Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 9 रेल-यात्रा Solutions | Bseb class 9Th Chapter 9 रेल-यात्रा Notes

Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 9 रेल-यात्रा Solutions | Bseb class 9Th Chapter 9 रेल-यात्रा Notes

प्रश्न- मनुष्य की प्रगति और भारतीय रेल की प्रगति में लेखक क्या देखता है ?
उत्तर— लेखक ने भारतीय रेल एवं मनुष्य दोनों की प्रगति में समानता दिखाने की कोशिश की है। उन्होंने भारतीय रेल की अस्तव्यस्ता, अव्यवस्था के बहाने भारतीय राज-व्यवस्था का पोल खोला है। रेल में सवार यात्रियों की तरह जनता को कितना भी कष्ट क्या न हो, राजनेता को सिर्फ अपनी कुर्सी को देखना होता है।
प्रश्न- भारतीय रेल हमें किस तरह का जीवन सिखाती है ? 
उत्तर— जिस तरह से रेल में जो चढ़ गया उसकी जगह, जो बैठ गया उसका सीट, जो लेट गया उसका बर्थ ठीक वैसा ही जीवन हमें भारतीय रेल सिखाती है जिसमें जो जीता वही सिकन्दर, जो छला उसी का जमीन अथात् जिसमें मनोबल है, आत्मबल है उसे शासन करने से कोई नहीं रोक सकता।
प्रश्न- किस अर्थ में रेले मनुष्य को मनुष्य के करीब लाती है ?
उत्तर— भारतीय रेल एक मनुष्य की निरर्थकता को दूसरे मनुष्य की निरर्थकता से जोड़कर मनुष्य को मनुष्य के करीब लाती है। जिस तरह रेल में ऊँघते हुए यात्री एक-दूसरे के कंधे पर टिक कर अपनी रक्षा करते है वैसे ही राजनीति में विफल राजनेता दूसरे नेता पर अपना काम का बोझ डालकर अपना बचाव करते है।
प्रश्न- टिकट को लेखक ने ‘देह धरे को दंड’ क्यों कहा है ?
उत्तर— लेखक का कहना है कि अत्यंत भीड़ के बावजूद ट्रेन जो लोगों के देह का भार ढोता है टिकट उसी का दण्ड है। लेखक भीड़ से आहत यात्री के मनोभाव को दर्शाने के लिए हि कहता है कि टिकट ‘देह धरे को दंड’ है।
प्रश्न- रेल यात्रा के दौरान किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है? पठित पाठ के आधार पर बताए। 
उत्तर— रेल यात्रा के दौरान यात्रियों को कई परेशानियों का समाना करना पड़ता है, उन्हें भीड़, धक्का-मुक्की, गाली-गलौज आदि का सामना करना होता है। इस पाठ में बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति का पिता मर गया हो और उसे रेल से घर जाना पड़े तो उन्हें यह भीड़-भाड़ की समस्या छोटी लगने लगती है वैसे ही राज व्यवस्था में बड़ी-बड़ी गलती के बीच राजनेताओं की छोटी गलती आम लगती है।
प्रश्न- “आप रेल की प्रगति देखना चाहते हैं तो किसी डिब्बे में घुस जाइये लेखक यह कहकर क्या दिखाना चाहता है ? 
उत्तर— लेखक यह कहकर आम जनता की परेशानियों को दिखाना चाहते है। जैसे रेल के डिब्बे मे आम शरीफ व गरीब लोगों को धक्का-मुक्की और गाली-गलौज का सामना करना पड़ता है वैसे ही देश की जनता को राजनेताओं की दबंगई का सामना करना पड़ता है।
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