भाषा व साहित्य के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
भाषा व साहित्य के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— भाषा व साहित्य में सम्बन्ध– भाषा और साहित्य निम्न प्रकार से एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं—
(1) भाषा और साहित्य दोनों का सम्बन्ध समाज से है– समाज में ही उत्पन्न होती है एवं समाज में ही उसका पालन-पोषण होता है, उसका रूप समाज में ही निखरता है, उसको जीवन शक्ति समाज से ही प्राप्त होती है। समाज के विकास के साथ-साथ भाषा की क्षमतायें भी विकसित हो जाती हैं, नये-नये शब्दों, मुहावरों, सूक्तियों, लोकोक्तियों का प्रवेश होता है और यह नवीनतम एवं सूक्ष्मतम भावों और विचारों को व्यक्त करने में समर्थ होती है। उत्तम एवं समृद्ध साहित्य से भाषा समृद्ध होती है। अतएव भाषा और साहित्य दोनों का सम्बन्ध सामाजिक वातावरण से है। भाषा और साहित्य दोनों का कार्य क्षेत्र एक है, इसलिये दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध होना स्वाभाविक है । इमरसन का कथन है—” भाषा और साहित्य के विज्ञान भवन के निर्माण में प्रत्येक मानव ने एक ईंट पत्थर रखकर अपना योगदान दिया है। “
(2) भाषा और साहित्य एक-दूसरे से पूरक हैं– भाषा के विभिन्न कालों में विभिन्न रूपों के दर्शन हमें साहित्य में ही होते हैं । भाषा जीवित हो अथवा मृत, उसका अध्ययन हम उस भाषा के साहित्य के आधार पर ही करते हैं। साहित्य के द्वारा हम जीवित भाषा की सजीवता व उसके उत्कर्ष से परिचित होते हैं । साहित्य के द्वारा ही हम जीवित भाषा के शब्दों की शक्ति से अवगत होते हैं।
राबर्ट लाडो के शब्दों में, “कोई भी व्यक्ति भाषा के गठन में एकदम साहित्य की ओर बिना भाषा के मूल सांस्कृतिक पक्ष को समझे छलांग नहीं लगा सकता क्योंकि साहित्य भाषा के माध्यम से ही अभिव्यक्त होता है, इसलिये बिना भाषा को समझे, शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त सांस्कृतिक जीवन मूल्यों को बिना समझे किसी की साहित्यिक कृति को नहीं समझा जा सकता है। “
(3) भाषा पर पूर्णाधिकार साहित्य के अध्ययन के बिना असम्भव है– भाषा पर पूर्ण अधिकार प्राप्त करने के लिये साहित्य का गहन अध्ययन करना अनिवार्य है। साहित्य में हमें भाषा की विभिन्न शैलियों के दर्शन होते हैं। शब्दों, मुहावरों, सूक्तियों तथा लोकोक्तियों के विभिन्न प्रयोगों के दर्शन हमें साहित्य में ही होते हैं। साहित्य के अध्ययन के द्वारा ही प्रत्येक की अभिव्यक्ति सहज एवं उत्तम विकास सम्भव है।
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