शिक्षा में मातृभाषा का महत्त्व बताइए ।
शिक्षा में मातृभाषा का महत्त्व बताइए ।
उत्तर— शिक्षा में मातृभाषा का महत्त्व– मातृभाषा अन्य विषयों की तरह एक विषय ही नहीं है बल्कि यह समस्त विषयों के अध्ययन का माध्यम भी है। व्यक्ति में भाषा से सम्बन्धित ज्ञान, जितना अधिक गहरा और व्यापक होता है, उतनी ही तीव्रता और सरलता से अन्य विषयों का ज्ञानार्जन करता है। यदि व्यक्ति को मातृभाषा के अतिरिक्त किसी अन्य भाषा में शिक्षण कार्य करवाया जाता है, तो वह उनका स्वाभाविक और बोधगम्य नहीं होता है जितना मातृभाषा में अतः मातृभाषा में शिक्षण न केवल व्यक्ति के भाषायी और साहित्यिक ज्ञान में वृद्धि करता है, बल्कि उसके अन्य विषयों के ज्ञान का मार्ग भी प्रशस्त करता है। बालक बचपन से ही मातृभाषा के साहचर्य में रहता है, इसलिए उसका भाषायी ज्ञान सम्पन्न और समृद्ध होता है। जैसे-जैसे व्यक्ति मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करता जाता है, वैसे-वैसे उसकी भाषा और भी समर्थ और सम्पन्न होती जाती है। मातृभाषा और शिषण की भाषा एक होने से शिक्षण से सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। व्यक्ति को जो कुछ भी पढ़ाया जाता है वह सहज ही ग्रहण कर लेता है, लेकिन फिर भी वर्तमान में उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालय शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी ही है। इसकी वजह से भारत में मातृभाषाओं की स्थिति दयनीय है। जब तक मातृभाषा को उच्च शिक्षा का माध्यम नहीं दिया जाता, तब तक न तो मातृभाषा का विकास हो सकता है और न ही देश की उन्नति हो सकती है। मातृभाषा को उच्च शिक्षा का माध्यम न बनाया जाने के पीछे यह तर्क किया जाता है कि भारत में उच्च स्तर की पाठ्य पुस्तकों का अभाव है। मातृभाषा को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाये जाने के बाद ही मातृभाषा में पुस्तकें लिखी जा सकती हैं।
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