मुदालियर आयोग के अनुसार शिक्षा के क्या उद्देश्य हैं ?

मुदालियर आयोग के अनुसार शिक्षा के क्या उद्देश्य हैं ?  

उत्तर— मुदालियर आयोग के अनुसार माध्यमिक के उद्देश्य– निम्नलिखित हैं—

(1) कुशल नागरिकता का विकास— आयोग का पहला उद्देश्य छात्रों में कुशल नागरिकता का विकास करना था। माध्यमिक शिक्षा इस प्रकार की हो जिससे छात्रों में राष्ट्र प्रेम, अनुशासन, सहयोग, वर्ग भेद को अस्वीकार करने, विचारों की स्वतन्त्र अभिव्यक्ति तथा साम्प्रदायिकता से दूर रहने की भावना का विकास हो । चूँकि भारत एक धर्म-निरपेक्ष राष् है इसलिए अच्छे नागरिकों का निर्माण करना शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए।
(2) नेतृत्व का विकास– माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था इस प्रकार हो जिससे कि छात्रों के अन्दर नेतृत्व करने की कला का विकास हो ताकि छात्र भविष्य में सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्रों में नेतृत्व ग्रहण करके उपयुक्त संचालन करने में सक्षम हों ।
(3) छात्रों में व्यक्तित्व का विकास– माध्यमिक शिक्षा का उद्देश्य छात्रों के व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास करना होना चाहिए । माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था इस प्रकार हो जिससे छात्रों को वास्तविक जीवन का ज्ञान, स्वास्थ्य शिक्षा तथा नैतिक एवं चारित्रिक विकास सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त हो ।
(4) व्यावसायिकता का विकास– माध्यमिक शिक्षा का चौथा उद्देश्य छात्रों में व्यावसायिक कुशलता का विकास करना है ताकि माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करके छात्र अपने वास्तविक जीवन में प्रवेश कर सके। इसके लिए छात्रों को औद्योगिक एवं व्यावसायिक विषयों की शिक्षा दी जाए जिससे छात्र सफल व्यवसायी बनकर देश का आर्थिक विकास करने में सहायक सिद्ध हों।
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