‘शिक्षा और संस्कृति’ पाठ का सारांश लिखिए।
‘शिक्षा और संस्कृति’ पाठ का सारांश लिखिए।
अथवा, शिक्षा और संस्कृति के संबंध में महात्मा गाँधी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- गाँधीजी के विचार से अहिंसक प्रतिरोध सबसे उदात्त ओर बढिया शिक्षा है। वर्णमाला सीखने के पहले बच्चे को आत्मा,, सत्य, प्रेम और आत्मा की छिपी शक्तियों का पता होना चाहिए। यह बताया जाना चाहिए कि सत्य से असत्य को और कष्ट-सहन से हिंसा को कैसे जीता जा सकता है। बुद्धि की सच्ची शिक्षा शरीर की स्थूल इन्द्रियों अर्थात् हाथ, पैर आदि के ठीक-टोक प्रयोग से ही हो सकती है। इससे बुद्धि का विकास जल्दी-जल्दी होगा।
प्रारम्भिक शिक्षा में सफाई और तन्दुरूस्त रहने के ढंग बताए जाने चाहिए। प्राथमिक शिक्षा में कताई-धुनाई को शामिल करना चाहिए। ताकि नगर और गाँव एक दूसरे से जुड़े। इससे गाँवों का हवास रूकेगा।
शिक्षा का ध्येय चरित्र-निर्माण होना चाहिए। दरअसल, लोगों में साहस, बल, सदाचार ओर बड़े उद्येश्य के लिए आत्मोत्सर्ग की शक्ति विकसित की जानी चाहिए।संसार की सर्वश्रेष्ठ कृतियों का अनुवाद देश की भाषाओं में होना चाहिए ताकि अपनी भाषा में टॉल्सटाय, शेक्सपियर, मिल्टन, रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कतियों का आनन्द उठा सकें।
हमें अपनी संस्कृति के बारे में पहले जानना चाहिए। हमें दूसरी संस्कतियों के बारे में भी जानना चाहिए, उन्हें तुच्छ समझना गलती होगी। वह संस्कृति जिन्दा नहीं रह सकती जो दूसरों का वहिष्कार करने की कोशिश करती है।
भारतीय संस्कृति उन भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के सामंजस्य का प्रतीक है जिनके पाँव भारत में जम गए हैं, जिनका भारतीय जीवन पर प्रभाव पड़ा है और वे स्वयं भारतीय जीवन से प्रभावित हुई हैं।
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