अध्ययन क्षेत्र की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
अध्ययन क्षेत्र की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— अध्ययन क्षेत्र की अवधारणा– 19 वीं शताब्दी में जर्मनी के विश्वविद्यालयों में अध्ययन शब्द का प्रयोग किया जाने लगा जो धीरे-धीरे नवीन एवं विस्तृत सूचनाएँ देने वाला एक साधन के रूप में सामने आया है। 20वीं शताब्दी में अध्ययन को धीरे-धीरे अन्य देशों ने भी अपना लिया जिसके अन्तर्गत उनकी प्रकृति एवं विशेषता के अनुसार अलग-अलग विषयों को रखा गया है। जैसे- विज्ञान अध्ययन के अन्तर्गत भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, सामान्य विज्ञान, जीव-विज्ञान, भू-विज्ञान और ज्योतिषशास्त्र को एक अलग-अलग स्वतंत्र विषयों के रूप में रखा गया है। ऐसे ही सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत भी इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान को एक अलग विषय के रूप में जगह दी गई है। किसी भी विषय को अनुशासित बनाने के लिए उसकी प्रकृति, विशषेता, क्षेत्र एवं अध्ययन विधियाँ निर्धारित होती हैं। इस प्रकार प्रत्येक विषय के अध्ययन क्षेत्र को निम्न बातों के द्वारा समझा जा सकता है।
(1) समस्या का प्रकार- कार्य व क्रिया ।
(2) समस्या से सम्बन्धित परिणाम, उपलब्धि एवं उत्पादक्षेत्र उपयोग, समाज का प्रभाव विश्व स्तर पर तथा उसकी विधियाँ जिसके द्वारा भावी पीढ़ी को जान व समझ सकेंगे ।
(3) अध्ययन का इतिहास, संस्कृति व परिभाषा।
(4) अध्ययन की शिक्षण विधि, अधिगम व बुद्धि का मापन तार्किक चिन्तन एवं अवबोध ।
(5) अध्ययन के उपकरण व समस्या समाधान हेतु विधियाँ व उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।
(6) ज्ञान व कौशल जो निम्न आधार पर विभिन्नता बताता है जैसे-व्यक्तिगत क्षमता।
(7) तार्किक क्षमता वाला व्यक्ति अध्ययन को पूर्ण रूप से व्यक्त कर पाता है।
(8) विषय विशेषज्ञ तथा विश्व स्तर पर विषय विशेषज्ञ।
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