यातायात के साधनों को देश की ‘जीवन रेखा’ क्यों कहा जाता है ?
यातायात के साधनों को देश की ‘जीवन रेखा’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-यातायात के आधुनिक साधन किसी भी राष्ट्र और उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ हैं। यातायात के विकसित साधनों के माध्यम से पूरी पृथ्वी घर-आँगन सी बन चुकी है। इन साधनों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर कम समय में आसानी से पहुँचा जा सकता है। जो दरियाँ तय करने में हफ्तों-महीनों लगते थे। वह अब घंटों में तय हो जाती है। आज पर्वत, पठार, घाटियाँ, वन, सागर-महासागर बाधक नहीं रहे, आसानी से उन्हें पार किया जाता है।
परिवहन के सभी साधनों ने मिलकर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्रांति पैदा कर दी है। परिवहन के साधनों द्वारा उपयोगी वस्तुएँ बाजार तथा उपभोक्ताओं तक शीघ्रता से पहुँचाई जाती है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में अशांति, सूखा, बाढ़ अथवा । महामारी जैसी समस्या का आसानी से मुकाबला किया जा सकता है और तत्काल सहायता पहुँचाने में सक्षम है। यातायात के साधनों के विकास ने देश के विभिन्न भागों के लोगों में भाईचारगी पैदा की है, राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है और आर्थिक मजबूती प्रदान की है।औद्योगिक विकास मूलतः यातायात के साधनों पर ही निर्भर है। कच्चा माल कारखाने तक लाने और तैयार माल बाजार तक ले जाने में यातायात के साधन ही। सहायक होते हैं।