अनुदेशनात्मक व्यवहारगत प्राप्य उद्देश्यों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए ।

अनुदेशनात्मक व्यवहारगत प्राप्य उद्देश्यों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर— अनुदेशनात्मक व्यवहारगत प्राप्य उद्देश्यों की अवधारणा के सम्बन्ध में कार्टर वी. गुड ने कहा है — “प्राप्य उद्देश्य छात्र के व्यवहार में वह इच्छित परिवर्तन है, जो विद्यालय द्वारा पथ प्रदर्शित अनुभव का प्रतिफल होता है। “
शिक्षण उद्देश्यों का प्रत्यक्ष सम्बन्ध सीखने के उद्देश्य से होता है । ब्लूम के अनुसार सीखने के उद्देश्यों का सम्बन्ध छात्रों के व्यवहार परिवर्तन से होता है। व्यवहार परिवर्तन तीन प्रकार के होते हैं—(1) ज्ञानात्मक, (2) भावात्मक, (3) क्रियात्मक । ब्लूम के अनुसार सीखने के उद्देश्य भी तीन प्रकार के होते हैं—(i) ज्ञानात्मक उद्देश्य, (ii) भावात्मक उद्देश्य, (iii) क्रियात्मक उद्देश्य ।
(i) ज्ञानात्मक उद्देश्यों का सम्बन्ध तथ्यों की जानकारी तथा सूचनाओं के ज्ञान से होता है ।
(ii) भावात्मक उद्देश्यों का सम्बन्ध अभिवृत्तियों, रुचियों एवं मूल्यों के विकास से होता है, यह भी शिक्षा का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।
(iii) क्रियात्मक उद्देश्यों का सम्बन्ध शारीरिक क्रियाओं के प्रशिक्षण एवं कौशलों के विकास से होता है, इसका सम्बन्ध व्यावसायिक प्रशिक्षण से होता है ।
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