‘सम्प्रेषण के माध्यम’ पर टिप्पणी लिखिये ।
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उत्तर— शिक्षा में सम्प्रेषण के विभिन्न प्रकार के साधनों का प्रयोग किया जाने लगा है जैसे—यांत्रिक उपकरण टेलीविजन, मशीन, प्रोजेक्टर, कैमरे, बुलेटिन बोर्ड आदि । साधारण साधन जैसे- समाचार पत्र, सूचना पट्ट, टी.वी. प्रोग्राम, स्लाइड्स, ब्लेक बोर्ड आदि ।
कुछ सम्प्रेषण माध्यम निम्न हैं—
(1) रेडियो और ट्रांजिस्टर– जनसंचार के माध्यमों में रेडियो सबसे प्रभावशाली साधन है। रेडियो पर बालकों के लिए विभिन्न विषयों से सम्बन्धित जानकारियाँ प्रसारित होती रहती हैं। इससे उच्च स्तर के बालक भी लाभान्वित हो सकते हैं ।
जनसाधारण के लिए रेडियो सम्प्रेषण माध्यम बहुत ही उपयोगी है। रेडियो पर और भी अनेक सामान्य जानकारियाँ दी जाती हैं जिससे बालक के सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती है। यह शिक्षा प्रसारित करने की अनौपचारिक शिक्षण प्रक्रिया है। नवीनतम विधियों और प्रविधियों की सूचना देता है। यह संचार साधन सभी वर्गों के व्यक्तियों और बालकों को सूचना प्रदान करने का सशक्त साधन है। देश-विदेश में घटित होने वाली घटनाओं को यह तत्काल प्रसारित करता है। जो छात्र नियमित विद्यालय नहीं आ सकते या जहाँ पर विद्यालय नहीं बनाये गये हैं उन क्षेत्रों तथा विद्यार्थियों को यह घर बैठे शिक्षित कर रहा है।
(2) दूरदर्शन– टेलीविजन भी दूरसंचार साधनों में सबसे सशक्त तथा प्रभावी साधन है। इसमें जनसाधारण श्रवण क्रिया के साथ-साथ दृश्य-क्रिया भी करता है। रेडियो पर मात्र सूचना ही प्रदान की जाती है किन्तु टेलीविजन सूचना प्रदान करने के साथ वह दृश्य भी प्रस्तुत करता है। इसमें बालक सूचना सम्बन्धी दृश्य का अवलोकन करता है जिससे वहाँ की रमणीय वातावरण का ज्ञान भी बालक को होता है।
दूरदर्शन संचार साधन की शिक्षा की अनौपचारिक प्रक्रिया है। इसमें साक्षरता सम्बन्धी कार्यक्रमों का आयोजन किया
जाता है जिससे गृहणियाँ तथा असाक्षार वृद्ध, बालक भी साक्षर होते हैं। उच्च शिक्षा के लिए यह महत्त्वपूर्ण साधन है।
दूरदर्शन का प्रसारण उन बालकों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है जो किसी परिस्थितिवश विद्यालय में नियमित अध्ययन नहीं कर पाते हैं उनके लिए यह शैक्षिक अवसरों को उपलब्ध कराने का प्रभावशाली माध्यम है, अध्यापकों की पूर्ति का भी एक माध्यम है। एक अध्यापक असंख्य छात्रों को शिक्षण प्रदान कर सकता है।
(3) उपग्रह दूरदर्शन– इसके माध्यम से शिक्षा सम्बन्धी कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। भारत में शिक्षा प्रसारण हेतु 1975 में सबसे पहले उपग्रह दूरदर्शन स्थापित किया गया। इसमें शिक्षा, कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य, चिकित्सा सम्बन्धी सूचनाओं का प्रसारण किया जाता है। इसके माध्यम से सर्वसाधारण हेतु सभी प्रकार की जानकारियाँ दी जाती हैं।
(4) वीडियो कैसेट– शिक्षण प्रक्रिया में वीडियो कैसेट का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विशेष रूप से प्रशिक्षण में यह अत्यन्त लाभकारी साधन है। शिक्षक द्वारा किए गए शिक्षण की वीडियो कैसेट तैयार करके एक साथ हजारों बालकों को शिक्षण प्रदान किया जा सकता है। इसमें कक्षा शिक्षण प्रभावशाली बनाया जाता है। बालक का ध्यान केन्द्रित होता है। इसमें विभिन्न दृश्य-श्रव्य सामग्रियों का उचित समय पर प्रयोग करके कक्षा शिक्षण में सुधार लाया जा सकता है।
(5) स्लाइड प्रोजेक्टर– यह भी शिक्षण प्रक्रिया का यान्त्रिक उपकरण है। इसका प्रयोग सूक्ष्म अक्षरों अथवा छोटे चित्रों को बड़ा करके दिखाने में किया जाता है। इससे बालक को अधिगम करने में सरलता होती है।
(6) टेपरिकॉर्डर– टेप रिकार्डर का प्रयोग शिक्षण को प्रभावशाली बनाने में किया जाता है। इसमें शिक्षक द्वारा दिए गये व्याख्यान को टेप (रिकार्ड) किया जाता है। अर्थात् अध्यापक की भाषणाभिव्यक्ति को उसमें संगृहीत कर लेते हैं। तत्पश्चात् उसे सुनकर अध्यापक अपना उच्चारण सम्बन्धी दोष दूर कर सकता है। यही प्रक्रिया छात्र के साथ भी कर सकते हैं। छात्र को उसकी स्वयं की आवाज सुनकर सम्बन्धित गलती को बताया जा सकता है। इससे छात्र वह गलती पुन: नहीं करता है। प्रस्तुतीकरण में यह अत्यन्त सहायक है। इससे अन्य वर्ग भी लाभान्वित होते हैं।
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