष्ट हो जाता है कि संविधान निर्माताओं द्वारा भारत के लिए एक आदर्श निश्चित किया गया है और वह आदर्श है कल्याणकारी राज्य की स्थापना। भारतीय संविधान निर्माता स्पष्ट रूप से यह चाहते थे कि भारत की केन्द्रीय और राज्य सरकारें भारतीय नागरिकों को पुष्टिकर भोजन, वस्त्र, निवास, शिक्षा और स्वास्थ्य की अधिकाधिक सुविधाएँ प्रदान करें, उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठायें और उनके द्वारा अधिक से अधिक सम्भव सीमा तक आर्थिक समानता की स्थापना हो जाये । इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नियोजन की पद्धति को अपनाया गया है और समाजवादी ढाँचे के समाज की स्थापना की नीति निर्धारित की गयी है ।
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