संसाधनों के संरक्षण से क्या तात्पर्य है? यह संरक्षण किस प्रकार किया जा सकता है ?

संसाधनों के संरक्षण से क्या तात्पर्य है? यह संरक्षण किस प्रकार किया जा सकता है ?

उत्तर ⇒ मानव प्राकृतिक संसाधनों का सृष्टिकर्ता नहीं है इसलिए मानव प्राकृतिक संसाधन को पूँजी समझकर उपयोग करे। इसका तात्पर्य यह है कि संसाधनों के उपयोग में कम-से-कम दुरुपयोग हो, उनकी कम-से-कम बर्बादी हो। मिट्टी जैसी संपदा की उर्वरता बनी रहे, उसे निम्नीकरण या कटाव से बचाया जाय। वन सम्पदा के अत्यधिक उपयोग में लाए जाने पर पुनः स्थापन पर बल देना उनका संरक्षण कहलाता है। अतः संरक्षण से तात्पर्य है संसाधनों का अधिकाधिक समय तक अधिक लोगों के लिए आवश्यकता की पूर्ति हेतु उपयोग हो।
संसार की आबादी का बड़ा भाग कृषि पर आश्रित है और कृषि कार्य के लिए मानव भूमि और मिट्टी का उपयोग करता है। इन संसाधनों का मूल्यांकण किया जाना चाहिए। यदि इनमें कोई कमी है तो उसे पूरा कर उपयुक्त बनाया जाए। यदि वह बर्बाद हो रही है तो किस तरह उसका संरक्षण किया जाए। इसके लिए भूमि का उपयोग इस प्रकार होना चाहिए कि मिट्टी के प्रकार के अनुसार फसलें उगानी चाहिए ताकि भूमि की उत्पादकता बनी रहे और मिट्टी की गुणवत्ता नष्ट न हो।
इस प्रकार जल संरक्षण, वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण, खनिज संपदा संरक्षण के लिए भी योजनाबद्ध और विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए तो उनसे अधिक से अधिक समय तक लाभ उठाया जा सकता है तथा वे मानव जगत के लिए संरक्षित रह सकते हैं। संसाधनों का योजनाबद्ध, समुचित और विवेकपूर्ण उपयोग ही उनका संरक्षण है। संरक्षण का तात्पर्य कदापि यह नहीं कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग न कर उनकी रक्षा की जाए उनके खर्च की आवश्यकता के बावजूद उन्हें बचाकर भविष्य के लिए रखा जाए।

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