यू.पी.पी.एस.सी. 2022 मुख्य परीक्षा (सामान्य अध्ययन हल प्रश्न-पत्र- 3)

यू.पी.पी.एस.सी. 2022 मुख्य परीक्षा (सामान्य अध्ययन हल प्रश्न-पत्र- 3)

खंड –अ
1. डिजिटल कृषि से आप क्या समझते हैं? इससे प्राप्त होने वाले लाभों पर टिप्पणी कीजिए । 
उत्तर: डिजिटल कृषि किसानों से उपभोक्ता तक कृषि उत्पादन को एकीकृत करने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग है। नवीन डिजिटल प्रौद्योगिकियां कृषि उद्योग को बीज, उर्वरक आदि के संदर्भ में अधिक सूचित चयन करने और उत्पादकता में सुधार करने के लिए उपकरण और जानकारी प्रदान कर सकती हैं।
डिजिटल कृषि के लाभ
> उत्पादकता में वृद्धि और उत्पादन की लागत में कमी।
> यह मृदा के क्षरण को रोकता है।
डिजिटल कृषि से होने वाले लाभ पर टिप्पणी
डिजिटल प्रौद्योगिकियां कृषि प्रबंधन की प्रक्रिया को सुगम बनाती हैं, जिससे समय और धन की बचत होती है एवं परिश्रम भी कम करना पड़ता है।
डिजिटलीकरण के कारण जोखिम और जागरूकता के जरिए वित्तपोषण सुलभ होगा, जलवायु परिवर्तन के पूर्वानुमान के कारण सही निर्णय लेना संभव होगा, कृषि उपकरण और नई तकनीक सुलभ होगी, मिट्टी की उर्वरता और संरचना के लिए इनपुट उपलब्ध होंगे, बाजारों एवं सूचना तक पहुंच सुनिश्चित होगी, छोटी जोत का उपयोग किया जा सकेगा और पूर्वानुमान व विश्लेषण संभव होगा।
2. आपूर्ति श्रृंखला प्रबन्धन क्या है ? भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के सन्दर्भ में इसके महत्व पर प्रकाश डालिये।
उत्तरः आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन एक व्यवस्थित दृष्टिकोण है जो लगने वाले समय को कम करके खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की समग्र उत्पादकता में सुधार करता है एवं खेत से उद्योग तक गुणवत्ता युक्त कच्चे माल का प्रवाह सुनिश्चित करता है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में महत्वः
> कच्चे माल जैसे अनाज, कच्चा मांस, मछली आदि विभिन्न स्रोतों से विभिन्न स्थानों पर एकत्र किए जाते हैं।
> ये स्रोत मध्यस्थों के माध्यम से इन उत्पादों की मुख्य निर्माता को सौंपने से पहले, खाद्य उत्पाद के घटकों के निर्माण हेतु इनका प्रारंभिक प्रसंस्करण कर सकते हैं। निर्माता इन घटकों का अंतिम प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद बनाने के लिए करता है ।
> अब, तैयार उत्पाद को उपभोक्ता तक पहुँचाया जाता है। इसके अंतर्गत भी कई मध्यस्थ और चरण शामिल होते हैं।
> इसके अलावा, निर्माता आम तौर पर खाद्य उत्पाद को थोक व्यापारी को सौंप देता है।
> थोक व्यापारी उत्पाद को खुदरा विक्रेता को देता है, जहाँ से उपभोक्ता अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खरीदता है ।
3. पीएम गति शक्ति योजना के स्तम्भों को बताइये। आपके विचार में क्या इससे प्रतियोगिता तथा श्रेष्ठ संयोजकता जति होगी ? विवेचना कीजिए। 
उत्तर: 13 अक्टूबर 2021 को, भारत सरकार ने भारत में बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी और समन्वित योजना एवं परियोजनाओं के निष्पादन के लिए महत्वाकांक्षी पीएम गति शक्ति योजना प्रारंभ की।
प्रधानमंत्री गति शक्ति- राष्ट्रीय मास्टर प्लान के छहः स्तंभ इस प्रकार हैं:
1. व्यापकता
2. प्राथमिकता
3. अनुकूलन
4. सिंक्रोनाइजेशन
5. विश्लेषणात्मक
6. गतिशील
गति शक्ति योजना के माध्यम से बुनियादी ढाँचे के लिए सरकार का यह सशक्त प्रयास महामारी के पश्चात आर्थिक विकास के लिए सकारात्मक प्रोत्साहन प्रदान करता है, क्योंकि यह क्षेत्र भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करता है। यह योजना बुनियादी ढाँचे और रसद में व्याप्त विभिन्न अंतरालों को दूर करने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति है। इसमें व्याप्त कमियों को दूर करके, यदि यह पहल कुशलता से क्रियान्वित की जाती है, तो यह भारत के विश्व स्तरीय, निर्बाध मल्टी-मोडल बुनियादी ढाँचे के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
4. इस पहल की सफलता में राज्यों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि बंदरगाह लिंकेज और राजमार्ग, रेलवे, औद्योगिक समूह एवं गलियारे आदि राज्यों में ही उपलब्ध हैं। वित्तीय समावेशन, सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए विकास प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। टिप्पणी कीजिए । 
उत्तरः वित्तीय समावेशन को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने और समयबद्ध एवं पर्याप्त ऋण, जिसकी आवश्यकता सुभेद्य वर्गों और कम आय वाले समूहों; जैसे कमजोर वर्गों को उचित लागत पर होती है; की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
समावेशी विकास और सामाजिक न्याय के लिए निस्संदेह राजनीतिक, वित्तीय और शैक्षिक संरचनाओं सहित मौजूदा प्रणालियों पर विचार करने की आवश्यकता है। नीति निर्माताओं को आर्थिक व्यवस्था में पूरी तरह से भाग लेने के लिए सक्षम बनाने हेतु हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए अवसरों में वृद्धि करते हुए अभिजात वर्ग के लिए यथासंभव अवसरों को कम करने के तरीके ढूँढने की आवश्यकता है। वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना समावेशी विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का एक अवसर प्रदान करता है – विशेष रूप से सुभेद्य और संघर्ष प्रभावित राज्यों में जहां वित्तीय सेवाओं की पहुंच कम और मांग अधिक देखी जाती है। 9 वित्तीय प्रणाली, एक प्रकार से एक अर्थव्यवस्था की तंत्रिका तंत्र है। यह बाजार लेनदेन
के लिए उपयोग किया जाने वाला मंच है।
5. भारत सरकार की वर्तमान औद्योगिक नीति का ‘मेक इन इन्डिया’ तथा ‘स्टैण्ड अप इंडिया’ के विशेष संदर्भ में मूल्यांकन कीजिए। 
उत्तरः नई औद्योगिक नीति 1991 में 18 उद्योगों के अलावा सभी के लिए औद्योगिक लाइसेंसिंग को समाप्त कर दिया गया था।
मेक इन इंडिया अभियान के लिए भारत सरकार ने 25 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की है, जिन्हें पर्याप्त रूप से बढ़ावा दिया जाएगा। ये ऐसे क्षेत्र हैं, जहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की संभावना सबसे अधिक है और इनमें भारत सरकार द्वारा निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा।
स्टैंड अप इंडिया योजना का उद्देश्य महिलाओं एवं अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। यह उद्यम विनिर्माण, सेवाओं या व्यापार क्षेत्र से संबंधित हो सकता है। गैर-व्यक्तिगत उद्यमों के मामले में कम से कम 51% शेयरधारिता और नियंत्रण हिस्सेदारी या तो अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए ।
औद्योगिक लाइसेंसिंग देश में परिचालनरत अधिकांश उद्योगों के लिए प्रमुख नीति प्रदान करती है। मेक इन इंडिया और स्टैंड अप इंडिया उद्योग के प्रकार और व्यक्ति की स्थिति के आधार पर केंद्रित कार्यक्रम हैं।
6. राष्ट्रीय सुरक्षा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका की विवेचना कीजिए |
उत्तर: विगत वर्षों के दौरान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तीव्र गति से विकास इसके अनुप्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में एवं विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में हैं।
> राष्ट्रीय सुरक्षा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका
> विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने भारत की रक्षा क्षमता में वृद्धि की है। यहां तक कि वह एक साथ दो मोर्चों पर युद्ध के लिए भी तैयार है। मसलन राफेल फाइटर जेट, प्रचंड हेलिकॉप्टर आदि ।
> ड्रोन और अन्य मानवरहित हवाई वाहनों को शामिल करने से सुरक्षा को बढ़ावा मिला है।
> व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) के तहत 2019 में भारत-बांग्लादेश सीमा पर की गई स्मार्ट फेंसिंग ने अवैध शरणार्थियों और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की घुसपैठ को कम किया है।
> विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग से साइबर सुरक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिला है। भारत ने CERT & IN की स्थापना की है।
> दुश्मनों की गतिविधियों की निगरानी करने के लिए सीमाओं पर निगरानी प्रणाली जैसे नाइट विजन डिवाइस हैंड हेल्ड थर्मल इमेजर्स, बैटलफील्ड सर्विलांस रडार आदि का उपयोग किया जाता है। “
7. ई-प्रदूषण तथा अन्तरिक्ष प्रदूषण को समझाइये। इसके प्रबन्धन के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं ?  
उत्तरः ई-प्रदूषण या इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट एक विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है, जिसका परित्याग कर दिया गया है।
प्रबंधन के उपाय
> विकासशील देशों में सक्षम प्राधिकरणों को स्थापित करने की आवश्यकता है।
> पर्यावरण के अनुकूल ई- अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए अधिकाधिक सूचना अभियान, क्षमता निर्माण और जागरूकता महत्त्वपूर्ण हैं।
> ई-अपशिष्ट के अवैध व्यापार को कम करने के लिए संग्रह योजनाओं और प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना।
अंतरिक्ष प्रदूषण या कबाड़ या मलबे में प्रयुक्त रॉकेट, निष्क्रिय उपग्रह अंतरिक्षीय वस्तुओं के टुकड़े और मलबे शामिल हैं। यह अंतरिक्ष – आधारित प्रौद्योगिकियों के निरंतर उपयोग के लिए एक वैश्विक खतरा बन गया है।
प्रबंधन के उपाय
> पुनः प्रयोज्य अंतरिक्ष यानों का विकास करना।
> मलबा शमन उपायों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।
> मलबे का संग्रहण करना या पुराने उपग्रहों को कक्षा से हटा देना।
> संग्रहित ऊर्जा और ईंधन को निर्मुक्त करना ताकि निष्क्रिय अंतरिक्ष यान में विस्फोट न हो।
ई-प्रदूषण और अंतरिक्ष प्रदूषण को मानव जाति के सामूहिक प्रयास से नियंत्रित किया जा सकता है।
8. उत्तर प्रदेश में निर्मित हो रहे ‘रक्षा गलियारा परियोजना’ के महत्व की समीक्षा कीजिए। 
उत्तर: उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा ( UPDIC) एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र की विदेशी निर्भरता को कम करना है ।
ये रक्षा गलियारा सैन्य विमानों पनडुब्बियों हेलीकाप्टरों एवं भूमि आधारित प्रणालियों को हथियारों और सेंसरों से सुसज्जित करेगा। मौजूदा आर्थिक अवसर का लाभ उठाने और एयरोस्पेस व रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने दो रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना की घोषणा की है, एक उत्तर प्रदेश में और दूसरा तमिलनाडु में ।
उत्तर प्रदेश सामान्य सुविधा केंद्र (CFC), उत्कृष्टता केंद्र (CoE) और कौशल विकास केंद्र भी स्थापित करेगा ताकि सर्वोत्तम प्रथाएं विकसित की जा सकें एवं अनुसंधान विकास और कौशल विकास प्रदान किया जा सके। इसलिए परिकल्पित गलियारा न केवल विनिर्माण केंद्रों की स्थापना का लक्ष्य रखता है, बल्कि इसका उद्देश्य देश में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु रोजगार के अवसर पैदा करना भी है।
9. भारत की रक्षा आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुये भारत सरकार की ‘अग्निवीर’ योजना का विश्लेषण कीजिए।  
उत्तर: नियमित संवर्ग के रूप में सशस्त्र बलों में चयनित व्यक्तियों को न्यूनतम 15 वर्षों की एक अन्य अवधि के लिए सेवा करनी होगी और यह भारतीय थल सेना में जूनियर कमीशंड अधिकारियों/अन्य रैंकों एवं भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना में उनके समकक्ष और भारतीय वायु सेना में चयनित गैर लड़ाकू संवर्ग के अधिकारियों/अन्य रैंकों की सेवा की मौजूदा शर्तों और नियमों द्वारा शासित होगा।
अग्निवीरों को विभिन्न सैन्य कौशल और अनुभव, अनुशासन, शारीरिक फिटनेस, नेतृत्व गुण, साहस और देशभक्ति आदि का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। चार साल के इस कार्यकाल के बाद, अग्निवीरों को नागरिक समाज में शामिल किया जाएगा जहां वे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। प्रत्येक अग्निवीर द्वारा प्राप्त कौशल को उसके अद्वितीय बायोडाटा के अंतर्गत एक प्रमाण पत्र के रूप में मान्यता दी जाएगी।
युवावस्था के दौरान चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर, अग्निवीर परिपक्व और आत्म-अनुशासित होंगे और उन्हें पेशेवर व व्यक्तिगत रूप से बेहतर बनने की अनुभूति होगी।
10. आपदायें कितने प्रकार की होती हैं? भारत में इसके प्रबन्धन पर व्याख्या कीजिए |
उत्तर: आपदाओं के प्रकार
> आपदाएं मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं:
1. प्राकृतिक आपदा
2. मानव जनित आपदा
प्राकृतिक आपदा
एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक प्रक्रिया या घटना है जो संपत्ति की हानि, चोट या अन्य स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभाव, आजीविका की हानि, जीवन की हानि, पर्यावरणीय क्षति और आर्थिक व्यवधान का कारण बन सकती है। इस प्रकार की आपदाएं निम्नवत हैं:
> भूकंप
> वनाग्नि
> बाढ़
> चक्रवात
> सूखा
> बवंडर और भीषण तूफान
 मानव जनित आपदा
तकनीकी या मानवीय भूल मानव जनित आपदाओं का कारण बनते हैं। मानव आपदाओं में स्टैंपिंग, तेल का रिसाव, दहन, औद्योगिक दुर्घटनाएं, परमाणु विस्फोट / विकिरण और परिवहन संबंधी दुर्घटनाएं शामिल हैं। इसके अंतर्गत युद्ध और जानबूझकर किए गए हमले भी शामिल हो सकते हैं।
आपदा प्रबंधन
> भोजन और पानी की व्यवस्था
> महत्त्वर्ण सेवाओं में सुधार करना, उदाहरण के लिए, परिवहन और दूरसंचार
> अस्थायी आश्रय की व्यवस्था
> रोग और दिव्यांगता की रोकथाम
> आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था
> बचाव
> पुनर्वास
खंड – ब
11. “समावेशी संवृद्धि अब विकासात्मक रणनीति का केन्द्रबिन्दु बन गयी है । ” भारत के सन्दर्भ में इस कथन की विवेचना कीजिए। इस संवृद्धि की प्राप्ति हेतु उपचारात्मक सुझाव भी दीजिए ।
उत्तरः समावेशी संवृद्धि एक प्रकार का आर्थिक विकास है जो पूरे समाज में समुचित रूप से वितरित किया जाता है और सभी के लिए अवसर सृजित करता है। बढ़ती आर्थिक असमानता और मानव कल्याण एवं समृद्धि पर अपने प्रभावों के कारण समावेशी विकास की अवधारणा आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण हो गई है।
समावेशी विकास की विशेषताएं
1. सतत विकास के साथ दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य
2. आर्थिक विविधीकरण के लिए व्यापक आधार और सभी क्षेत्रों में विस्तारित
3. इसके अंतर्गत बाजार तक पहुंच, संसाधनों, व्यापार और व्यवसाय के लिए समान वातावरण एवं उससे संबद्ध बड़ी श्रम शक्ति शामिल होनी चाहिए।
4. यह विकास की गति एवं प्रारूप पर ध्यान केंद्रित करता है
5. इसके संभावित परिणाम रोजगार सृजन या आय वितरण हैं
6. यह एक व्यापक दृष्टिकोण है जो निर्धन-समर्थक विकास के अनुरूप है।
समावेशी विकास के तत्व
कौशल विकास:
> रोजगार योग्य आबादी को बेहतर उत्पादन के लिए कौशल विकास हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षा की आवश्यकता है।
> भारत में, एक ओर उच्च प्रशिक्षित कार्यबल की कमी है और दूसरी ओर पारंपरिक रूप से प्रशिक्षित युवा बेरोजगार हैं।
 वित्तीय समावेशन: 
> इसका अर्थ है, सभी के लिए वित्तीय सहायता और सेवाओं तक पहुंच और विशेष रूप से कमजोर समूहों के लिए वहनीय सेवा एवं सहायता ।
> समावेशी विकास और आर्थिक विकास के लिए वित्तीय समावेशन महत्त्वपूर्ण है। समावेशी संवृद्धि को विकास का लक्ष्य बनाने के लिए और प्रयास करने की आवश्यकता है।
12. कौशल विकास की देश के आर्थिक विकास में क्या भूमिका होती है? उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन, 2022 के उद्देश्यों और उसकी मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए । 
उत्तर: भारत अपने पड़ोसियों की तुलना में अपेक्षाकृत युवा राष्ट्र है। हर साल लगभग 28 मिलियन युवा इसके कार्यबल में जुड़ जाते हैं।
भारत में कौशल विकास के लाभ
> दक्षता में वृद्धि
> स्किल सेट में वृद्धि
> अधिक परिणामों के साथ कार्य कम समय में संपन्न
> प्रदर्शन के स्तर में वृद्धि
उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन 2022 के लक्ष्य और उद्देश्य 
लक्ष्यः
> देश में कौशल विकास का उद्देश्य निम्न प्रकार से त्वरित और समावेशी विकास प्राप्त करने में सहायता करना है :
> व्यक्तियों की रोजगार क्षमता (मजदूरी / स्वरोजगार) और बदलती प्रौद्योगिकियों एवं श्रम बाजार की मांगों के प्रति अनुकूल होने की क्षमता को बढ़ाना।
> लोगों की उत्पादकता और जीवन स्तर में सुधार।
> देश की प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करना।
> कौशल विकास में निवेश आकर्षित करना ।
 राष्ट्रीय कौशल विकास नीति के उद्देश्य:
> सभी के लिए और विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं और वंचित समूहों के लिए जीवन भर कौशल हासिल करने के अवसर पैदा करना ।
> कौशल विकास पहल के लिए सभी हितधारकों की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देना।
> वर्तमान और उभरते रोजगार बाजार की आवश्यकताओं के लिए प्रासंगिक उच्च गुणवत्ता वाले कुशल कार्यबल / उद्यमियों का विकास करना।
> लचीले वितरण तंत्र की स्थापना करना जो हितधारकों के आवश्यकताओं की एक विस्तृत श्रृंखला की पूर्ति करते हैं।
> विभिन्न मंत्रालयों, केंद्र और राज्यों तथा सार्वजनिक और निजी प्रदाताओं के बीच प्रभावी समन्वय स्थापित करना ।
13. वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों का भारतीय अर्थव्यस्था पर प्रभावों की विशेषतः विदेशी व्यापार, पूँजी प्रवाहों एवं प्रविधि हस्तान्तरण के सन्दर्भ में व्याख्या कीजिए।
उत्तर: वैश्वीकरण ने दुनिया भर में लोगों के लिए रोजगार के अवसरों में वृद्धि की है। इसके अन्य लाभ में सूचना के प्रवाह में सुधार शामिल है क्योंकि तकनीकी प्रगति से दुनिया के सभी हिस्सों में डेटा को तेजी से और तुरंत साझा करना सुगम हो जाता है। इसके अलावा, बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने उत्पादों और सेवाओं की लागत कम कर दी है।
वैश्वीकरण में तकनीकी, आर्थिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में एक व्यापक परिवर्तन शामिल है और इसका सबसे बड़ा प्रभाव विकासशील देशों पर विदेशी व्यापार और निवेश के उदारीकरण में तेजी के रूप में परिलक्षित होता है। विदेशी व्यापार और निवेश विकासशील यूरेशियन देशों के आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है, जिनके पास अपने विकास का समर्थन करने के लिए पूँजी की कमी है, उन पर वैश्वीकरण के प्रभाव प्रमुखता से दिखाई देते हैं।
निष्कर्ष के रूप में, आधुनिक दुनिया में, वैश्वीकरण ने अपनी जड़ें जमा ली हैं और संचार व परिवहन क्षेत्रों में नई तकनीकों के कारण और सशक्त हो गया है। नवीनतम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार रूप मुख्य रूप से दुनिया भर में वस्तुओं और सेवाओं के बढ़ते या मुक्त प्रवाह जैसे मापदंडों पर आधारित है। ऐसा देशों के बीच व्यापार संबंधी बाधाओं को कम करने से हुआ है। इसने एक ऐसा वातावरण विकसित करने का भी मार्ग प्रशस्त किया है, जहाँ देशों के बीच धन और निवेश का स्वतंत्र रूप से प्रवाह हो सकता है।
14. भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तीय एवं तकनीकि व्यावहारिकता का परीक्षण कीजिए। देश में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए प्रारम्भ की गई सरकारी योजनाओं पर भी चर्चा कीजिए।
उत्तरः भारतीय अक्षय ऊर्जा क्षेत्र त्वरित गति से वृद्धि कर रहा है।
सौर ऊर्जा परियोजनाओं की वित्तीय और तकनीकी व्यवहार्यता
> पीएम – कुसुम योजना किसानों को रियायती कीमतों पर सौर पंप प्राप्त करने में सहायता कर रही है। भारत की अपर्याप्त वित्तपोषण क्षमताओं को देखते हुए शुरू की गई कई पहलों; जैसे कि राष्ट्रीय सौर मिशन में वित्तपोषण एक बड़ी बाधा है।
> प्रशिक्षण और विकास संबंधी हानियों की लागत लगभग 40 प्रतिशत है, जो सौर ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से उत्पादन को अत्यधिक अव्यावहारिक बनाता है। सरकार द्वारा अनुसंधान और विकास संबंधी गतिविधियों को अनुसंधान केंद्रों की स्थापना और वित्त पोषण प्रदान कर बढ़ावा देने से सौर ऊर्जा भागीदारों को कुछ राहत मिलती है। सौर ऊर्जा स्रोतों की स्थापना लागत को कम करने के लिए विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के साथ गठबंधन किया जा रहा है ।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार की पहल
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 2022 तक 2000 मेगावाट ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान योजना 2019 में कृषि सौर पंपों की स्थापना के लिए शुरू की गई थी जो सब्सिडी पर सौर पंपों की पेशकश करके डीजल-आधारित जनरेटर पर किसानों की निर्भरता को कम करने में सहायता कर रही है। PLI योजना घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है।
15. पूर्वी उत्तर प्रदेश के अपेक्षाकृत कम विकसित होने के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी हैं? व्याख्या कीजिए एवं इस क्षेत्र के विकास हेतु उपाय भी सुझाइये ।
उत्तर: पूर्वी उत्तर प्रदेश विभिन्न संकेतकों के मामले में राज्य के पश्चिमी हिस्सों से पिछड़ा हुआ है।
अपर्याप्त विकास के लिए उत्तरदायी कारक
> अपर्याप्त औद्योगीकरण- राज्य का पूर्वी भाग पश्चिमी भाग की तुलना में कम औद्योगीकृत है। प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी जैसे बहुत कम केंद्र हैं जहां कुछ उद्योग स्थित हैं ।
> कनेक्टिविटी- इस क्षेत्र में तेज कनेक्टिविटी का अभाव है। लोगों एवं वस्तुओं की आवाजाही एक बड़ा मुद्दा है; उदाहरण महाराजगंज, बलरामपुर आदि।
> मानव संसाधन विकास- इस क्षेत्र के मानव संसाधन का समुचित उपयोग नहीं किया गया है।
> कृषिगत विकास इस क्षेत्र में हरित क्रांति बाद के चरण में हुई एवं इस क्षेत्र को पश्चिमी भाग के समान सफलता नहीं मिल पाई।
 पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है
> औद्योगीकरण से रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। यहां उद्योगों के क्लस्टर स्थापित करने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की व्यापक संभावनाएं हैं।
> इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक्सप्रेसवे फीडर रोड, रेलवे आदि को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
> यहां निर्यात सुविधा केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि कालीन, चावल जैसे उत्पादों को आसानी से बढ़ावा दिया जा सके।
> प्रभावी नीतियां बनाकर पर्यटन क्षेत्र की क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता है। इसका प्रभाव इस क्षेत्र के कई सेक्टरों पर पड़ेगा।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए नए अवसर सृजित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को परस्पर सहयोग करना चाहिए।
16. नैनोसाइंस और नैनोटैक्नोलाजी को परिभाषित कीजिए। विज्ञान और कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी क्षमता पर विस्तार से चर्चा कीजिए ।
उत्तर: नैनोसाइंस शब्द नैनोमीटर स्केल (एक मिलीमीटर का दस लाखवाँ हिस्सा, परमाणुओं और अणुओं का पैमाना) पर पदार्थ, कणों और संरचनाओं के अध्ययन, परिवर्तन और इंजीनियरिंग को संदर्भित करता है। नैनोमीटर आकार की संरचनाओं में ये गुण अक्सर मैक्रोस्केल की तुलना में भिन्न होते हैं, क्योंकि क्वांटम यांत्रिक प्रभाव महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।
नैनोटेक्नोलॉजी, उपयोगी उत्पादों में नए नैनोमैटेरियल और नैनोसाइज घटकों के उपयोग हेतु नैनोसाइंस का अनुप्रयोग है। नैनोटेक्नोलॉजी हमें कस्टम निर्मित सामग्रियों और उत्पादों को नए उन्नत गुणों, नए नैनोइलेक्ट्रॉनिक घटकों, नए प्रकार की ‘स्मार्ट’ दवाओं और सेंसर और यहां तक कि इलेक्ट्रॉनिक्स और जैविक प्रणालियों के बीच इंटरफेस के साथ डिजाइन करने की क्षमता प्रदान करेगी।
> विज्ञान में नैनो तकनीक:
> जस्ता, Mn, Pa, Pt, Ag के तात्विक रूपों का उपयोग करके बीजों की नैनो कोटिंग न केवल उनकी रक्षा करेगी बल्कि आज उनकी बहुत कम मात्रा उपयोग की जाती है।
> बीजों का नैनोएनकैप्सुलेशन किया जा सकता है जिसमें विशिष्ट जीवाणु स्ट्रेन होता है, जिसे स्मार्ट बीज कहा जाता है।
> पर्याप्त नमी उपलब्ध होने पर स्मार्ट बीज को अंकुरित करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है।
> चिकित्सा विज्ञान में नैनो तकनीक का उपयोग बढ़ता जा रहा है।
> कृषि में नैनो विज्ञान
कृषि, विशेष रूप से फसल कृषि में नैनोसाइंस का अनुप्रयोग अधिकांश पौधों के व्यापक परिवर्तनशील गुणों के कारण एक स्वागत योग्य कदम है जो पौधों के स्वास्थ्य के लिए उपयोग किए जाने वाले शाकनाशियों, कीटनाशकों और कवकनाशियों के निर्माण में नैनो सामग्री की बॉन्डिंग में सहायता करता हैं ।
17. बौद्धिक सम्पदा अधिकारों (IPR) से संबन्धित मुद्दों की चर्चा कीजिए और इनके उल्लंघन को कैसे रोका जा सकता है ? 
उत्तर : जैसे-जैसे इंटरनेट और अन्य सूचना प्रौद्योगिकियां विकसित होती जा रही हैं, वैसे-वैसे बौद्धिक संपदा कानून जैसा एक दिलचस्प विषय बहस का एक अंतर्राष्ट्रीय और लोकप्रिय मुद्दा बनता जा रहा है।
बौद्धिक संपदा अधिकार (IPRs) किसी कार्य या विचार के स्वामित्व से संबंधित नियम और विनियम हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित चुनौतियों में से एक बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा पेटेंट की एवरग्रीनिंग को रोकना है। जैसा कि हम जानते हैं कि कंपनियां केवल मामूली बदलाव करके अपने पेटेंट को एवरग्रीन नहीं बना सकती हैं। इसलिए भारतीय पेटेंट अधिनियम (IPA) में धारा 3 ( क ) IPR से संबंधित सबसे बड़े मुद्दों में से एक है। यह अधिनियम पदार्थों के नए रूपों को पेटेंट देने पर रोक लगाता है। “
> IPR के उल्लंघन को नियंत्रित करने के लिए उपाय:
वर्तमान में तीन उपाय, अर्थात मारेवा निषेधाज्ञा, एंटोन पिलर ऑर्डर और नॉर्विच फार्माकल ऑर्डर उपयोग में हैं और इनमें IPR उल्लंघनों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही को बढ़ावा की व्यापक क्षमताएं हैं।
इन्हें आमतौर पर तब लागू किया जाता है, जब दोषियों की पहचान वास्तव में ज्ञात नहीं होती है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है। यही कारण है कि ये उपाय प्रक्रिया को सक्षम बनाते हैं। यह उन पक्षों को, जो ऐसा मानते हैं कि उनके साथ अन्याय हुआ है, अधिकार देता है कि वे तीसरे पक्ष के खिलाफ नॉर्विच फार्माकल आदेश के लिए न्यायालय में अपील कर सकें ताकि दोषियों की पहचान की जा सके।
18. सैन्य तथा असैन्य क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धि की भूमिका और प्रभावों की तार्किक व्याख्या कीजिए |  
उत्तरः सैन्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
एक रक्षा प्रणाली की मूल शक्ति सेंसर की क्षमता में निहित होती है। और AI सेंसर की क्षमता वृद्धि में सहायता करता है। AI युद्ध क्षेत्रों में सेना को रोबोटिक सहायता प्रदान करता है।
यहाँ रोबोटिक सहायता ड्रोन नेटवर्क और स्वचालित ड्रिल मशीनों को संदर्भित करती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता अंधेरे और गहरे स्थानों में छिपे हुए दुश्मनों का पता लगाने और उन्हें स्कैन करने में भी सहायता करती है ।
सैन्य और रक्षा संगठन निम्नलिखित कार्यों के लिए AI का उपयोग कर सकते हैं:
> स्वायत्त हथियार और हथियार लक्ष्यीकरण
> निगरानी करना
> साइबर सुरक्षा
> मातृभूमि की सुरक्षा
> लॉजिस्टिक
> स्वायत्त वाहन
> नागरिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता
कृत्रिम बुद्धिमत्ता में सरकारी कार्यों में व्यापक सुधार करने और नए तरीके से नागरिकों के मुद्दों को हल करने में सहायता करने की संभावना है, जिसके अंतर्गत यातायात प्रबंधन से लेकर स्वास्थ्य सेवा वितरण एवं टैक्स के फॉर्म आदि शामिल हैं। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के प्राधिकरण सूचना और AI – आधारित समाधानों के परिवर्तनकारी प्रभाव के बारे में उत्तरोत्तर जागरूक हैं, AI आधारित समाधानों के निर्माण और उपयोग हेतु आवश्यक आंकड़े न तो नियमित रूप से उपलब्ध है और न ही पाए जाते हैं। नागरिक क्षेत्र के अधिकारियों के पास AI -आधारित उपकरणों की खरीद से संबंधित निर्णय लेने के लिए उचित ज्ञान और विशेषज्ञता नहीं होती है। इससे संबंधित नैतिक चिंतन में कई जटिलताएँ शामिल होती हैं।
19. स्वतंत्रता के उपरान्त पूर्वोत्तर भारत में व्याप्त विद्रोह की स्थिति को विस्तार से समझाइये। 
उत्तर:  19. पूर्वोत्तर भारत (NEI) 1950 के दशक से विद्रोह का साक्षी रहा है और इसका कोई अंत नजर नहीं आ रहा है। भले ही NEI में कुछ राज्यों में विद्रोह समाप्त होने के बाद स्थिति शांतिपूर्ण रही है, पर कुल मिलाकर यह क्षेत्र शांतिपूर्ण जीवन और समृद्धि के अनुकूल नहीं है।
> NEI में विद्रोह की उत्पत्ति
> अंग्रेजों ने आम तौर पर NEI में अहस्तक्षेप की नीति का पालन किया था। हालाँकि, 1947 में नव स्वतंत्र भारत के पास न केवल NEI बल्कि पूरे देश की विभिन्न रियासतों को एकजुट करने का दुर्जेय कार्य था।
> NEI की इन विशिष्ट संस्कृतियों के ‘मुख्यधारा’ में एकीकरण को आम तौर पर विरोध झेलना पड़ा था । विद्रोह नागा हिल्स से शुरू हुआ।
> फिजो के नेतृत्व में, नागा नेशनल काउंसिल (NNC) ने 14 अगस्त 1947 को भारत से स्वतंत्रता की घोषणा की।
> उस समय के विभिन्न नेताओं द्वारा राजनीतिक समाधान के प्रयासों के बावजूद अशांति समाप्त नहीं हुई।
> परिणामस्वरूप, भारत सरकार द्वारा नागा हिल्स को एक अशांत क्षेत्र घोषित करने के बाद, भारतीय सेना को जनवरी 1956 में जवाबी कार्रवाई करने का आदेश दिया गया।
> तत्पश्चात, विभिन्न क्षेत्रों ने सक्रिय रूप से स्वतंत्रता की मांग की और इस क्षेत्र में विद्रोह की शुरुआत की।
1990 के दशक से लेकर 2011 की शुरुआत तक, पश्चिमी असम में, असम और मेघालय की सीमा पर और त्रिपुरा में अंतर – जातीय हिंसा की घटनाओं में 800,000 से अधिक लोगों को अपने घरों से पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। भले ही आज इस क्षेत्र में उग्रवाद में समग्र गिरावट देखी गई है, तथापि, असंतोष अभी भी विद्यमान है।
20. आपदा प्रबन्धन में सरकार की क्या भूमिका है? क्या स्थानीय नागरिकों को इसका प्रशिक्षण देना उचित होगा? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर: आपदा प्रबंधन में सरकार की भूमिकाः
> आपदा प्रबंधन से संबंधित नीतियां निर्धारित करना।
> आपदा प्रबंधन के लिए नीति और योजनाओं के प्रवर्तन और क्रियान्वयन का समन्वय करना।
> शमन के प्रयोजन के लिए निधियों की सिफारिश करना ।
> प्रमुख आपदाओं से प्रभावित अन्य देशों को ऐसी सहायता प्रदान करना जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जा सकती है।
हाँ, नागरिकों को आपदा न्यूनीकरण से संबंधित तैयारियों में शामिल किया जा सकता है।
> आपदा प्रबंधन में शामिल समुदाय और उनके संगठन
> व्यवहार्य परियोजनाओं और कार्यक्रमों के संदर्भ में लोगों की स्पष्ट और अस्पष्ट मांगों के लिए अनुसंधान और योजना बनाना । समुदायों के लक्ष्य अक्सर स्पष्ट होते हैं लेकिन उन्हें प्राप्त करने के लिए उपलब्ध तकनीकी कानूनी और वित्तीय विकल्पों के बारे में बहुत कम स्पष्टता होती है।
> समुदायों को शमन परियोजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने व सरकारों और एजेंसियों के साथ प्रभावी ढंग से वार्ता करने में सहायता करने हेतु तकनीकी और कानूनी सलाह प्रदान करना ।
> आपदाओं से सीखने, जागरूकता पैदा करने एवं संगठन को और अधिक प्रभावी बनाने के अवसर पैदा करना ।
खतरों और उनके प्रभावों एवं उनके शमन के लिए तकनीकी विकल्पों का वैज्ञानिक ज्ञान पूरी तरह से नया है, वे स्वयं को विकास के महत्त्वपूर्ण उपकरणों के रूप में रूपांतरित कर रहे हैं।
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