मछली कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।
मछली कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।
अथवा, अपने पाठ्य-पुस्तक की उस कहानी का सारांश लिखें जिसमें शहर के निम्न मध्वर्गीय परिवार का घरेलू वातावरण, जीवन-यथार्थ और लिंग-भेद की समस्या का मार्मिक स्पर्श है।
उतर :- बूंदा-बूंदी शुरू होते ही दोनों भाई दौड़ते हुए गली में घुस गए-इसबलिए कि मछलियाँ पानी बिना झोले में ही मर न जाएँ। भाइयों की इच्छा थी कि एक मछली पिताजी से माँग कर, कुएँ में डाल, बड़ा करेंगे।
संतू ठंड से काँपने लगा था। दोनों ने नहानघर में घुस अपनी-अपनी कमीजें निचोड़ी। संत मछली छूने से डर रहा था। नरेन मछली की आँखों में अपनी छाया देखना चाहता था। दीदी ने कहा था कि मरी मछली की आँख में अपनी परछाई नही दिखती। संत् से न बना तो नरेन ने खुद देखा किन्तु. पता ही नहीं चला कि अपनी परछाई थी या मछली की आँखों का रंग। पता चला कि दीदी सो रही है। माँ उधर मसाला पीस रही थी। भाइयों का मन छोटा हो गया-आज ही बनेंगी। इतने में भग्ग आया और मछलियाँ ले गया। मछली पालने का उत्साह ठंडा पड़ गया। दोनों कमरे में गए-दीदी लेटी हुई थी। गीले कपड़ों में देख नाराज हई। संत को अच्छे-अच्छे कपडे पहनाए, नरेन को भी धुल कपड़ पहनने को कहा। दीदी ने ही संत् के बाल पोंछे-झाड़े। भग्गू मछलियाँ काटने में लगा कि संत एक मछली लेकर भागा। भग्गू दौड़ा। नरेन कमरे में गया-दीदी सिसक-सिसक कर रो रही थी, शरीर सिहर रहा था। उध र भग्गू संतू से मछली छीनने में लगा था ओर इधर घर में पिताजी जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। दीदी सिसक रही थी। शायद पिताजी ने दीदी को मारा था।
पिताजी नरेन को घर में आने से रोकने को भग्ग से कह रहे थे। संत सहमा खड़ा था। दीदी के संवरे बाल बिखर गए थे। नरेन नहान-घर में गया। बाल्टी उलट दी। उसे लगा कि पूरे घर में मछली की गंध आ रही है।
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