विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों के नाम बताइये तथा अनुभव केन्द्रित पाठ्यक्रम का वर्णन कीजिए ।

विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों के नाम बताइये तथा अनुभव केन्द्रित पाठ्यक्रम का वर्णन कीजिए ।

उत्तर—समाज परिवर्तनशील है। समाज की परिवर्तनशीलता के कारण शिक्षा तथा उसके समस्त अंग भी परिवर्तनशील हो जाते हैं। परिवर्तनशीलता के कारण ही विभिन्न कालों में विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम देखने को मिलते हैं। वर्तमान में हम मोटे तौर पर निम्नांकित छः प्रकार के पाठ्यक्रमों को देखते हैं—
विषय—केन्द्रित पाठ्यक्रम,
क्रिया—केन्द्रित पाठ्यक्रम,
अनुभव—केन्द्रित पाठ्यक्रम,
जीवन—केन्द्रित पाठ्यक्रम,
कार्य—आधारित पाठ्यक्रम,
कोर पाठ्यक्रम ।
अनुभव – केन्द्रित पाठ्यक्रम—ऐसी पाठ्यक्रम जो बालक के व्यक्तित्व का विकास अनुभवों को समृद्ध बनाकर करता है, अनुभवकेन्द्रित पाठ्यक्रम कहलाता है। एक लेखक ने इसे परिभाषित करते हुए लिखा है, “वह पाठ्यक्रम जो ज्ञान, अभिरुचियों, रुचियों तथा शलाध्य के समृद्ध तथा भिन्न प्रकार के अनुभव प्रदान करता है, अनुभव पाठ्यक्रम कहलाता है। “
सेलर तथा अलेक्जेण्डर के अनुसार, “अनुभव आधारित पाठ्यक्रम वह है जिसमें अधिगम अनुभव की इकाइयाँ छात्रों के द्वारा शिक्षक के निर्देशन में स्वयं चुनी तथा योजनाबद्ध की जाती है। “
जॉन डीवी के अनुसार अनुभव तथा ज्ञान क्रिया के परिणाम है। डीवी ज्ञान तथा अनुभव में कोई अन्तर नहीं मानता है। उसके अनुसार ज्ञान अनुभव से प्राप्त होता है और अनुभव स्वयं करके प्राप्त होता है इसलिए पाठ्यक्रम अनुभव प्रधान होना चाहिए । मनुष्य किसी भी परिस्थिति में रहे, परिस्थितियों में क्रिया करते हुए मजबूत अनुभव प्राप्त करता है और यह भी सत्य है कि एक अनुभव दूसरा, दूसरा तीसरे को और इस प्रकार आगे के अनुभव हमें प्राप्त होते रहते हैं। प्रत्येक अनुभव हमें आगे के अनुभव प्रदान करने में सहायता करता है। अत: पाठ्यक्रम का उद्देश्य बालकों को अधिक से अधिक अनुभव प्रदान करना होना चाहिए।
अनुभव-केन्द्रित पाठ्यक्रम के गुण—अनुभव-केन्द्रित पाठ्यक्रम में निम्नलिखित गुण स्पष्ट दिखाई देते हैं ।
(1) अनुभव-केन्द्रित पाठ्यक्रम अधिगम को तीव्रता एवं अधिकता प्रदान करता है क्योंकि अनुभव ही अधिगम का आधार है।
(2) इस प्रकार का पाठ्यक्रम मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी अपेक्षाकृत अधिक लाभदायक तथा प्रभावी होता है।
(3) अनुभव-केन्द्रित पाठ्यक्रम व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करने में अपेक्षाकृत अधिक सफल रहता है।
(4) अनुभव केन्द्रित पाठ्यक्रम बालक की रुचियों तथा अभिक्षमताओं से प्रत्यक्ष सम्बन्ध रखता है।
(5) अनुभव केन्द्रित पाठ्यक्रम यथार्थवादी, व्यावहारिक तथा जीवनोपयोगी शिक्षा प्रदान करने में अधिक सक्षम होता है।
(6) यह सामाजिक तथा जातिगत अनुभवों को छात्रों को प्रदान करता है। इससे समाज की संस्कृति का नई पीढ़ी को सरलता से हस्तान्तरण होता है।
(7) यह बालक के व्यक्तित्व विकास में अधिक सहायक होता है।
(8) इस प्रकार का पाठ्यक्रम विद्यालय तथा समाज में सहज ही संबंध स्थापित कर देता है।
(9) यह पुस्तकीय ज्ञान के स्थान पर व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करता है।
(10) यह छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करता है, क्योंकि जीवन में अर्जित अनुभव उसके भावी जीवन में काम आते हैं।
(11) प्रत्यक्ष तथा परोक्ष अनुभवों का इसमें महत्त्व है। इसलिए यह पाठ्यक्रम औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों ही प्रकार की शिक्षा का लाभ छात्र को देता है ।
अनुभव-केन्द्रित पाठ्यक्रम के दोष—अनुभव – केन्द्रित पाठ्यक्रम के दोष निम्नलिखित हैं—
(1) अनुभव – केन्द्रित पाठ्यक्रम सुव्यवस्थित नहीं होता है। इसमें केवल अनुभवों पर ध्यान दिया जाता है इसलिए विषय-वस्तु की व्यवस्था की उपेक्षा कर दी जाती है ।
(2) अनुभव पहले से ही निश्चित नहीं किये जा सकते हैं। अनुभव तभी निश्चित किये जा सकते हैं जब क्रियाओं का निर्धारण हो जाये।
(3) इसमें क्रियाओं को अधिक महत्त्व दिया जाता है। क्रियाओं को महत्त्व देने के कारण विषय-वस्तु पुनः उपेक्षित हो जाती है।
(4) इस पाठ्यक्रम को लागू करने के लिए अनुभवी, उत्साही तथा ज्ञानशील एवं परिश्रमी अध्यापकों की आवश्यकता होती है। हर अध्यापक इसे सार्थक नहीं कर सकता है।
अधिकांश अध्यापक विषय केन्द्रित पाठ्यक्रम को ही सुविधाजनक मानते हैं।
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