ध्यान धारित अतिसक्रियता विकार ( ADHD) से आप क्या समझते हैं? इसके क्या कारण हैं? इसके उपचार हेतु कुछ सुझाव दीजिए।
ध्यान धारित अतिसक्रियता विकार ( ADHD) से आप क्या समझते हैं? इसके क्या कारण हैं? इसके उपचार हेतु कुछ सुझाव दीजिए।
प्रश्न 14 ध्यान धारित अतिसक्रियता विकार ( ADHD) से आप क्या समझते हैं? इसके क्या कारण हैं? इसके उपचार हेतु कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर– ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार (ध्यातिवि) अंटेशन डेफिसिट हाइपरएक्टिवटी डिसऑर्डर (Attention-deficit hyperactivity disorder) या ADHD एक मानसिक विकार और दीर्घकालिक स्थिति है जो लाखों को प्रभावित करती है और अधिकांशतः यह स्थिति व्यक्ति के वयस्क होने तक बनी रह सकती है।
ध्यातिवि (ADHD) ध्यानाभाव विकार (ADHD) और अतिसक्रियता भी पुकारा जाता है, लेकिन ध्यातिवि (ADHD) अधिक सटीक शब्द है क्योंकि यह इस स्थिति के दोनों प्राथमिक पहलुओं ध्यान ना देना और अतिसक्रियता – आवेगी व्यवहार का वर्णन बखूबी करता है ।
हालाँकि ध्यातिवि (ADHD) से ग्रस्त कई बच्चों में ध्यानाभाव और अतिसक्रियता आवेगी व्यवहार में से कोई एक लक्षण अधिक मुखर होता है पर अधिकांश बच्चों में ध्यानाभाव और अतिसक्रियता आवेगी व्यवहार का एक मिला-जुला रूप देखा गया है।
विश्व के लगभग 3 से 5% बच्चे इससे पीड़ित हैं। ADHD के साथ जुड़ी प्रमुख समस्याओं में ध्यानाभाव (ध्यान की कमी या ध्यान न देना), आवेगी व्यवहार, असावधानी और अतिसक्रियता शामिल है। अधिकांशत: ADHD से ग्रस्त बच्चे हीन भावना, अपने बिगड़े सम्बन्धों और विद्यालयों में खराब प्रदर्शन जैसी समस्याओं से जूझते रहते हैं। माना जाता है कि ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकास आनुवांशित रूप से व्यक्ति में आता है।
ध्यातिवि (ADHD) के संकेत और लक्षण उन गतिविधियों में और अधिक स्पष्ट रूप से उभरकर आते हैं, जिनके दौरान मानसिक रूप से ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता होती है। ध्यातिवि (ADHD) से ग्रस्त अधिकांश बच्चों में इसके संकेत और लक्षण 7 वर्ष की उम्र से पहले ही देखे जा सकते हैं। कुछ बच्चों में तो, ध्यातिवि (ADHD) के लक्षण शैशवावस्था में दिखाई देते हैं ।
हालाँकि ध्यातिवि (ADHD) का कोई स्थायी उपचार नहीं है फिर भी उपचार से इसके लक्षणों को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है। आमतौर से उपचार में मनोवैज्ञानिक परामर्श, दवायें या फिर दोनों शामिल हो सकते हैं। किसी बच्चे का ध्यातिवि (ADHD) से ग्रस्त होना अभिभावकों और बच्चों दोनों के लिए भयावह हो सकता है, साथ ही इसके साथ जीवन एक चुनौती जैसा हो सकता है, हालाँकि उपचार के द्वारा इसके लक्षणों पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है। ध्यातिवि (ADHD) के शिकार अधिकतर बच्चे बड़े होकर एक जीवंत, सफल और सक्रिय वयस्क बनते हैं।
सामान्यतः यह माना जाता है कि यह विकार आनुवांशिक रूप से बच्चों में स्थानान्तरित होता है। लेकिन कुछ मनोवैज्ञानिक इसके लिए अन्य कारकों को भी उत्तरदायी मानते हैं। जिसमें प्रमुख निम्न प्रकार हैं –
(i) परिवार में पहला बच्चा, मुख्यतः लड़का |
(ii) बच्चों में अन्य आनुवांशिक रोग; जैसे- टर्नर सिंड्रोम की उपस्थिति ।
(iii) कुछ कीटनाशकों के सम्पर्क में आने पर ।
(iv) प्रतिदिन दो से अधिक घंटे टी.वी. या कम्प्यूटर या वीडियो गेम पर बिताने वाले बच्चों में।
(v) गर्भावस्था के दौरान माँ द्वारा धूम्रपान और शराब का सेवन करना ।
(vi) समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे में ।
(vii) दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों में ।
(ADHD) से ग्रसित बच्चों को स्कूल के साथ-साथ अपने परिवार और दोस्तों के साथ सामंजस्य बैठाने में अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे बच्चों में चिन्ता व बेचैनी काफी अधिक मात्रा में पायी जाती है। अनेक परिस्थितियों में ऐसे बच्चे हद से ज्यादा मुखर होते हैं। ये विकार रोजमर्रा की जिन्दगी का संचालन करने की बच्चों की क्षमता को व्यापक रूप से प्रभावित करता है।
अथवा
प्रश्न. व्यक्तिगत विभिन्नताओं से आपका क्या आशय है? एक शिक्षक के रूप में आप अपने छात्रों को व्यक्तिगत विभिन्नताओं के आधार पर किस प्रकार सहायता करेंगे?
उत्तर- व्यक्तिगत विभिन्नता- वैयक्तिक भिन्नता एक स्वाभाविक गुण है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार कोई भी दो बालक एक समान नहीं होते हैं। उनमें विकास का क्रम एक हो सकता है लेकिन विकास की गति भिन्न होती है। इसी कारण व्यक्तियों में अनेक समानताएँ होने के बावजूद भी कुछ असमानताएँ पाई जाती हैं। इन्हीं असमानताओं को वैयक्तिक भिन्न्ता कहा जाता है। टायलर ने वैयक्तिक भिन्नता को सार्वभौमिक घटक माना। व्यक्ति की शारीरिक संरचना के अलावा रंग, रूप, आकार, बनावट, यौन-भेद, सीखने की गति, संवेग, बुद्धि, रुचि, आदि पक्षों में पायी जाने वाली भिन्नता वैयक्तिक भिन्नता कहलाती है। वैयक्तिक भिन्नता के कारण व्यक्ति में शारीरिक एवं मानसिक विकास तथा व्यवहार में अंतर पाया जाता है।
एटकिन्सन के अनुसार, “किसी प्रजाति विशेष के सदस्यों के मध्य व्यवहार की संरचना में पाई जाने वाली असमानताओं को वैयक्तिक भिन्नता कहते हैं।
टायलर के अनुसार, “शारीरिक आकार एवं संरचना, बुद्धि, रुचि, मानसिक क्षमताएँ तथा व्यक्तित्व के लक्षणों में मापने योग्य विभिन्नताओं को वैयक्तिक विभिन्नता कहते हैं।”
जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “एक समूह के सदस्यों की मानसिक और शारीरिक विशेषताओं में औसत से अधिक विचलन को वैयक्तिक भिन्नता कहा जाता है। “
स्किनर के अनुसार, “वैयक्तिक भिन्नताओं के अध्ययन में सम्पूर्ण व्यक्तित्व का ऐसा कोई ती पहलू सम्मिलित कर सकते हैं जिसका मापन किया जा सकता है।”
वैयक्तिक भिन्नताओं के कारण- गैरिसन ने बताया कि.. ‘बालकों में वैयक्तिक भिन्न्ता, बुद्धि, परिपक्वता, अन्तःप्रेरणा और वातावरणीय उद्दीपनों की भिन्नता के फलस्वरूप होती है। इसके अतिरिक्त भी वैयक्तिक भिन्नता के अनेक कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं
(1) वंशानुक्रम – यह वैयक्तिक भिन्नता को आधारभूत कारण है। गाल्टन, रूसो एवं पियरसन इस मत के समर्थक हैं । व्यक्ति की शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का हस्तान्तरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होता रहता है। बालक में गुणों का हस्तान्तरण केवल गाता-पिता से ही ना होकर उनके पूर्वजों से भी होता है।
मनोवैज्ञानिक मन के अनुसार, “हम सबका जीवन एक ही प्रकार से प्रारंभ होता है लेकिन वंशानुक्रम के कारण बड़े होते-होते सभी में इसका अंतर झलकने लगता उदाहरणार्थ, लम्बे माता-पिता के बच्चे लम्बे व कम लम्बाई वाले माता-पिता के बच्चे औसत या कम लम्बाई के होते हैं परन्तु यह सदैव सत्य भी नहीं होता है।
(2) आयु व बुद्धि- आयु व बुद्धि के आधार पर भी वैयक्तिक भिन्नता पायी जाती है। बालक की आयु बढ़ने के साथ-साथ उसका शारीरिक, मानसिक एवं संवेगात्मक रूप से विकास होता है। बुद्धि के आधार पर बालक को प्रतिभाशाली एवं मंद बुद्धि व मानसिक क्षमता से पिछड़े बालक के रूप में विभक्त किया जाता है।
(3) वातावरण- भौतिक एवं सामाजिक वातावरण भी वैयक्तिक भिन्नता को प्रभावित करता है। ठंडे देशों में रहने वाले लोग लम्बे-चौड़े गोरे, बलवान और परिश्रमी होते हैं वही गर्म देशों में रहने वाले लोग औसत कद-काठी के निर्बल और आलसी प्रवृत्ति के होते हैं। सामाजिक वातावरण में समाज, परिवार एवं पाठशाला के वातावरण को शामिल किया जाता है। व्यक्ति के व्यवहार, रहन-सहन तथा वैचारिक विभिन्नता में सामाजिक वातावरण का प्रभाव सरलता से देखा जा सकता है ।
(4) आर्थिक दशा- आर्थिक विषमता भी वैयक्तिक भिन्नता को जन्म देती है। गरीबी के कारण व्यक्ति उचित-अनुचित में भेद नहीं कर पाता है और भूख उसे अनैतिक कार्यों की ओर प्रेरित करती है। अध्ययनों के अनुसार अमीरों की अपेक्षा गरीब व बेरोजगार व्यक्ति अपराध अधिक करते हैं। एक ओर जहाँ किसान वर्ग का जीवन सीधा-सादा, सरल एवं सादगीपूर्ण होता है वहीं दूसरी ओर पूँजीपति वर्ग का जीवन संघर्षमय तथा आडम्बरयुक्त होता है ।
(5) लिंग – भेद – लिंग-भेद के कारण बालक एवं बालिकाओं की शारीरिक बनावट, संवेगात्मक विकास व कार्य क्षमता में वैयक्तिक भिन्नता देखी जा सकती है। स्त्रियाँ पुरुषों की अपेक्षा अधिक सुंदर, गुणवान और स्मरण शक्ति से परिपूर्ण होती हैं जबकि पुरुष स्त्रियों की अपेक्षा अधिक बलवान, साहसी एवं परिश्रमी होते हैं ।
(6) प्रजाति एंव देश – प्रत्येक जाति, देश एवं समाज की अपनी अलग सभ्यता एवं संस्कृति होती है। उनके सामाजिक मूल्यों, नियमों, रहन-सहन एवं खान-पान की आदतों का उस समाज एवं संस्कृति के सभी सदस्यों पर प्रभाव पड़ता है । व्यक्ति की शारीरिक भिन्नता से उसके देश की पहचान की जा सकती है ।
(7) शैक्षिक तत्त्व- बालक के मानसिक व्यवहार व उपलब्धियों पर शिक्षा के स्तर व स्वरूप का सीधा प्रभाव पड़ता है। शिक्षा व्यक्ति को व्यवहारशील एवं विचारशील बनाकर अशिक्षित व्यक्ति से भिन्न बना देती है। बालक को जिस प्रकार की शिक्षा दी जाती है उसका व्यवहार भी वैसा ही देखा जा सकता है।
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