विद्यालय जेण्डर विभेदक को समझाइये।
विद्यालय जेण्डर विभेदक को समझाइये।
उत्तर-विद्यालय जेण्डर विभेदक–निम्नलिखित हैं
(1) क्षेत्र–व्यवहार में
परिवार–पुरुषमहत्त्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान, महिलाएँ- पर्दा व्रत उपवास
समाज – पुरुष स्वतंत्रता/गतिशीलता, महिलाएँ- रक्षिता, अगतिशील, आचार संहिता व पहनावा, समाज द्वारा निर्धारित
अर्थव्यवस्था–पुरुष- रोजगार ओवर टाइम आगे बढ़ना, महिलाएँआंशिक रोजगार पहले छँटनी वैवाहिक/प्रसूति लाभों से वंचित
राजव्यवस्था पुरुष हितरक्षक नीति निर्माता, महिलाएँ-समर्थक गतिशील नहीं।
( 2 ) क्षेत्र भूमिका
परिवार कमाने वाला, महिला-देखरेख करने वाली समाज –पुरुष-परिवार का समर्थन एवं संरक्षण, महिला-परिवारमूल्यों व घरेलू आवश्यकता की पूर्तिकर्ता
अर्थव्यवस्था–पुरुष-उत्पादक कामगार, महिला-गौण कामगार राजव्यवस्था–पुरुष नेतृत्वकर्ता, महिला समर्थक
(3) क्षेत्र–पदस्थापन
परिवार–पुरुष-परिवार का मुखिया, महिलाएँ-पुरुष की पूरक माँ, पत्नी, पुत्री
समाज – पुरुष- समुदाय के सदस्य, मुखिया, महिलाएँ-कार्य/ उत्पादकता, अदृश्य
अर्थव्यवस्था–पुरुष-उत्पादक कमाने वाला, महिलाएँ – पूरक कमाऊ
राजव्यवस्था— पुरुष – राज करने वाला, महिलाएँ-पीछे चलने वाली•अधीनस्थ
( 4 ) क्षेत्र—संसाधन
परिवार–पुरुष-सम्पदा आय, शिक्षा, कौशल, महिलाएँ- आय पर नाममात्र का अधिकार, निरक्षर/साक्षर
समाज – पुरुष- सामाजिक प्रतिष्ठा व उच्च दर्जा, महिलाएँ-नातेदारी यदि पीहर से सम्बन्ध अच्छे हों।
अर्थव्यवस्था—उच्च दक्षता तकनीकी समर्थन अच्छी मजदूरी, साख प्राप्ति, महिलाएँ-निम्न तकनीक, निम्न दक्षता, कम मजदूरी, घरेलू काम ही
राजव्यवस्था— पुरुषसत्ता तक पहुँच, महिलाएँ- संसाधनों पर पहुँच, पुरुष या परिवार की अनुकम्पा
उपर्युक्तानुसार हमने उन विभेदकों को समझाने का प्रयास किया है जिनकी वजह से समाज में पुरुष व महिला के साथ परिवार, समाज, अर्थव्यवस्था तथा राजनीति में अन्तर किया जाता है। यह स्पष्ट है कि ‘महिलाओं को आज भी कई क्षेत्रों में अधीनस्थ माना जाता है। संविधान के 73वें संशोधन के कारण महिलाओं का कुछ सीमा तक सशक्तिकरण हुआ है। इस कारण जेण्डर विभेद कम हो रहा है।
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