विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पति और वन्यजीवों के ह्रास के कारक हैं ?
विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पति और वन्यजीवों के ह्रास के कारक हैं ?
उत्तर ⇒ वनस्पति, मानव को दिया गया प्रकृति का एक अमूल्य उपहार है। ये वनस्पतियाँ कई प्रकार से मनुष्य के जीवन की रक्षा करते हुए विकास को गतिशील बनाने में सहायक होती हैं। विकास के इस दौर में मानव प्रकृति के इस अमूल्य योगदान को भूलता जा रहा है।
मानव ने विकास के नाम पर सड़कों, रेलमार्गों, शहरों का निर्माण करना शुरू किया। इसके लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गयी। जिससे वनों का नाश होने लगा, वन्य प्राणियों का आश्रय स्थल ही उजड़ने लगा।
कृषि से अत्यधिक उपज के लिए अत्यधिक सिंचाई, रासायनिक खाद का प्रयोग किया गया। इसके कारण एक ओर भूमि निम्नीकरण से वनों को नुकसान हुआ तो दूसरी ओर जलों के दुषित होने से जीव-जंतु के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा। कल-कारखाने स्थापित करने के लिए वनों की कटाई की गयी। पुनः इन कल-कारखानों से निकलने वाले धुआँ और कचरों ने वायु और जल को दुषित किया, जिससे अम्लीय वर्षा के कारण वन और वन्य प्राणियों पर खराब प्रभाव पड़ा।
वनों के ह्रास ने प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ दिया, जिससे जलवायु पारखा जैसी समस्या सामने आने लगी है।