व्यक्ति अध्ययन विधि (Case Study Method) का मूल्यांकन कीजिए |
व्यक्ति अध्ययन विधि (Case Study Method) का मूल्यांकन कीजिए |
उत्तर— व्यक्ति अध्ययन विधि-व्यक्ति अध्ययन एक इकाई, घटना, संख्या या व्यक्ति के बारे में विस्तृत, वास्तविक एवं मूर्त विवरण है। शिक्षा के क्षेत्र में इस विधि का अधिकतम प्रयोग किया जाने लगा है इसका श्रेय फ्रायड, मुरं, आलपोर्ट, रोजर्स एवं पियाजे के अध्ययनों को जाता है। इस विधि का सर्वप्रथम प्रयोग टाइडमैन ने किया था। इस विधि का सर्वाधिक प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में व्यक्ति अध्ययन विधि का प्रयोग अधिक पुराना नहीं है। इसका कारण यह है कि पहले शिक्षा बालक प्रधान न होकर पाठ्यक्रम प्रधान थी किन्तु अब बाल केन्द्रित शिक्षा होने के कारण यह विधि शिक्षा के क्षेत्र में भी लोकप्रिय होती जा रही है।
व्यक्तिगत गुण-दोष, असामान्यताओं एवं समस्याओं का अध्ययन करने हेतु व्यक्ति – इतिहास पद्धति को अपनाया जाता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार भौतिक, पारिवारिक एवं सामाजिक वातावरण व्यक्ति में मानसिक असंतुलन उत्पन्न कर देता है जिससे वह अवांछनीय व्यवहार करने लगता है। इसके वास्तविक कारण का ज्ञान प्राप्त करने हेतु व्यक्ति के पूर्व इतिहास की गहन जानकारी की जाती है जिसके आधार पर उन कारणों की खोज की जाती है जिनके कारण व्यक्ति अनुचित आचरण करने लगता है। इस प्रकार इस विधि का उद्देश्य व्यक्ति के किसी विशिष्ट व्यवहार के कारण की खोज करना है।
व्यक्ति अध्ययन विधि की परिभाषा– अध्ययनाधीन इकाई कोई व्यक्ति, कोई सामाजिक संस्था या परिवार, या पुस्तकालय या विद्यालय या महाविद्यालय या गाँव हो सकता है। केस एक पहलू या पूर्ण जीवन वृत या किसी इकाई का सम्पूर्ण प्रकार्य हो सकता है।
व्यक्ति अध्ययन का प्रयोजन– इस विधि का प्रयोजन निम्नवत् हो सकता है—
(i) किसी व्यक्तिगत इकाई के इतिवृत्त विकास तथा प्रकार्य में महत्त्वपूर्ण सभी चरों का पता लगाना।
(ii) एक संस्था का स्पष्ट चित्र विकसित करना ।
(iii) किसी संस्था विशेष के उद्देश्यों की जानकारी प्राप्त करना ।
(iv) संस्थान विशेष के प्रकार्य की जानकारी प्राप्त करना ।
(v) संस्था के प्रकार्यों को प्रभावित करने वाले कारकों की जानकारी प्राप्त करना ।
व्यक्ति अध्ययन के गुण-निम्न हैं—
(i) एक व्यक्ति अध्ययन में निरन्तरता होती है ।
(ii) पूर्णता (Completeness)— इसमें पूर्णता होती है क्योंकि अन्वेषणकर्त्ता विभिन्न युक्तियों का उपयोग कर जानकारी प्राप्त करता है ।
(iii) गोपनीय अभिलेखन (Confidential recording )– इस विधि द्वारा संकलित जानकारी गोपनीय होती है ।
(iv) वैज्ञानिक मिश्रण/समन्वय (Scientific Synthesis) – यह विधि निदान एवं उपचार का एक अद्भुत समन्वय होती है।
(v) आँकड़ों की सहायता (Authenticity of data)– इसके आँकड़ों में सत्यता होती हैं क्योंकि यह विधि शुद्धता एवं पर्याप्तता पर अधिक बल देती है।
इस विधि द्वारा इकाइयों के सभी पहलुओं का प्रत्येक दृष्टिकोण से गहन अध्ययन किया जाता है। प्रो. वर्गस ने इसी कारण इसे सामाजिक सूक्ष्मदर्शी यन्त्र कहकर सम्बोधित किया है।
व्यवस्थित भावनाओं एवं वृत्तियों का गहन अध्ययन संभव ।
यह विधि प्रपत्र, अनुसूची, प्रश्नावली, साक्षात्कार निर्देशिका जैसे महत्त्वपूर्ण प्रपत्र तैयार करने का साधन है।
विभिन्न इकाइयों को विभिन्न समूहों में विभाजित करने एवं वर्गीकृत करने में सहायक।
इसमें व्यक्तिगत अध्ययन पर अधिक बल दिया जाता है ।
यह व्यक्तिगत गुण-दोष एवं असामान्यताओं के अध्ययन में उपयोगी है।
इससे व्यक्ति के असामान्य व्यवहार के कारणों का पता लगाने में सहायता मिलती है।
यह पूर्ण रूप से नैदानिक मनोवैज्ञानिक विधि है।
इस विधि का प्रयोग बाल अपराधियों के निदान हेतु किया जाता है।
व्यक्ति अध्ययन के दोष (Demerits of Case Study)– निम्न हैं—
(i) इस विधि में व्यक्तिनिष्ठता अधिक होती है।
(ii) इस विधि द्वारा प्राप्त निष्कर्ष वैध तथा विश्वसनीय कम होते है।
(iii) इस विधि के द्वारा प्राप्त निष्कर्षो का सामान्यीकरण नहीं हो सकता।
व्यक्ति अध्ययन का महत्त्व– उपर्युक्त दोषों के बावजूद यह विधि अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। कूले ने इस विधि के महत्त्व को इस प्रकार रेखांकित किया है, “व्यक्ति अध्ययन पद्धति हमारे ज्ञान को विकसित करती है एवं जीवन को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करती है। यह प्रत्यक्ष रूप से व्यवहारों का अध्ययन करती है। यह अप्रत्यक्ष तथा अभूर्त व्यवहारों का अध्ययन नहीं करती।”
उपर्युक्त कथन के आधार पर हम प्रस्तुत विधि के महत्त्व को निम्नवत् वर्णित कर सकते हैं—
(i) यह महत्त्वपूर्ण परिकल्पनाओं के निर्माण का साधन है।
(ii) यह अति महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों का भी साधन है।
(iii) इसके द्वारा अनुसंधानकर्त्ता को अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त होते हैं ।
(iv) इसके द्वारा व्यक्तिगत भावनाओं एवं मनोवृत्तियों का अध्ययन किया जाता है ।
(v) इसमें सामग्री की पूर्णता पाई जाती है।
(vi) यह अति गहन अध्ययन के लिए उपयोगी है ।
(vii) इसमें इकाइयों का वर्गीकरण एवं विभाजन सरल होता है।
व्यक्ति अध्ययन विधि के सोपान (Steps)—
(1) समस्या का निर्धारण एवं परिभाषीकरण ।
(2) सूचना संकलन।
(3) सूचनाओं का विश्लेषण एवं व्याख्या |
(4) कच्ची रिपोर्ट लिखना।
(5) उपचारात्मक उपाय सुझाना।
(6) अन्तिम रिपोर्ट का लेखन ।
व्यक्ति अध्ययन का उपयोग (Uses of Case Study )– इस विधि का उपयोग निम्नांकित के अध्ययन हेतु किया जा सकता है—
(1) बालकों का
(2) सामाजिक संस्थाएँ
(3) समस्यात्मक व्यवहार; यथा—पलायन, चोरी तथा अन्य कुसमायोजित व्यवहार
(4) प्रतिभावान बच्चों का व्यवहार
(5) सामाजिक संस्था का विकास आदि।
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