यू.पी.पी.एस.सी. 2022 मुख्य परीक्षा (सामान्य अध्ययन हल प्रश्न-पत्र – 2)

यू.पी.पी.एस.सी. 2022 मुख्य परीक्षा (सामान्य अध्ययन हल प्रश्न-पत्र – 2)

खंड – अ
1. ई – गवर्नेस से संबंधित “उमंग योजना” की मुख्य विशेषताएं बताइए।
उत्तरः भारत में मोबाइल गवर्नेस को बढ़ावा के लिए उमंग अर्थात् यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेस (UMANG) को लॉन्च किया गया है।
> मुख्य विशेषताएं:
> यह एक ‘डिजिटल इंडिया’ पहल है।
> इसे वर्ष 2017 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और नेशनल ई-गवर्नेस डिवीजन द्वारा विकसित किया गया है ।
> यह केंद्र सरकार से लेकर स्थानीय निकायों तक की अखिल भारतीय ई-गवर्नेस सेवाओं के लिए एकल मंच प्रदान करता है।
> यह स्वास्थ्य, वित्त, शिक्षा, आवास, ऊर्जा, कृषि, परिवहन, रोजगार, कौशल विकास आदि से संबंधित 2000 से भी अधिक सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।
> इसके प्रमुख साझेदार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना विभाग, कर्मचारी राज्य बीमा निगम एवं विभिन्न मंत्रालय हैं।
> इसका अंतर्राष्ट्रीय संस्करण ‘उमंग इंटरनेशनल’ है। इस प्रकार उमंग एप ई- गवर्नेस के माध्यम से नागरिकों को ‘ईज ऑफ लिविंग’ हेतु सक्षम बना रहा है।
2. गरीबी और भूख के मूल कारण क्या हैं? इनको दूर करने के लिए क्या सरकारी नीतियां लागू की गई हैं ? 
उत्तरः विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति, 2021 रिपोर्ट के अनुसार भारत में 189.2 मिलियन लोग कुपोषण से प्रभावित हैं, जिसका प्रमुख कारण गरीबी और भूख का उच्च स्तर है।
> गरीबी और भूख के मूल कारण:
> उच्च जनसंख्या घनत्व
> कृषि की निम्न उत्पादकता
> उपजाऊ भूमि का असमान वितरण
> बेरोजगारी
> निम्न अवसंरचना विकास
> निम्न साक्षरता दर
> सामाजिक असमानता
> प्रशासनिक लापरवाही
> सरकार की नीतियाँ / योजनाएँ : 
> प्रधानमंत्री जनधन योजना
> राष्ट्रीय पोषण मिशन
> वन नेशन वन राशन कार्ड
> उज्ज्वला योजना
> दीनदयाल अंत्योदय योजना
> राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
> पोषण शक्ति निर्माण योजना
> जननी सुरक्षा योजना
> समन्वित बाल विकास योजना
गरीबी एवं भूख से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ का विचार एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है। सरकार को इसे प्रायोगिक तौर पर लागू करके देखना चाहिए।
3. नीति निर्माण प्रक्रिया में गैर- सरकारी संगठनों की भूमिका की विवेचना कीजिए ।
उत्तर : गैर- सरकारी संगठन अथवा एनजीओ वैधानिक सरकार से स्वतंत्र ऐसे संगठन होते हैं जो सार्वजनिक हितों के उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हैं और जिसका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता, इनका वित्तपोषण प्रायः पूर्ण रूप से अथवा आंशिक रूप से सरकार से प्राप्त धनराशि से होता है।
गैर- सरकारी संगठनों की उपस्थिति नागरिकों की आवाज को अभिव्यक्ति देकर सहभागी लोकतंत्र को सक्षम बनाती है। ये जनता और सरकार के बीच प्रभावी गैर-राजनीतिक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। ये जन जागरूकता फैलाने, सामाजिक एकजुटता, सेवा वितरण, प्रशिक्षण, अध्ययन व अनुसंधान में सरकार का सहयोग करते हैं। कई प्रमुख विधेयक जैसे कि भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, मनरेगा एवं सूचना का अधिकार इन्हीं के हस्तक्षेपों से पारित हुए हैं।
निष्कर्षतः सरकार और गैर- सरकारी संगठनों को समान लक्ष्यों की प्राप्ति में परस्पर
पूरक की भूमिका निभानी चाहिए।
4. भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 की परिधि में कौन- कौन से अधिकार शामिल हैं ? 
उत्तरः भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 संविधान के मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है। इस अनुच्छेद के अनुसार किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं ।
> न्यायपालिका द्वारा अपने विभिन्न निर्णयों के माध्यम से अनुच्छेद 21 की परिधि में शामिल अधिकार:
> गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार ( मेनका गांधी बनाम भारत संघ, 1978 )।
> निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा का अधिकार (86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा अनुच्छेद 21ए का प्रवेश ) ।
> निजता का अधिकार ( न्यायमूर्ति के. एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ, 2017 ) ।
> अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह का अधिकार ( शफीन जहां बनाम अशोक केएम 2018)I
> प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार (एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ ) ।
> विदेश यात्रा का अधिकार।
> निष्पक्ष और त्वरित सुनवाई का अधिकार |
5. राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के कार्य एवं संबंधों पर विचार कीजिए।
उत्तरः संविधान के अनुच्छेद 153 में राज्यपाल का प्रावधान तथा अनुच्छेद 164 में मुख्यमंत्री की नियुक्ति का उल्लेख किया गया है ।
> मुख्यमंत्री के कार्यः
> विधानमंडल का सत्र बुलाने / स्थगित करने की सलाह
> विधानसभा विघटित करने की सिफारिश
> सभापटल पर सरकारी नीतियों की घोषणा
> विभिन्न नियुक्तियाँ
> राज्यपाल के कार्य:
> मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों की नियुक्ति
> विधायकों पर सहमति
> अध्यादेश जारी करना
> क्षमादान
> राष्ट्रपति शासन की सिफारिश
> विधान परिषद में नियुक्ति
> संबंध:
राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रधान जबकि मुख्यमंत्री वास्तविक प्रधान होता है। राज्य के सभी कार्य राज्यपाल के नाम से ही किए जाते हैं। विभिन्न मसलों पर लिए गए सभी निर्णयों के बारे में राज्यपाल को सूचित करना मुख्यमंत्री का कर्तव्य होता है। हालाँकि विधेयक को स्वीकृति देना / रोकना, त्रिशंकु विधानसभा केंद्र सरकार के एजेंट, राष्ट्रपति शासन का सुझाव आदि मुद्दों पर भी पुनर्विचार किया जाना चाहिए। “
6. केंद्र – राज्य वित्तीय संबंधों में वित्त आयोग की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। 
उत्तर: केंद्र- राज्य वित्तीय संबंधों का उल्लेख संविधान के भाग 12 में अनुच्छेद 268 से 293 तक किया गया है, जिसमें अनुच्छेद 280 का संबंध वित्त आयोग से है। वित्त आयोग भारत के राष्ट्रपति को संघ एवं राज्यों के बीच करों की शुद्ध प्राप्तियों के वितरण एवं राज्यों के बीच ऐसे आगमों के आवंटन की सिफारिश करता है। इसके अलावा वह अनुच्छेद 275 के तहत संचित निधि में से राज्यों को अनुदान /सहायता की भी सिफारिश करता है। परंतु 15वें वित्त आयोग के गठन के बाद कुछ राज्यों द्वारा इसकी सिफारिशों को भेदभावपूर्ण मानते हुए इस पर गंभीर आपत्तियाँ जताई गयीं हैं। अतः वित्त आयोग द्वारा नियम व शर्तों के निर्धारण में राज्यों से सलाह लेकर राजकोषीय संघवाद को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ।
7. “लोक अदालतों ने भारतीय विधिक प्रणाली में परिवर्तन लाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है।” स्पष्ट कीजिए । 
उत्तर: भारत में लोक अदालतें वैकल्पिक विवाद समाधान ( Iक्त) तंत्र की प्रक्रियाओं में से एक हैं। कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के द्वारा लोक अदालतों को वैधानिक स्थिति प्रदान की गई है।
> उत्प्रेरक की भूमिकाः
> इन अदालतों में निःशुल्क सुनवाई होती है, जिससे वादियों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ नहीं पड़ता है।
> लोक अदालत द्वारा दावे का मूल्यांकन करते समय प्रक्रियात्मक कानूनों को अत्यधिक सख्ती से लागू नहीं किया जाता है।
> विवाद के पक्षकार सीधे अपने वकील के माध्यम से न्यायाधीश के साथ बातचीत कर सकते हैं जो कानून की नियमित अदालतों में संभव नहीं है।
> लोक अदालत द्वारा दिया जाने वाला निर्णय सभी पक्षों के लिये बाध्यकारी और गैर-अपील योग्य होता है, जिससे विवादों के निपटारे में देरी नहीं होती है । इस प्रकार लोक अदालतें आम जन के लिए न्याय प्राप्ति का सशक्त माध्यम बनकर उभरी हैं।
8. ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत की ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिए। 
उत्तर: सामान्यता किसी देश के उच्च ऊर्जा उपभोग को उस देश की आर्थिक प्रगति से सम्बद्ध किया जाता है। यही कारण है कि विकसित देशों में प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपभोग की दर विकासशील देशों की अपेक्षा अधिक है। नवीकरणीय और गैर- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन के बावजूद भी भारत ऊर्जा उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है ।
भारत अपनी आयातित ऊर्जा जरूरतों का लगभग 70% पश्चिम एशियाई देशों से प्राप्त करता है। ईरान, यूएई और सऊदी अरब भारत के प्रमुख तेल एवं प्राकृतिक गैस आपूर्तिकर्ता देश हैं। भारत अपने कच्चे तेल का लगभग 18% सऊदी अरब से आयात करता है जबकि संयुक्त अरब अमीरात से लगभग 8% | अतः भारत द्वारा अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पश्चिम एशियाई देशों से द्विपक्षीय सम्बन्धों को निरंतर मजबूत किया जा रहा है।
9. रूस – यूक्रेन संघर्ष के कारणों की विवेचना कीजिए। 
उत्तर: दिसंबर 2021 में रूस ने पश्चिम के लिए 8 – सूत्री मसौदा सुरक्षा समझौता प्रकाशित किया। इस मसौदे में यूक्रेन को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने से प्रतिबंधित करने, क्षेत्र में अभ्यास को अवरुद्ध करने सहित विवादास्पद प्रावधान थे। मसौदे पर बातचीत विफल रहने और रूस यूक्रेन सीमा पर रूसी सेना के निर्माण के साथ संघर्ष की शुरुआत हुई।
हालाँकि रूस- यूक्रेन संघर्ष की पृष्ठभूमि में अन्य कारण भी महत्वपूर्ण थे। इन कारणों में क्षेत्रीय शक्ति संतुलन, यूक्रेन का रूस एवं पश्चिम के बीच एक महत्त्वपूर्ण बफर क्षेत्र होना, काला सागर में रूस की विशेष रुचि, यूक्रेन में यूरोमैदान प्रोटेस्ट और अलगाववादी आंदोलन, रूस द्वारा क्रीमिया पर आक्रमण एवं यूक्रेन की नाटो सदस्यता प्रमुख हैं। वर्तमान में दोनों पक्षों के पीछे न हटने और शांति वार्ताओं के विफल होने के स्थिति वैसी ही है।
10. भारत – नेपाल के मध्य विवादास्पद मामले कौन से हैं, इसकी विवेचना कीजिए |
उत्तर: दक्षिण एशिया में नेपाल भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ की नीति के केंद्र में है, परन्तु दोनों के बीच निम्नलिखित मुद्दों पर मतभेद भी हैं:
> सीमा विवाद: भारत-नेपाल संबंधों में मुख्य चुनौतियों में से एक काला पानी सीमा विवाद है। वर्ष 2019 में नेपाल ने उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा, लिपुलेख और बिहार के सुस्ता क्षेत्र को नेपाल के राजनीतिक मानचित्र में प्रदर्शित किया था।
> 1950 की शांति व मैत्री संधि : नेपाल इसे जबरन थोपे जाने का आरोप लगाता है।
> आंतरिक सुरक्षा: भारत नेपाल के साथ वीजा मुक्त खुली सीमा- रेखा साझा करता है। जिसका उपयोग आतंकवादी संगठनों और विद्रोही समूहों द्वारा किया जाता है।
> चीन का बढ़ता प्रभाव नेपाल की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में भागीदारी, चीन द्वारा बुनियादी ढांचे में निवेश और नेपाल द्वारा भारत विरोधी बयानबाजी से विश्वास में कमी आयी है।
11. स्वयं सहायता समूह की चुनौतियों की विवेचना कीजिए। इसको प्रभावकारी एवं लाभकारी बनाने के साधन क्या है ? 
उत्तरः स्वयं सहायता समूह (SHGs) अनौपचारिक संगठन होते हैं, जहाँ समान आर्थिक व सामाजिक पृष्ठभूमि के लोग समान उद्देश्य के लिए कार्य करते हैं; उदाहरण- स्व नियोजित महिला संघ (SEWA)। सामान्यता यह 15 से 20 लोगों का समूह होता है।
> चुनौतियां:
> नई प्रौद्योगिकियों से संबंधित सीमित जागरूकता होने के कारण नवीन तकनीकी नवाचारों और कौशल का उपयोग करने में असमर्थ ।
> कमजोर वित्तीय प्रबंधन के कारण पूँजी का व्यवसायिक निवेश नहीं ।
> सरकारी ऋण तक सीमित पहुँच।
> महिला एसएचजी की अस्थाई प्रकृति ।
> लोकतांत्रिक भावना की कमी एवं आंतरिक कलह ।
एसएचजी को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड द्वारा 1992 में एसएचजी – बैंक लिंकेज कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत बैंकों को एसएचजी के लिए बचत खाता खोलने हेतु अधिकृत किया गया है। दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से 9 करोड़ महिलाओं को एसएचजी से जोड़ा जा रहा है। राष्ट्रीय महिला कोष के माध्यम से कम आए वाली महिलाओं के लिए ऋण को अधिक सुलभ बनाया जा रहा है।
> आगे की राह:
> सरकार द्वारा सुविधा प्रदाता एवं प्रमोटर्स की भूमिका का निर्वहन किया जाए।
> वंचित तबकों पर विशेष ध्यान दिया जाए ।
> नीति आयोग द्वारा चयनित आकांक्षी आकांक्षी जिलों तक विस्तार किया जाए।
> राज्यों में निगरानी प्रकोष्ठ की स्थापना की जाए।
> आई टी सक्षम संचार सेवाओं और सुदृढ़ वित्तीय ढांचे का विस्तार किया जाए।
12. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित “मिशन शक्ति” कार्यक्रम के उद्देश्य का वर्णन करते हुए बताइए कि यह अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में कहां तक सफल  है ?
उत्तर : विगत दिनों उत्तर प्रदेश में हाथरस और बलरामपुर में घटित बलात्कार की घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए “मिशन शक्ति” कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा 17 अक्टूबर 2020 को यूपी के बलरामपुर जिले से किया गया।
> कार्यक्रम का उद्देश्यः
> महिलाओं और बालिकाओं को जागरूक करना और उन्हें स्वावलंबी बनाना,
> महिलाओं के प्रति हिंसा करने वाले लोगों की पहचान उजागर करना,
> महिलाओं को राज्य में सुरक्षित महसूस कराना,
> महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता फैलाना,
> शासन के स्तर से कई अभियानों और कार्यक्रमों का संचालन करना ।
इस योजना के माध्यम से सरकार समाज में महिलाओं की भूमिका को समझाने के लिए ग्राम पंचायतों, औद्योगिक इकाइयों, स्कूलों, दुर्गा पूजा पंडालों और रामलीलाओं में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है, जिससे महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। इसके अंतर्गत प्रदेश की महिलाओं के लिए थाने में महिला हेल्प डेस्क स्थापित किए जा रहे हैं तथा गाँवों में महिला शक्ति बूथ भी स्थापित किये गए हैं। इस अभियान के तीसरे चरण में 20000 से अधिक महिला आरक्षिओं को बीट पुलिस के रूप में जिम्मदारी प्रदान की जा रही है। इसके अंतर्गत महिलाओं को घर-घर जाकर जागरूक और हेल्पलाइन नम्बरों की भी जानकारी दी जा रही है। निष्कर्षत: “मिशन शक्ति” कार्यक्रम महिलाओं की सुरक्षा और उनके सामाजिक – आर्थिक सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित हो रहा है ।
13. “नीति आयोग” के उद्देश्य और संरचना की व्याख्या कीजिए | इसकी महत्वपूर्ण उपलब्धियां क्या है? 
उत्तरः जनवरी 2015 में केंद्र सरकार द्वारा योजना आयोग को प्रतिस्थापित करते हुए नीति आयोग अर्थात् नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI) का गठन किया गया है।
> उद्देश्यः
सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना और बॉटम-अप दृष्टिकोण (bottom-up approach) का उपयोग कर आर्थिक नीति निर्माण प्रक्रिया में भारत सरकार की भागीदारी को बढ़ाकर सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना ।
> संरचना:
> अध्यक्षः प्रधानमंत्री
> उपाध्यक्षः प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त
> गवर्निंग काउंसिलः सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल
> क्षेत्रीय परिषदः एक से अधिक राज्यों या क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले विशिष्ट मुद्दों और आकस्मिकताओं के समाधान हेतु
> तदर्थ सदस्यताः अग्रणी अनुसंधान संस्थानों से बारी-बारी से 2 पदेन सदस्य
> पदेन सदस्यताः प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अधिकतम चार सदस्य
> मुख्य कार्यकारी अधिकारी: भारत सरकार का सचिव (प्रधानमंत्री द्वारा एक निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाएगा)
> आमंत्रित सदस्य : प्रधानमंत्री द्वारा नामित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ
> महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
> इनोवेशन इकोसिस्टम का निर्माण- अटल नवाचार मिशन, अटल टिंकरिंग लैब ।
> प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा – SDG इंडिया इंडेक्स, स्वास्थ्य सूचकांक |
> महिला सशक्तिकरण- वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स |
> 117 आकांक्षी जिलों की पहचान ।
> कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन तकनीक, एथेनॉल अर्थव्यवस्था के उपयोग को बढ़ावा ।
> शून्य बजट प्राकृतिक कृषि का समर्थन ।
नीति आयोग अखिल भारतीय स्तर पर गठित एक थिंक टैंक है जो राज्यों के साथ मिलकर नीति निर्माण का कार्य करता है।
14. क्या समितियां संसदीय कार्यों के लिए उपयोगी मानी जाती हैं? इस संदर्भ में प्राक्कलन समिति की भूमिका की विवेचना कीजिए । 
उत्तरः संसदीय समिति सांसदों का एक पैनल है, जिसे सदन द्वारा नियुक्त या निर्वाचित किया जाता है या अध्यक्ष/सभापति द्वारा नामित किया जाता है। इन समितियों के माध्यम से ही संसद अपना अधिकतर कार्य करती है और इन समितियों को कुछ ऐसे कार्यों को निपटाने के लिए गठित किया जाता है, जिनके लिए विशेषज्ञों अथवा व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता नहीं होती।
संसद के वित्तीय कार्यों में सहायता करने के लिए बनाई गई स्थाई समितियों में से एक प्राक्कलन समिति है। इसमें कुल 30 सदस्य होते हैं, जिनका चुनाव लोकसभा से किया जाता है।
> प्राक्कलन समिति की भूमिका
> यह बजट पेश होने के बाद अनुदान की मांगों पर विचार करती है और मांगों के बारे में उचित सुझाव देती है।
> किसी भी योजना के लिए बजट अनुमान लगाने में मदद करती है, संबंधित किफायती सुझाव भी देती है।
> बजट में अनियमितता या फिर सरकार की निरंकुशता पर लगाम लगाने में संसद को मदद मिलती है क्योंकि बजट में प्राक्कलन और अनुदान मांग संबंधी मामलों की जांच कर समिति उचित सुझाव और प्रतिवेदन देती है।
> संसदों सदस्यों को बजट की बारीकियों को समझने और इस पर चर्चा व सवाल उठाने में मदद करती है ।
हालांकि इस समिति की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होती फिर भी बजट पर संसद की भूमिका को और मजबूत बनाने में यह महत्वपूर्ण रोल निभाती है।
15. भारत का राष्ट्रपति कैसे निर्वाचित होता है ? 
उत्तर: भारत के संविधान के अनुच्छेद 52 में कहा गया है कि ‘भारत का एक राष्ट्रपति होगा ‘ तथा अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी।
> राष्ट्रपति का निर्वाचनः
> भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन (अनुच्छेद-54) एक निर्वाचक मंडल प्रणाली के माध्यम से किया जाता है। यह निर्वाचक मंडल संसद के दोनों सदन एवं राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों से बना होता है ।
> मतदान से पूर्व नामांकन चरण में उम्मीदवार 50 प्रस्तावकों एवं 50 समर्थकों की हस्ताक्षरित सूची के साथ नामांकन दाखिल करते हैं ।
> निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व के तहत एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के द्वारा किया जाता है।
> संविधान राष्ट्रपति के चुनाव में मतों की संख्या के स्थान पर मत के मूल्य की व्यवस्था करता है। विधायकों एवं सांसदों के मतों के मूल्यों के बीच समानता निम्नलिखित सूत्रों से ज्ञात की जाती है –
> एक विधायक के मत का मूल्य (राज्य की कुल जनसंख्या / राज्य विधानसभा में कुल निर्वाचित सदस्यों की संख्या) × 1/1000 =
> एक सांसद के मत का मूल्य = सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य / संसद के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या
> राष्ट्रपति का कोटा (विजय होने के लिए) = कुल वैध मत +1 / 1 ( नियुक्ति की संख्या) + 1
वर्तमान में 16वीं राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया को संम्पन्न किया गया, जिसमें 15वें राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू का चयन किया गया है।
16. भारत में “एक राष्ट्र एक चुनाव” की अवधारणा की संभावनाएं एवं सीमाएं हैं, परीक्षण कीजिए | 
उत्तर: “एक राष्ट्र एक चुनाव” से तात्पर्य प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार होने वाले चुनावों में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों में एक साथ चुनाव कराने से है।
> संभावनाएं:
> पूर्व अनुभवः भारत में पहले भी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते रहे हैं, अंतिम बार एक साथ चुनाव 1967 में संपन्न हुए थे।
> शासन और स्थिरताः सत्तारूढ़ दल हमेशा चुनावी मोड में रहने के बजाय कानून और शासन पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
> धन और प्रशासन का कम खर्चः एक साथ चुनाव कराने से खर्च को कम किया जा सकता है।
> एक साथ चुनाव भ्रष्टाचार को रोकने के लिए और एक अधिक अनुकूल सामाजिक-आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने का भी एक साधन हो सकता है।
> मतदाताओं पर काले धन का प्रभाव कम हो जाएगा क्योंकि सभी चुनाव एक ही बार में संपन्न होंगे।
> नीतियों और विकास कार्यक्रमों में निरंतरता।
>सीमाएं:
> संसदीय शासन के अनुकूल नहीं- मंत्री परिषद का असमय विघटन।
> अध्यक्षीय शासन में संभव- सभी का कार्यकाल निश्चित |
> संघात्मक शासन के अनुकूल नहीं केंद्र के अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे जबकि राज्य के क्षेत्रीय मुद्दे।
> प्रशासनिक समस्या- ईवीएम, सुरक्षा बल, लॉजिस्टिक आदि ।
> एक तरफा मतदान से क्षेत्रीय दलों को नुकसान।
निष्कर्षतः लोकतंत्र और संघवाद के मूल सिद्धांतों को प्रभावित किए बिना एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा को लागू किया जाना चाहिए ।
17. भारतीय संविधान के “आधारभूत ढांचा सिद्धांत” के विकास एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए | 
उत्तरः संविधान के आधारभूत ढाँचे से तात्पर्य उन बुनियादी और आंतरिक मूल्यों से है जो भारतीय संविधान की आधारशिला ( ठमकतवबा) का निर्माण करते हैं। संविधान की सर्वोच्चता, पंथ निरपेक्षता, शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त आदि आधारभूत ढाँचे में समाहित हैं। इस सिद्धांत का विकास सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों से हुआ है:
> शंकरी प्रसाद वाद, 1951: अनुच्छेद 368 के तहत संसद मूल अधिकारों में संशोधन कर सकती है। अनुच्छेद 13 में केवल सामान्य विधि या कानून शामिल हैं, न कि संविधान संशोधन ।
> गोलकनाथ वाद, 1967: मूल अधिकार अपरिवर्तनीय व अहस्तांतरणीय हैं, इसलिए संसद इनमें संशोधन नहीं कर सकती है। संविधान संशोधन भी अनुच्छेद 13 के तहत वर्णित विधि शब्द के अंतर्गत आता है।
> केशवानन्द भारती वाद, 1973: न्यायालय ने गोलकनाथ मामले के निर्णय को उलट दिया और आधारभूत ढाँचे की अवधारणा का प्रतिपादन करते हुए कहा कि संसद भारतीय संविधान में कोई भी संशोधन कर सकती है परंतु आधारभूत ढाँचे में नहीं।
यह सिद्धांत संविधान के केंद्रीय आदर्शों को कमजोर करने के लिए एक बहुसंख्यक सरकार की शक्ति को सीमित करता है, यही कारण है कि संसद द्वारा पारित 99वाँ संविधान संशोधन अधिनियम (राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन से संबंधित) को न्यायपालिका द्वारा अमान्य घोषित कर दिया गया था। इस प्रकार आधारभूत ढांचा सिद्धांत संविधान के जीवित सिद्धांतों को गति देने का एक माध्यम है जो संविधान की सर्वोच्चता स्थापित करता है ।
18. उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था की समस्याओं व सुधारों पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर : उत्तर प्रदेश देश की सर्वाधिक जनसंख्या (लगभग 19 करोड़) एवं क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से चौथा सबसे बड़ा प्रदेश है। इतने बड़े प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था को बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में निम्नलिखित समस्याएं दृष्टिगोचर होती हैं:
> पुलिस एवं राज्य सुरक्षा बलों के पास आधुनिक हथियार, उपकरण एवं प्रशिक्षण की कमी।
> पुलिस थानों में सुनवाई न होना और वहां बदसलूकी की शिकायतें |
> विभागों और दफ्तरों में स्टाफ व संसाधनों (बजट) की कमी।
> सामाजिक अपराध ( महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों के विरुद्ध), साइबर अपराध, वित्तीय अपराध आदि की उच्च दर ।
> प्रदेश के पूर्वी एवं बुंदेलखंड क्षेत्र में अवस्थापना सुविधाओं का अभाव परिणामतः गतिशीलता में कमी।
> चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र नक्सलवाद से प्रभावित।
> नेपाल से वीजा मुक्त एवं खुली सीमा (अवैध घुसपैठ एवं संगठित अपराधों को बढ़ावा) ।
> सुधार हेतु प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गये कदमः
> चार महानगरों- गाजियाबाद, कानपुर, प्रयागराज एवं लखनऊ में पुलिस कंट्रोल रूम की व्यवस्था ।
> सभी थाने, पुलिस कंट्रोल रूम एवं पुलिस अधिकारी क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क से सम्बद्ध, पुलिस कमिश्नरी प्रणाली का विस्तार ।
> ई-प्रशासन को बढ़ावा (यूपी- स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क कार्यक्रम, लोकवाणी कार्यक्रम)।
> क्षेत्रीय विकासः पूर्वांचल विकास निधि योजना, बुंदेलखंड विकास निधि योजना।
> अवसंरचना विकास: एक्सप्रेस वे निर्माण, इंडस्ट्रीयल डिफेन्स कोरिडोर, स्मार्ट सिटी उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार हेतु व्यापक उपाय किए हैं।
19. भारत और अमेरिका के बीच विवाद और सहयोग के क्षेत्र क्या है ? चर्चा करें। 
उत्तर: भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध एक ‘वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के रूप में विकसित हुए हैं जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और परस्पर हितों पर आधारित है।
> सहयोग के क्षेत्रः
> राजनीतिक:
> भारत-अमेरिका 2+2 संवाद
> G20 शिखर सम्मेलन
> क्वाड समूह, 12U2 समूह
> आर्थिक एवं व्यापारिक:
> भारत द्वारा लगभग +51.62 बिलियन का निर्यात
> भारत का लगभग 23 बिलियन डॉलर व्यापार अधिशेष
> रक्षा
> 15 अरब डॉलर का रक्षा व्यापार
> संयुक्त अभ्यास (टाइगर ट्रायम्फ, युद्धाभ्यास, मालाबार अभ्यास, वज्र प्रहार )
> चार महत्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौते
(a) GSOMIA (b) LEMOA (c) COMCASA (d) BECA
> साइबर सुरक्षा:
> साइबर फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर (2016)
> आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सहयोग
> विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
> NISAR मिशन
> इसरो और नासा मंगल ग्रह की खोज
> अंतर्राष्ट्रीय मंच:
सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत का समर्थन
> अन्यः
> वैश्विक आतंकवाद रोकथाम के प्रयास
> 2 लाख से अधिक भारतीय छात्रों का सबसे पसंदीदा गंतव्य
> लगभग 14 मिलियन भारतीय डायस्पोरा
> विवाद / मुद्दे :
> भारत से सामान्यीकृत प्रणाली वरीयता (GSP) विशेषाधिकार वापस
> भारत के उच्च व्यापार शुल्क का मुद्दा
> एच1बी वीजा पर सीमाएं
> रूस से एस-400 मिसाइल खरीद मामला
> भारत की डेटा स्थानीयकरण नीति का विरोध
> बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) का मामला वर्तमान में दोनों देशों को सामाजिक-आर्थिक और भू-राजनीतिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक साझे दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए ।
20. भारत के सतत विकास में विश्व बैंक की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए |
उत्तर : पर्यावरण एवं विकास पर विश्व आयोग की रिपोर्ट के अनुसार संधारणीय विकास अथवा सतत् विकास वह विकास है, जिसके अंतर्गत भावी पीढ़ियों के लिए आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमताओं से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है।
सतत् विकास की संकल्पना को साकार करने के लिये वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र में महत्त्वाकांक्षी ‘सतत विकास लक्ष्य प्रस्तुत किये गए थे। इनमें 17 Goals एवं 169 targets निर्धारित किये गए हैं जो अगले 15 वर्षों (2030) तक के लिये लक्षित है। भारत इसका पक्षकार है।
189 सदस्य देशों के साथ विश्व बैंक समूह एक वैश्विक साझेदारी है जो भारत सहित अन्य विकासशील देशों में सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं पर्यावरणीय विकास में सामंजस्य स्थापित कर संधारणीय विकास को आगे बढ़ाता है। भारत में जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, विस्थापन, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, लैंगिक एवं सामाजिक भेदभाव स्वास्थ्य, कृषि, वित्त एवं व्यापार मुद्दों पर विश्व बैंक वित्तपोषण, नीतिगत सलाह और तकनीकी सहायता प्रदान करता है। विगत वर्ष 2020 में विश्व बैंक द्वारा कोविड-19 महामारी पश्चात 1 बिलियन अमरीकी डालर और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए 750 मिलियन अमरीकी डालर तथा 2021 में स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढीकरण हेतु 40 मिलियन अमरीकी डालर की सहायता दी गयी थी।
अतः हम कह सकते हैं कि विश्व बैंक के सहयोग से भारत के लिए विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना आसान होगा।
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