भारत में कृषि के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।

भारत में कृषि के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।

उत्तर- कृषि आदिकाल से किया जानेवाला आर्थिक क्रियाकलाप है। भारत में पायी जानेवाली विविध भौगोलिक एवं सांस्कृतिक परिवेश ने कृषि तंत्र को समय के अनुरूप प्रभावित किया है। भारतीय कृषि के प्रकार निम्नलिखित हैं –

(i) प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि- यह अति प्राचीन काल से की जानेवाली कृषि का तरीका है। इसमें परंपरागत तरीके से भूमि पर खेती की जाती है। खेती के औजार भी काफी परंपरागत होते हैं जैसे लकड़ी का हल, कुदाल, खुरपी। इसमें जमीन की जुताई गहराई से नहीं हो पाती है। कृषि में आधुनिक तकनीक के निवेश का अभाव रहता है। इसलिए उपज कम होती है और भूमि की उत्पादकता कम होने के कारण फसल का प्रति इकाई उत्पादन भी कम होता है। देश के विभिन्न भागों में इस प्रकार की कृषि को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है।
(ii) गहन जीविका कृषि-  इस कृषि पद्धति को ऐसी जगह अपनाया जा है जहाँ भमि पर जनसंख्या का प्रभाव अधिक है। इसमें श्रम की आवश्यकता और है। परंपरागत कृषि कौशल का भी इसमें भरपूर उपयोग किया जाता है। भमि की उर्वरता को बनाए रखने के लिए परंपरागत ज्ञान, बीजों के रख-रखाव एवं मौसा
संधी अनेक ज्ञान का इसमें उपयोग किया जाता है। जनसंख्या बढ़ने से जोतों का आकार काफी छोटा हो गया है। वैकल्पिक रोजगार के अभाव में भी जरूरत से ज्यादा जनसंख्या इस प्रकार की कृषि में संलग्न है।
(iii)व्यापारिक कृषि- व्यापारिक कृषि में अधिक पूँजी, आधुनिक कृषि तकनीक का निवेश किया जाता है। अत: किसान अपनी लगाई गई पूँजी से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। आधुनिक कृषि तकनीक से अधिक पैदावार देनेवाले परिष्कृत बीज, रासायनिक खाद, सिंचाई, रासायनिक कीटनाशक आदि का उपयोग किया जाता है। इस कृषि पद्धति को भारत में हरित क्रांति के फलस्वरूप व्यापक रूप से पंजाब एवं हरियाणा में अपनाया गया। भारत में चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला आदि फसलें मुख्यतः व्यापार के लिए उपजाई जाती है।

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