सूक्ष्म-शिक्षण की अवधारणा समझाइये ।
सूक्ष्म-शिक्षण की अवधारणा समझाइये ।
उत्तर— सूक्ष्म-शिक्षण की अवधारणा– सूक्ष्म – शिक्षण एक ऐसी प्रशिक्षण प्रणाली है जो शिक्षकों (छात्राध्यापकों) को कक्षा शिक्षण प्रक्रिया की शिक्षा देती है। इसके अन्तर्गत हम शिक्षक के व्यवहार में, कौशल विकास के द्वारा वांछित परिवर्तन लाने का प्रयास करते है। सूक्ष्म शिक्षण का विकास 1960-67 के मध्य स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रो. ड्वाइट एलन एवं राबर्ट बुश द्वारा किया गया था।
सम्प्रत्यय– किसी एक अत्यन्त सूक्ष्म तथा सीमित कौशल अथवा योग्यता को सीखने तथा विकसित करने हेतु किए गए शिक्षण कार्य को सूक्ष्म शिक्षण कहा गया है। यदि हम मनोवैज्ञानिक दृष्टि से सूक्ष्म शिक्षण पर ध्यान दें तो ज्ञात होता है कि सूक्ष्म शिक्षण द्वारा जिस कौशल अथवा योग्यता का विकास कराया जाए, उसके तीन पक्ष आवश्यक हैं—
(1) ज्ञानात्मक
(2) प्रत्यक्षीकरण
(3) क्रियात्मक ।
सूक्ष्म शिक्षण द्वारा कौशलों के विकास की बात इसलिए आवश्यक व महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वृहद शिक्षण द्वारा हम विभिन्न कौशलों का प्रयोग तो कर सकते हैं। किन्तु कितनी निपुणता से इसमें संदेह रहता है। इसके पीछे यह कारण निहित है कि यथार्थ कक्षागत स्थिति में ज्ञान, प्रत्यक्षीकरण तथा क्रिया इन तीनों के समन्वय का अभ्यास असम्भव तो नहीं किन्तु कठिन अवश्य है। अतः वैयक्तिक विभिन्नताओं के कारण छात्राध्यापकों को विभिन्न कौशलों में अभ्यस्त करने हेतु सूक्ष्म शिक्षण की उपादेयता सिद्ध होती है। अतः तीनों पक्ष के माध्यम से शिक्षार्थी में कौशल विशेष की जानकारी प्रत्यक्षीकरण व क्रियात्मकता का विकास किया जाता है।
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