‘विष के दाँत’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
‘विष के दाँत’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- ‘विष के दाँत’ शीर्षक महल और झोपड़ी की लड़ाई की कहानी है। मदन द्वारा पिटे जाने पर खोखा के जो दाँत टूट जाते हैं वे अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार के विरुद्ध एक चेतावनी है, सशक्त विद्रोह है। यहीं। इस कहानी का लक्ष्य है। अत: निसंदेह कहा जा सकता है कि ‘विष के दाँत’ इस दृष्टि से बड़ा ही सार्थक शीर्षक है।
अमीरों के विष के दाँत तोड़कर मदन ने जिस उत्साह, ओज और आग का परिचय दिया है वह समाज के जाने कितने गिरधर लालों के लिए गर्वोल्लास की बात है । इसमें लेखक द्वारा दिया गया संदेश मार्मिक बन पड़ा है।
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