भाषा और धर्म में क्या सम्बन्ध है ।
भाषा और धर्म में क्या सम्बन्ध है ।
उत्तर— भाषा और धर्म के मध्य सम्बन्ध– धर्म किसी एक या अधिक पारलौकिक शक्ति में विश्वास और इसके साथ-साथ संलग्न रीति-रिवाजों, परम्परा, पूजा-पद्धति और दर्शन का समूह है। जीवन में हमें जो धारण-करना चाहिए, वही धर्म है, नैतिक मूल्यों का आचरण ही धर्म है वह पवित्र अनुष्ठान है जिसमें चेतना का शुद्धिकरण होता है। धर्म वह तत्त्व है जिसके आचरण द्वारा व्यक्ति अपने जीवने को चरितार्थ कर पाता है।
धर्म से तात्पर्य उन आध्यात्मिक सिद्धान्तों, नियमों एवं आचार विचारों से है, जिनका धारण करने से मनुष्य का प्राकृतिक, सामाजिक और अन्तोगत्वा आध्यात्मिक विकास होता है।
धर्म एवं भाषा का निकट सम्बन्ध है। दोनों एक दूसरे के पूरक कहे जा सकते हैं। समाज के जो मानव तथा मूल्य होते हैं, धर्म के द्वारा उनको आत्मसात करवाने के लिए जिसे माध्यम बनाया जाता है वह भाषा ही है । भाषा के द्वारा ही किसी भी धर्म में निहित शिक्षाओं उपदेशों सिद्धान्तों के बारे में जाना जा सकता है। जिनसे पढ़ कर या सुनकर- ग्रहण किया जाता है। इन शिक्षाओं तथा उनमें निहित ज्ञान से द्वारा ही बालक के नैतिक तथा चारित्रिक मूल्यों का विकास किया जा सकता है। धर्म प्रत्येक सभ्यता एवं संस्कृति के धरोहर होते हैं।
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